सोशल मीडिया पर टीकों को लेकर गलत सूचनाएं फैलाने वालों की पहचान कर उन्हें ब्लॉक करने की जरूरत

By भाषा | Updated: August 1, 2021 17:14 IST2021-08-01T17:14:37+5:302021-08-01T17:14:37+5:30

Need to identify and block those spreading misinformation about vaccines on social media | सोशल मीडिया पर टीकों को लेकर गलत सूचनाएं फैलाने वालों की पहचान कर उन्हें ब्लॉक करने की जरूरत

सोशल मीडिया पर टीकों को लेकर गलत सूचनाएं फैलाने वालों की पहचान कर उन्हें ब्लॉक करने की जरूरत

अंजना सुसरला, ओमुरा-सक्सेना प्रोफेसर ऑफ रिसपॉनसिबल एआई, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी

लांसिंग (अमेरिका), एक अगस्त (द कन्वरसेशन) अमेरिका में आधी से भी कम आबादी का पूर्ण कोविड रोधी टीकाकरण होने और कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप देश में फैलने के बीच अमेरिका के सर्जन जनरल ने एक परामर्श जारी किया है जो गलत सूचना को जन स्वास्थ्य के लिए खतरा बताता है। परामर्श में कहा गया है कि गलत सूचनाओं से निपटने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा की गई कोशिशें बहुत कम हैं और बहुत देर से की गई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 से संबंधित ‘इंफोडेमिक’ (अविश्वनीय सूचना) को लेकर आगाह किया था जिसके एक साल से अधिक समय बाद यह परामर्श जारी किया गया है।

चिंतित होने का कारण है। ब्रिटेन और अमेरिका में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि कोविड-19 टीकाकरण को लेकर ऑनलाइन गलत सूचना की वजह से टीका लगवाने की बात करने वाले लोगों की संख्या कम हुई है जबकि टीका नहीं लगवाने की बात करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है।

सोशल मीडिया का अध्ययन करने वाले एक शोधकर्ता ने कहा कि वह उन तरीकों को बता सकते हैं जिसके तहत सोशल मीडिया कंपनियां शोधार्थियों के सहयोग से गलत सूचनाओं को रोकने के लिए व्यवस्था बना सकते हैं और टीके की विश्वसनीयता और स्वीकार्यता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। सरकार दखल दे सकती थी लेकिन सोशल मीडिया पर चिकित्सा से संबंधित गलत सूचना पर रोकथाम के लिए विधेयक जुलाई में लाया गया।

खतरा

गंभीर खतरा यह है कि फर्जी या झूठी खबर, सत्यापित और सूचना के विश्वसनीय स्रोत से निकले समाचार की तुलना में अधिक तेजी से फैलती है। टीका और मौत से जुड़े लेख उन सामग्री में अधिक रहे जिन्होंने लोगों को ज्यादा आर्कषित किया।

सोशल मीडिया पर चिकित्सा संबंधी गलत सूचनाएं फैलाने वाले व्यक्ति एवं समूह संगठित हैं। सोशल मीडिया को बड़े स्तर पर प्रभावित किया जा रहा है। रूसी अभियान कोविड-19 टीकों को लेकर दुष्प्रचार कर रहे हैं। शोधार्थियों ने पाया कि जो लोग कोरोना वायरस से संबंधित खबरों के लिए फेसबुक पर निर्भर करते हैं उनके उन लोगों की तुलना में टीका लगवाने की संभावना कम है जो कोविड से जुड़ी खबरें अन्य स्रोतों से पढ़ते या देखते हैं।

सोशल मीडिया कंपनियों ने कोविड-19 से संबंधित गलत सूचनाओं को तेजी से चिन्हित किया है और उन्हें हटाया है। लेकिन टीके के दुष्प्रभावों को लेकर बनाए जा रहे किस्से ज्यादा घातक है क्योंकि साजिश रचने वाले लोग गलत सूचनाओं को भले ही न फैला रहे हों लेकिन वे चुनिंदा तरीके से टीके के दुष्प्रभावों या जोखिमों को विकृत करने में मसरूफ हैं।

ये प्रयास सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार की एक विकसित व्यवस्था का हिस्सा हैं जो टीके का ऑफलाइन विरोध तक बढ़ा है।

सोशल मीडिया पर गलत सूचना भी टीका असमानताओं को बढ़ावा दे सकती हैं। अब तक कोविड-19 टीका लगवाने वाले लोगों में नस्लीय असमानताएं देखने को मिली हैं।

ये रहे दो अहम कदम जो सोशल मीडिया कंपनियां टीके से संबंधित गलत सूचनाओं को कम करने के लिए उठा सकती हैं।

गलत सूचनाएं फैलाने वाले ज्ञात स्रोतों को ब्लॉक करना। टीका विरोधी हैशटैग चलाए गए हैं जिनमें ‘ वैक्सीन किल’ यानी ‘टीका जान लेता है’ शामिल है। हालांकि इंस्टाग्राम ने इसे काफी पहले ब्लॉक कर दिया था लेकिन यह जुलाई 2021 तक फेसबुक पर था। टीकों के अलावा, कोविड-19 रोकथाम, इलाज को लेकर भी गलत सूचनाएं फैलाई गई हैं जिनमें मास्क लगाने के स्वस्थ फायदे को लेकर फैलाई गई गलत सूचना शामिल है।

ट्विटर ने हाल में अमेरिकी सांसद मार्जोरी टेलर ग्रीन का अकाउंट कोविड को लेकर गलत सूचना वाला पोस्ट करने के लिए कुछ दिनों के लिए निलंबित कर दिया था। मगर सोशल मीडिया कंपनियां गलत सूचनाओं का प्रसार करने वाले लोगों को ब्लॉक करने के लिए बहुत कुछ कर सकती हैं। रिपोर्ट संकेत देती हैं कि फेसबुक और ट्विटर पर टीकों से संबंधित ज्यादातर गलत सूचनाएं एक दर्जन लोगों ने फैलाई हैं जो अब भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। इस सूची में कारोबारी और चिकित्सक जोसेफ मेरोकल और टीका विरोधी कार्यकर्ता रोबर्ट एफ. केनेडी जूनियर शामिल हैं।

सोशल मीडिया मंचों को जरूरत है कि वे नुकसान पहुंचाने वाली सामग्री को तेज़ी से चिन्हित करें और टीकों से संबंधित गलत सूचनाएं फैलाने वाले लोगों को अपने मंचों से हटाएं।

फेसबुक ने दावा किया है कि उसने कोविड से संबंधित गलत जानकारी देने वाले 1.8 करोड़ पोस्ट हटाए हैं। हालांकि कंपनी अपने मंच पर गलत सूचनाओं को लेकर आंकड़े साझा नहीं करती है।

शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को यह नहीं पता है कि सोशल मीडिया पर टीके से संबंधित कितनी गलत सूचनाएं हैं और कितने लोग गलत सूचनाएं देख और साझा कर रहे हैं।

सोशल मीडिया कंपनियां स्वास्थ्य संगठनों, चिकित्सा जर्नलों और शोधकर्ताओं के साथ साझेदारी कर सकती हैं ताकि चिकित्सा संबंधी गलत सूचनाओं की अधिक गहनता और विश्वसनीयता से पहचान की जा सके।

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Web Title: Need to identify and block those spreading misinformation about vaccines on social media

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