म्यांमा की अदालत ने अपदस्थ नेता सू ची को चार साल कैद की सजा सुनाई
By भाषा | Updated: December 6, 2021 22:18 IST2021-12-06T22:18:54+5:302021-12-06T22:18:54+5:30

म्यांमा की अदालत ने अपदस्थ नेता सू ची को चार साल कैद की सजा सुनाई
बैंकॉक, छह दिसंबर (एपी) म्यांमा की राजधानी में एक विशेष अदालत ने देश की अपदस्थ नेता आंग सान सू ची को लोगों को उकसाने और कोरोना वायरस संबंधी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का दोषी करार देते हुए सोमवार को चार साल कैद की सजा सुनाई। एक कानूनी अधिकारी ने यह जानकारी दी।
इस फैसले की दुनियाभर में निंदा हो रही है तथा इसे लोकतंत्र के लिए एक और बड़ा झटका माना जा रहा है।
हालांकि, सजा के फैसले के कुछ घंटे बाद सरकारी टेलीविजन ने खबर दी कि सू ची की सजा क्षमादान के तहत घटाकर दो साल कर दी गई है। इसने संकेत दिया कि उन्हें यह सजा जेल में नहीं, बल्कि वहीं काटनी होगी, जहां उन्हें फिलहाल हिरासत में रखा गया है।
देश की सत्ता पर एक फरवरी को सेना के कब्जे के बाद से, 76 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता पर चलाए जा रहे कई मुकदमों में से यह पहला फैसला है। सैन्य तख्तापलट ने उनकी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी की सरकार को अपना पांच साल का दूसरा कार्यकाल शुरू करने से रोक दिया था। अगले सप्ताह की शुरुआत में अन्य आरोपों के सिलसिले में अपदस्थ नेता को फैसले का सामना करना पड़ सकता है।
अगर वह सभी मामलों में दोषी पाई जाती हैं, तो उन्हें 100 साल से अधिक की जेल की सजा हो सकती है। लोकतंत्र के लिए अपने लंबे संघर्ष में, उन्होंने 1989 से शुरू करते हुए अब तक 15 साल तक नजरबंदी में बिताए हैं।
अधिकारी ने यह भी कहा कि अदालत ने कहा है कि सू ची को उकसाने के मामले में हिरासत में पहले से ही बिताए गए 10 महीने का समय सजा से कम किया जाएगा।
सजा पर तुरंत ही कठोर आलोचनात्मक प्रतिक्रियाएं दी जाने लगीं। म्यांमा में मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की पूर्व विशेष अधिकारी यांगी ली ने आरोपों के साथ-साथ फैसले को "बकवास" बताया। उन्होंने कहा कि देश में कोई भी मुकदमा अनुचित है, क्योंकि न्यायपालिका सैन्य-स्थापित सरकार के अधीन है।
अधिकार समूहों ने भी फैसले की निंदा की। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे "म्यांमा में सभी विरोधों को खत्म करने और स्वतंत्रता का दम घोंटने के लिए सेना के दृढ़ संकल्प का नवीनतम उदाहरण" कहा।
म्यांमा के सैन्य नेताओं के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे पड़ोसी चीन ने सू ची के खिलाफ फैसले की आलोचना करने से इनकार कर दिया।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने सोमवार को संवाददाताओं से सिर्फ यह कहा, "चीन को उम्मीद है कि म्यांमा में सभी पक्ष देश के दीर्घकालिक हितों, संकीर्ण मतभेदों को ध्यान में रखेंगे और मुश्किल से प्राप्त लोकतांत्रिक परिवर्तन प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे।"
सू ची के खिलाफ उकसावे का यह मामला, उनकी पार्टी के फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए बयान से जुड़ा हुआ है, जब कि उन्हें और पार्टी के अन्य नेताओं को सेना ने पहले ही हिरासत में ले लिया था। कोरोना वायरस प्रतिबंध उल्लंघन का आरोप पिछले साल नवंबर में चुनाव से पहले एक अभियान में उनकी उपस्थिति से जुड़ा था। चुनाव में उनकी पार्टी ने भारी जीत हासिल की थी।
सेना, जिसकी सहयोगी पार्टी चुनाव में कई सीट हार गई, उसने बड़े पैमाने पर मतदान धोखाधड़ी का आरोप लगाया था, लेकिन स्वतंत्र चुनाव पर्यवेक्षकों ने किसी भी बड़ी अनियमितता की बात नहीं कही।
सू ची के मुकदमे की सुनवाई मीडिया और दर्शकों के लिए बंद हैं, और उनके वकीलों, जो कार्यवाही पर जानकारी का एकमात्र स्रोत हैं, उन्हें अक्टूबर में जानकारी जारी करने से मना करने के आदेश दिए गए थे।
कानूनी अधिकारी ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील आने वाले दिनों में सू ची और सोमवार को दोषी ठहराए गए दो सहयोगियों के लिए भी अपील दायर कर सकते हैं।
सू ची के खिलाफ मामलों को व्यापक रूप से उन्हें बदनाम करने और अगले चुनाव में उनके भाग लेने से रोकने की साजिश के रूप में देखा जा रहा है। देश का संविधान किसी को भी दोषी ठहराकर जेल भेजे जाने के बाद उच्च पद हासिल करने या जन प्रतिनिधि बनने से रोकता है।
सैन्य तख्तापलट के 10 महीने बाद भी सैन्य शासन का मजबूती से विरोध जारी है और इस फैसले से तनाव और भी बढ़ सकता है।
सैन्य सरकार के खिलाफ रविवार को विरोध मार्च निकाला गया और सू ची और उनकी सरकार के हिरासत में लिए गए अन्य सदस्यों की रिहाई की मांग की गई।
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