आर्कटिक सागर में कुल हिम क्षरण संबंधी घटनाक्रम को नासा के वैज्ञानिकों ने समझाया
By भाषा | Updated: September 24, 2021 17:31 IST2021-09-24T17:31:57+5:302021-09-24T17:31:57+5:30

आर्कटिक सागर में कुल हिम क्षरण संबंधी घटनाक्रम को नासा के वैज्ञानिकों ने समझाया
(एलेक पेटी, लिनेट बोइसवर्ट, नासा)
वाशिंगटन, 24 सितंबर (कन्वरसेशन) सितंबर समुद्र में गर्मी की वजह से बर्फ पिघलने के मौसम का अंतिम महीना होने के साथ ही वह समय होता है जब आर्कटिक सागर में बर्फ न्यूनतम होती है तथा जब उत्तरी गोलार्ध सागर में समुद्री बर्फ साल में सबसे न्यूनतम होती है।
इस दौरान जहाजों के कप्तानों को समूचे आर्कटिक सागर में नौवहन करने की उम्मीद होती है, यह खास तौर पर इस कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ मौका होता है, विशेषकर हाल के वर्षों में ऐसा रहा है। इस क्षेत्र में बर्फ का दायरा 1980 के दशक के बाद से लगभग आधा कम हो चुका है जो मानव गतिविधियों से बढ़े कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन का सीधा परिणाम है।
नासा के वैज्ञानिक के रूप में हम समुद्र में बर्फ की स्थिति में बदलाव के कारणों और परिणामों का विश्लेषण करते हैं। साल 2021 में आर्कटिक सागर में बर्फ का दायरा 16 सितंबर को अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। बर्फ पिघलने के मौसम में जलवायु परिवर्तन के चलते आर्कटिक सागर में अंधाधुंध हिम क्षरण पर एक नजर डालते हैं।
आर्कटिक गर्म हो रहा है
संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतर सरकारी समिति के नवीनतम जलवायु आकलन के अनुसार, वार्षिक औसत के हिसाब से हाल के वर्षों में 1850 के बाद से आकर्टिक सागर में हिम स्तर सबसे कम रहा है और गर्मियों की समापन अवधि के हिसाब से यह 1000 साल में सबसे कम रहा है। आईपीसीसी की रिपोर्ट में कहा गया था, ‘‘आर्कटिक 2050 से पहले सितंबर माह में व्यावहारिक तौर पर समुद्री बर्फ विहीन हो सकता है।’’
साल 2021 में समुद्री बर्फ को क्या हुआ?
इस साल समुद्री बर्फ के न्यूनतम होने के कारण पिछली सर्दियों में ही उत्पन्न हो गए थे। आर्कटिक में प्रतिकूल उच्च दबाव प्रणाली और मजबूत दक्षिणावर्त हवाएं उत्पन्न हुईं जिसकी वजह से मध्य आर्कटिक की सर्वाधिक मोटी, पुरानी बर्फ के अलास्का के उत्तर में ब्यूफोर्ट सागर में जाने की स्थितियां उत्पन्न हुईं। समुद्री बर्फ वैज्ञानिक इस पर नजर रख रहे थे।
बर्फ का ग्रीष्मकालीन पिघलाव मई के आरंभ में ही शुरू हो गया, जब आर्कटिक में प्रवेश करने वाले कई चक्रवात आए। इससे समुद्री बर्फ के जगह से हटने की स्थिति में वृद्धि हुई, लेकिन अपेक्षाकृत तापमान भी कम रहा, जिससे पिघलाव सीमित हुआ।
बर्फ के पिघलने की गति जून में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ी जिससे निम्न दबाव प्रणाली की स्थिति बनी और तापमान में औसत के मुकाबले कुछ डिग्री की वृद्धि हुई।
अगस्त में, हिम क्षरण में काफी कमी आई जब साइबेरिया तट पर स्थितियां गर्म रहीं, लेकिन अलास्का के उत्तर में तापमान ठंडा रहा।
बर्फ पिघलने के मौसम में इस चरण में समुद्री बर्फ अत्यंत कमजोर रहती है और मौसम परिस्थितियों का इस पर असर पड़ता है। गर्मियों के मौसम से संबंधित घटनाक्रम का संबंध 2007 और 2012 में समुद्री बर्फ कम रहने से रहा है। (2102 का ग्रेट आर्कटिक साइक्लोन) एक रोचक उदाहरण है।
आर्कटिक समुद्री बर्फ 16 सितंबर 2021 को न्यूनतम सीमा तक पहुंच गई, जिसका दायरा 47.200 लाख वर्ग किलोमीटर (18.2 लाख वर्ग मील) में रहा है, जो रिकॉर्ड में 12वीं बार सबसे कम है।
जैसे-जैसे आने वाले हफ्तों में सूरज की रोशनी कम होगी और तापमान में गिरावट आएगी, आर्कटिक समुद्री बर्फ फिर से जमने लगेगी। समुद्री परत मोटी और विस्तारित होगी।
समुद्री बर्फ वैज्ञानिक इन विभिन्न प्रक्रियाओं को समझने और हमारे भविष्य के मॉडल में सुधार करने की कोशिश के दौरान कड़ी मेहनत कर रहे हैं। समुद्री बर्फ के हृास को समझने के लिए पहेली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बर्फ की मोटाई है।
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