नेपाल: शीर्ष अदालत ने संसद भंग करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं संविधान पीठ को भेजीं

By भाषा | Updated: May 27, 2021 16:12 IST2021-05-27T16:12:48+5:302021-05-27T16:12:48+5:30

Nepal: The apex court sent petitions challenging the decision to dissolve the parliament to the constitution bench | नेपाल: शीर्ष अदालत ने संसद भंग करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं संविधान पीठ को भेजीं

नेपाल: शीर्ष अदालत ने संसद भंग करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं संविधान पीठ को भेजीं

काठमांडू, 27 मई नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग करने और विपक्ष के नेता शेर बहादुर देउबा के प्रधानमंत्री पद के लिए दावे को खारिज करने को चुनौती देने वाली सभी 19 याचिकाएं बृहस्पतिवार को संविधान पीठ को भेज दीं।

‘हिमालयन टाइम्स’ की खबर के मुताबिक उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा ने कार्यवाही के अंत में आदेश दिया कि 19 रिट याचिकाओं को संविधान पीठ को भेजा जाए।

प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पांच सदस्य पीठ द्वारा रिट याचिकाओं पर सुनवाई शुक्रवार को की जाएगी।

इन मामलों के साथ ही 11 अन्य मामलों पर भी सुनवाई होगी जिसमें 146 सांसदों द्वारा नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए दायर याचिका भी शामिल है।

सदन को भंग करने को चुनौती देने के लिए 30 याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में दायर की गई हैं, जिनमें से एक याचिका विपक्षी गठबंधन की भी है।

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने पांच महीनों में दूसरी बार, शनिवार को 275 सदस्यीय प्रतिनिधिसभा को भंग कर दिया था और 12 तथा 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी। उन्होंने यह फैसला अल्पमत सरकार की अगुवाई कर रहे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सलाह पर किया।

राष्ट्रपति ने सरकार बनाने के प्रधानमंत्री ओली और विपक्षी गठबंधन के दावों को खारिज कर दिया।

नेपाल के विपक्षी गठबंधन ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर करके प्रतिनिधिसभा को बहाल करने और देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने की मांग की। अन्य ने भी प्रतिनिधिसभा को भंग करने के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।

पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अगुवाई प्रधान न्यायाधीश राणा कर रहे हैं। पीठ के सदस्यों का चयन राणा ने किया है।

इससे पहले, गत 20 दिसंबर को राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर दिया था और 30 अप्रैल तथा 10 मई को मध्यावधि चुनाव कराने का ऐलान किया था लेकिन दो महीने बाद न्यायमूर्ति राणा की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने 23 फरवरी को राष्ट्रपति के फैसले को पलट दिया था और सदन को बहाल कर दिया था।

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Web Title: Nepal: The apex court sent petitions challenging the decision to dissolve the parliament to the constitution bench

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