वॉशिंगटन: आखिरकार चांद की सतह पर पानी मिल गया है. इस दिशा में लंबे समय से खोज कर रही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रमा की सतह पर पानी होने की पुष्टि होने का ऐलान किया. नासा ने बताया कि चंद्रमा की सतह पर सूरज की किरणें पड़ने वाले क्षेत्र में यह पानी खोजा गया है.
नासा की स्ट्रेटोस्फेरिक ऑब्जरवेटरी फॉर इन्फ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने यह महत्वपूर्ण खोज की है. वॉशिंगटन में नासा मुख्यालय में विज्ञान मिशन निदेशालय में एस्ट्रोफिजिक्स डिवीजन के निदेशक पॉल हर्ट्ज ने कहा, ''हमारे पास पहले से संकेत थे कि चंद्रमा की सतह पर सूर्य की ओर पानी मौजूद हो सकता है. अब हम यह स्पष्ट रूप से जानते हैं कि पानी वहां है.''
उन्होंने कहा, ''यह खोज चंद्रमा की सतह की हमारी समझ को चुनौती देती है. इससे हमें और गहन अंतरिक्ष अन्वेषण करने की प्रेरणा मिलती है.''
सबसे बड़े क्रेटर पर मिला पानी
सोफिया ने इस अहम खोज के तहत चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित और पृथ्वी से नजर आने वाले सबसे बड़े क्रेटर (गड्ढे) में से एक क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं का पता लगाया है.
इससे पहले के अध्ययनों में चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोजन के कुछ स्वरूप की जानकारी मिली थी, लेकिन पानी और हाइड्रॉक्सिल की खोज नहीं हो सकी थी.
नासा की योजना चांद पर मानव बस्तियां बसाने की है. नासा पहले से ही अपने आर्टेमिस कार्यक्रम के जरिए वर्ष 2024 तक चांद की सतह पर मानव मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है. इसके जरिए चांद की सतह पर मानवीय गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा.