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सूरज को छूने निकला नासा का 'पार्कर सोलर प्रोब', खोलेगा कई अनसुलझे रहस्य

By आदित्य द्विवेदी | Updated: August 12, 2018 15:42 IST

नासा ने रविवार तड़के लॉन्च किया 'पार्कर सोलर प्रोब'। इसे शनिवार को लॉन्च किया जाना था लेकिन तकनीकी गड़बड़ी की वजह से लॉन्चिंग टाल दी गई थी।

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वाशिंगटन, 12 अगस्तः अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सूरज पर केंद्रित अपना पहला मिशन 'पार्कर सोलर प्रोब' लॉन्च कर दिया है। सूर्य के प्रचंड तापमान वाले वातावरण को टटोलने और इस तक मानवों के पहले मिशन के उद्देश्य से डेढ अरब डॉलर के नासा के अंतरिक्षयान का सफल प्रक्षेपण हो गया। इसे फ्लोरिडा के केप केनवरल से डेल्टा 4 हैवी रॉक्टे के साथ प्रक्षेपित किया गया। इस यान का मुख्य लक्ष्य सूर्य की सतह के आसपास के असामान्य वातावरण के गूढ रहस्यों का पता लगाना है। इस यान को रविवार को अमेरिका के समयानुसार तड़के 3 बजकर 31 मिनट पर लॉन्च किया गया।

अद्भुत ऊष्मा रोधी शील्ड से सुरक्षित

सूर्य की सतह के ऊपर का क्षेत्र (कोरोना) का तापमान सूर्य की सतह के तापमान से करीब 300 गुना ज्यादा है। मिशीगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और परियोजना वैज्ञानिकों में शामिल जस्टिन कास्पर ने कहा, ‘‘पारकर सोलर प्रोब हमें इस बारे में पूर्वानुमान लगाने में बेहतर मदद करेगा कि सौर हवाओं में विचलन कब पृथ्वी को प्रभावित कर सकता है।’’ इस यान को केवल साढे चार इंच (11.43 सेंटीमीटर) मोटी ऊष्मा रोधी शील्ड से सुरक्षित किया गया है जो इसे सूर्य के तापमान से बचाएगी।

इस प्रोजेक्ट पर 103 अरब रुपये खर्च

यह यान अगले 7 सालों में सूरज के 7 चक्कर लगाएगा। धरती और सूरज के बीच औसत दूरी 9 करोड़ 30 लाख मील है। यह मिशन सूरज के वायुमंडल जिसे कोरोना कहते हैं, का विस्तृत अध्ययन करेगा। इस प्रॉजेक्ट पर नासा ने 103 अरब रुपये खर्च किए हैं। यह यान 9 फीट 10 इंच लंबा है और इसका वजन 612 किलोग्राम है। इस यान को बेहद शक्तिशाली हीट शील्ड से सुरक्षित किया गया है ताकि यह सूरज के पास ताप को झेल सके और धरती की तुलना में 500 गुना ज्यादा रेडिएशन झेल सके। यह कार्बन शील्ड 11.43 सेंटी मीटर मोटी है।

विमान के साथ भेजे गए 11 लाख नाम

इस मिशन का नाम अमेरिकी सौर खगोलशास्त्री यूजीन नेवमैन पार्कर के नाम पर रखा गया है। पार्कर ने ही 1958 में पहली बार अनुमान लगाया था कि सौर हवाएं होती हैं। इस यान के साथ करीब 11 लाख लोगों के नाम भी सूरज तक पहुंचेंगे। इसी साल मार्च में नासा ने अपने ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बनने के लिए लोगों से नाम मंगाए थे। नासा ने बताया था कि मई तक करीब 11 लाख 37 हजार 202 नाम उन्हें मिले थे, जिन्हे मेमरी कार्ड के जरिए यान के साथ भेजा गया है।

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