लाइव न्यूज़ :

कोविड-19 संकट के बावजूद 2020 में दुनियाभर में लाखों लोग विस्थापित हुए : संरा

By भाषा | Updated: June 18, 2021 17:52 IST

Open in App

जिनेवा, 18 जून (एपी) संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि कोविड-19 संकट के कारण दुनियाभर में लोगों की आवाजाही बाधित होने के बावजूद युद्ध, हिंसा, उत्पीड़न और मानवाधिकार उल्लंघनों और अन्य कारणों से पिछले साल करीब 30 लाख लोगों को अपने घरों को छोड़कर भागना पड़ा।

यूएनएचआरसी ने शुक्रवार को जारी अपनी ताजा ‘ग्लोबल ट्रेंड्स’ रिपोर्ट में कहा कि दुनियाभर में विस्थापितों की कुल संख्या बढ़कर 8.24 करोड़ हो गयी है जो करीब-करीब जर्मनी की आबादी जितनी है और यह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद नया रिकार्ड है।

संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थियों के लिए उच्चायुक्त फिलिप्पो ग्रांदी ने कहा कि मोजाम्बिक, इथियोपिया के टिग्रे क्षेत्र और अफ्रीका के साहेल इलाके जैसे स्थानों में संघर्ष और जलवायु परिवर्तन का असर 2020 में शरणार्थियों के विस्थापन की मुख्य वजहों में से एक है। लगातार नौवें साल मजबूरन विस्थापितों की संख्या में वार्षिक वृद्धि हुई है।

ग्रांदी ने रिपोर्ट के जारी होने से पहले एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ऐसे साल में जब हम सभी अपने शहरों, समुदायों में अपने घरों तक सिमटकर रह गए तो लगभग 30 लाख लोगों को असल में विस्थापित होना पड़ा क्योंकि उनके पास कोई और विकल्प नहीं था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि कोविड-19 का उन कुछ प्रमुख मूल कारणों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, जो लोगों को भागने के लिए मजबूर करते हैं। युद्ध, हिंसा, भेदभाव, महामारी के दौरान जारी रहे।’’

यूएनएचसीआर ने कहा कि पूरी मानवता में से अब एक प्रतिशत विस्थापित हो गए हैं और एक दशक पहले की तुलना में दोगुने जबरन विस्थापित लोग हैं। उनमें से कुछ 42 प्रतिशत की आयु 18 वर्ष से कम है और लगभग 10 लाख बच्चे 2018 और 2020 के बीच शरणार्थी के रूप में पैदा हुए।

एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘उनमें से कई आने वाले वर्षों तक शरणार्थी बने रह सकते हैं।’’

यूएनएचसीआर ने कहा कि 160 से अधिक देशों में से 99 देशों ने कोविड-19 के कारण अपनी सीमाओं को बंद कर दिया। ग्रांदी ने कहा कि अपने देश में ही विस्थापित हुए लोग एक बार सीमाएं खुलने के बाद विदेश भागेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘इसका अच्छा उदाहरण अमेरिका है जहां हाल के महीनों में हमने बड़ी संख्या में लोगों को आते देखा है।’’

अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की हाल की मध्य अमेरिका की यात्रा के दौरान शरणार्थियों को लेकर की गई टिप्पणी पर ग्रांदी ने उम्मीद जतायी कि यह टिप्पणी संभवत: अमेरिका की संपूर्ण नीति को नहीं दर्शाती। हैरिस ने अमेरिका में प्रवास करने की उम्मीद कर रहे लोगों से कहा था "मत आओ"।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतमध्य प्रदेश: '2047 तक प्रदेश की इकोनॉमी 2.5 ट्रिलियन डॉलर होगी', मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा के विशेष सत्र को किया संबोधित

क्रिकेटU19 Asia Cup 2025: श्रीलंका को हराकर अंडर-19 एशिया कप के फाइनल में पहुँचा भारत, PAK से होगी खिताबी जंग

भारतBMC छोड़ सभी निकायों में सीट बंटवारा पूरा?, राज और उद्धव ठाकरे में गठजोड़, ऐलान 20-25 दिसंबर के बीच

भारतNagpur Solar Plant: पानी की टंकी गिरने से 6 लोगों की मौत

कारोबारगृह मंत्री की डेड लाइन से पहले हमने खत्म कर दिया नक्सलवाद, नक्सलियों के पास थे पाकिस्तानी सेना जैसे हथियार?, सीएम मोहन यादव ने विधानसभा में रखे विचार

विश्व अधिक खबरें

विश्वBangladesh Protests: तुम कौन हो, मैं कौन हूं - हादी, हादी, बांग्लादेश में प्रदर्शन तेज, करोड़ों का नुकसान, वीडियो

विश्वयुवा नेता की मौत से फिर सुलग उठा बांग्लादेश, भारतीय दूतावास पर फेंके गए पत्थर; प्रमुख मीडिया कार्यालयों में लगाई आग

विश्व‘ऑर्डर ऑफ ओमान’ सम्मान से नवाजा?, पीएम मोदी को अब तक दूसरे देशों में 28 से अधिक उच्चतम नागरिक सम्मान, देखिए लिस्ट

विश्वभगोड़े मेहुल चोकसी को बेल्जियम कोर्ट से नहीं मिली राहत, सर्वोच्च अदालत ने भारत प्रत्यर्पण दी की मंजूरी

विश्व1 जनवरी 2026 से लागू, 20 और देशों पर यात्रा प्रतिबंध?, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा, देखिए सूची