Nepal Earthquake: पश्चिमी नेपाल में क्यों मंडरा रहा है बड़े भूकंप के आने का खतरा?, 140 लोगों की मौत, भूकंप के लिहाज से दुनिया का 11वां सबसे खतरनाक देश

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 4, 2023 18:21 IST2023-11-04T18:20:15+5:302023-11-04T18:21:28+5:30

Nepal Earthquake: नेपाल सेना के प्रवक्ता कृष्ण प्रसाद भंडारी के अनुसार, नेपाल सेना ने भूकंप के तुरंत बाद घटना स्थल पर बचाव कार्य करने के लिए शुक्रवार को अपने कर्मियों को तैनात किया। बचाव कर्मी शनिवार को ढह गए मकानों के मलबे में दबे लोगों को निकालने की कोशिश करते नजर आए।

Nepal Earthquake Why is danger of major earthquake looming in western Nepal? 140 people died 11th most dangerous country in world in terms of earthquake | Nepal Earthquake: पश्चिमी नेपाल में क्यों मंडरा रहा है बड़े भूकंप के आने का खतरा?, 140 लोगों की मौत, भूकंप के लिहाज से दुनिया का 11वां सबसे खतरनाक देश

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Highlights पश्चिमी नेपाल के जाजरकोट और रुकुम जिले भूकंप के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुए। लोगों की संख्या बढ़कर 140 हो गई है और 150 लोग घायल हुए हैं मृतक संख्या और बढ़ने की आशंका है। मारे गए लोगों में जाजरकोट में नलगढ़ नगर पालिका की उप महापौर सरिता सिंह भी शामिल हैं।

Nepal Earthquake: भूकंप वैज्ञानिक के मुताबिक हिमालय के भूकंप संभावित क्षेत्र में बसा नेपाल उन देशों में है जहां पर भूकंप का सबसे अधिक खतरा है और इसमें भी पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र में बड़े भूकंप आने की आशंका है। सरकार की ‘पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेस्मेंट’ (पीडीएनए) रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल भूकंप के लिहाज से दुनिया का 11वां सबसे खतरनाक देश है।

 

इसलिए जब नेपाल की पश्चिमी पहाड़ियों में शुक्रवार देर रात 6.4 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया तो यह इस महीने का पहला भूकंप नहीं था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम नेपाल में शुक्रवार करीब मध्य रात्रि आया भूकंप 2023 में आए 70 भूकंप में से एक है।

नेपाल स्थित राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र में वरिष्ठ भूकंप वैज्ञानिक भरत कोइराला ने बताया, ‘‘भारतीय और यूरेशिया टेक्टॉनिक प्लेटों में लगातार टक्कर हो रही है जिससे बहुत ही अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।’’ उन्होंने कहा कि नेपाल इन दोनों प्लेटों की सीमा पर है जो भूकंप के मामले में अतिसक्रिय इलाकों में आता है और इसलिए नेपाल में भूंकप आना सामान्य है।

कोइराला ने कहा, ‘‘पश्चिमी नेपाल में बड़े भूकंप आने का खतरा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिमी नेपाल में पिछले 520 सालों से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। इसलिए बहुत सारी ऊर्जा एकत्रित हो गई है और भूकंप उस ऊर्जा को मुक्त करने का एकमात्र माध्यम है।’’ कोइराला ने कहा, ‘‘पश्चिमी नेपाल के गोरखा (जिला) से लेकर भारत के देहरादून तक टेक्टॉनिक हलचल के कारण बहुत सारी ऊर्जा जमा हो गई है।

इसलिए, इन क्षेत्रों में ऊर्जा व्यय करने के लिए छोटे या बड़े भूकंप आ रहे हैं, जो सामान्य है। दुनिया की सबसे नयी पर्वत श्रृंखला हिमालय यूरेशियाई प्लेट, इसके दक्षिणी किनारे पर तिब्बत और भारतीय महाद्वीपीय प्लेट के टकराव के परिणामस्वरूप बनी और सदियों से टेक्टॉनिक गतिविधियों से विकसित हो रही है।

ये प्लेट हर 100 साल में दो मीटर आगे बढ़ती हैं जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के अंदर सक्रिय भूगर्भिक दोषों में संग्रहीत ऊर्जा अचानक मुक्त हो जाती है जिससे भूपर्पटी में हलचल होती है। भूकंप निगरानी और अनुसंधान केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक एक जनवरी 2023 से अब तक नेपाल में 4.0 और उससे अधिक तीव्रता के कुल 70 भूकंप आए हैं।

इनमें से 13 की तीव्रता पांच से छह के बीच थी जबकि तीन की तीव्रता 6.0 से ऊपर थी। कोइराला ने बताया कि टेक्टॉनिक प्लेट की गति के माध्यम से एकत्रित ऊर्जा को मुक्त करने के लिए सदियों से हर दिन दो या दो से अधिक तीव्रता के भूकंप आते रहे हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि भविष्य में पश्चिमी नेपाल में बड़े भूकंप आने की आशंका है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दो से तीन दशक तक जाजरकोट इलाके में बड़े या मध्यम दर्जे का भूकंप नहीं आया है, लेकिन हम पूर्वानुमान नहीं लगा सकते है कि कब और कितने बड़े स्तर पर भूकंप आएगा? ’’ 

नेपाल में शुक्रवार आधी रात से ठीक पहले आए 6.4 तीव्रता वाले भूकंप के तेज झटकों के कारण हिमालयी देश के सुदूर पर्वतीय क्षेत्र में कम से कम 140 लोगों की मौत हो गई, 150 अन्य लोग घायल हो गए और सैकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हो गए। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। यह नेपाल में 2015 के बाद सबसे विनाशकारी भूकंप है।

राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र के अनुसार, भूकंप शुक्रवार को आधी रात 11 बजकर 47 मिनट पर आया, जिसका केंद्र जाजरकोट जिले में था। यह स्थान राजधानी काठमांडू से करीब 500 किलोमीटर पश्चिम में है।

नेपाल में 2015 में 7.8 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद आए झटकों के कारण लगभग 9,000 लोगों की मौत हो गई थी और 22,000 से अधिक लोग घायल हो गए थे। हालिया भूकंप 2015 के बाद से देश में आया सबसे विनाशकारी भूकंप है। भूकंप का असर काठमांडू और इसके आसपास के जिलों और यहां तक कि पड़ोसी देश भारत की राजधानी नयी दिल्ली तक में महसूस किया गया।

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