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ईरान में कैद के दौरान भूख हड़ताल पर बैठीं नोबल पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 7, 2023 10:25 IST

मानवाधिकार कार्यकर्ता को मुक्त करने के लिए चलाए जा रहे अभियान के सदस्यों ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। मोहम्मदी (51) के इस फैसले ने उन्हें कैद करने को लेकर ईरान के धर्म के नाम पर नियम बनाना पर दबाव बढ़ा दिया है। 

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ठळक मुद्देनोबल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी ईरान में कैद के दौरान हड़ताल पर बैठीनरगिस मोहम्मदी मांग कर रही है कि सभी कैदियों को चिकित्सा सुविधा मिलेईरान में धर्म के नाम पर नियम बनाने का दबाव बढ़ा दिया है

दुबई: नोबल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी ने अन्य कैदियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने से रोकने और देश में महिलाओं के लिए हिजाब अनिवार्य किए जाने के विरोध में सोमवार को भूख हड़ताल शुरू की।

मानवाधिकार कार्यकर्ता को मुक्त करने के लिए चलाए जा रहे अभियान के सदस्यों ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। मोहम्मदी (51) के इस फैसले ने उन्हें कैद करने को लेकर ईरान के धर्म के नाम पर नियम बनाने का दबाव बढ़ा दिया है। 

मोहम्मदी को एक महीने पहले ही, उनके वर्षों पुराने अभियान के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित करने का ऐलान किया गया था। मोहम्मदी ने सरकार के हिजाब अनिवार्य करने के फैसले के खिलाफ अभियान चलाया है, जिसपर ईरान सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। इस बीच, जेल में कैद एक अन्य कार्यकर्ता अधिवक्ता नसरीन सोतौदेह को भी चिकित्सा सुविधा की जरूरत है लेकिन अभी तक उन्हें मदद नहीं मिली है। 

नसरीन को एक नाबालिग लड़की के अंतिम संस्कार समारोह में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसकी मौत तेहरान मेट्रो में हिजाब नहीं पहनने की वजह से विवादास्पद हालात में हुई थी। नरगिस मोहम्मदी को मुक्त करने के लिए चलाए जा रहे अभियान 'फ्री नरगिस मोहम्मदी' के एक कार्यकर्ता ने विदेश में रह रहे उनके परिवार के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि नरगिस ने सोमवार को एविन जेल से एक संदेश भेजकर अपने परिवार को सूचित किया है कि उन्होंने कई घंटों पहले भूख हड़ताल शुरू कर दी है। 

बयान के मुताबिक, ''मोहम्मदी और उनके वकील कई सप्ताह से उन्हें (नरगिस) ह्रदय और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं के लिए किसी विशेषज्ञ अस्पताल में भर्ती कराए जाने की मांग कर रहे हैं।'' कुछ दिन पहले मोहम्मदी के परिवार ने बताया कि उनकी तीन नसों में दिक्कत है और फेफड़ों में भी समस्या है। इसके बावजूद जेल अधिकारियों ने हिजाब पहनने से मना करने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने से इनकार कर दिया। 

मोहम्मदी के मुताबिक, ''वो दो चीजों के विरोध में आज (सोमवार) से भूख हड़ताल पर हैं। पहली, बीमार कैदियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने में विलंब और उन्हें सुविधा प्रदान नहीं करने की ईरान की नीति, जिसके परिणामस्वरूप लोगों की मौत हो रही है। दूसरी, ईरानी महिलाओं के लिए हिजाब अनिवार्य करने की नीति।'' 

बयान में कहा गया है, "अगर हमारी प्रिय नरगिस को कुछ भी होता है तो इस्लामिक राष्ट्र उसके लिए जिम्मेदार होगा। मोहम्मदी सिर्फ पानी, चीनी और नमक ले रही हैं । उन्होंने दवाइयां लेने से इंकार कर दिया है।" नरगिस मोहम्मदी को शांति पुरस्कार से सम्मानित करने वाली नॉर्वे की नोबल समिति ने उनके स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। 

समिति के प्रमुख बेरित रीज एंडरसन ने कहा, "महिला बंदियों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए हिजाब की अनिवार्यता अमानवीय और नैतिक रूप से अस्वीकार्य है। नरगिस ने स्थिति की गंभीरता बताने के लिए अनशन शुरू किया है। नार्वे नोबेल समिति ईरान के प्रशासन से नरगिस और अन्य महिला बंदियों को तत्काल आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने का अनुरोध करती है।" 

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