लाइव न्यूज़ :

‘तालिबान प्रशासन के कई नाम संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में, सुरक्षा परिषद को सोचने होंगे कदम’

By भाषा | Updated: September 10, 2021 23:26 IST

Open in App

संयुक्त राष्ट्र, 10 सितंबर संयुक्त राष्ट्र की एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान में प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री समेत तालिबान प्रशासन के अनेक सदस्यों के नाम संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल हैं और सुरक्षा परिषद को प्रतिबंधों की सूची पर कदमों को लेकर फैसला करने की जरूरत है। अधिकारी ने चेतावनी दी कि आईएसआईएल-के सक्रिय बना हुआ है और फिर से मुंह उठा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की अफगानिस्तान के लिए विशेष प्रतिनिधि और अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन की प्रमुख देबोरा लियोन्स ने कहा, ‘‘हमारे सामने दो दिन पहले तालिबान द्वारा घोषित प्रशासन है।’’

उन्होंने कहा कि सबको साथ लेकर चलने की उम्मीद करनेवाले निराश होंगे क्योंकि सूची में किसी महिला का नाम नहीं है तथा कोई गैर-तालिबान सदस्य नहीं हैं, पिछली सरकार से कोई नहीं है और न ही अल्पसंख्यक समूह का कोई नेता है।

लियोन्स ने बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान पर सुरक्षा परिषद की चर्चा में कहा कि मौजूदा शासन में 1996 से 2001 के बीच तालिबान नेतृत्व में शामिल रहे कई लोग हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यहां बैठे लोगों के लिए उन 33 नामों का तात्कालिक और व्यावहारिक महत्व क्या है जिनमें से अधिकतर संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में हैं और इनमें वहां के प्रधानमंत्री, दो उपप्रधानमंत्री तथा विदेश मंत्री भी हैं। आप सभी को फैसला लेना होगा कि पाबंदी सूची के संबंध में क्या कदम उठाने हैं और भविष्य की साझेदारी पर क्या असर होगा।’’

तालिबान ने अपनी प्रभावशाली ‘रहबरी शूरा’ के प्रमुख मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के नेतृत्व में कट्टरपंथी अंतरिम सरकार की घोषणा की है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी सिराजुद्दीन हक्कानी भी अंतरिम तालिबान सरकार में शामिल है। हक्कानी नेटवर्क को बनाने वाले जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा और वैश्विक रूप से घोषित आतंकवादी सिराजुद्दीन हक्कानी को तालिबान सरकार में नया कार्यवाहक गृह मंत्री बनाया गया है।

लियोन्स ने कहा कि नयी हकीकत यह है कि लाखों अफगानों की जिंदगी इस बात पर निर्भर करेगी कि तालिबान किस तरह शासन चलाना पसंद करेगा।

उन्होंने आगाह किया कि अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम का असर उसकी सीमाओं के परे भी महसूस किया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के कई पड़ोसी देशों को डर है कि तालिबान के शासन से उनकी खुद की सुरक्षा किस तरह प्रभावित होगी। उन्हें एक विस्तारित इस्लामिक स्टेट के असर को लेकर आशंकाए हैं जिसे तालिबान नियंत्रित नहीं कर सकता। उन्हें उनकी सीमाओं पर बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने की आशंका है। उन्हें अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में हथियार छूटने के नतीजों को लेकर डर है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

टीवी तड़काBigg Boss 19 grand finale: 'ट्रॉफी बिलॉन्ग्स टू अमाल' हुआ ट्रेंड, बड़ी संख्या में नेटिज़न्स ने कंपोज़र अमाल मलिक किया सपोर्ट

स्वास्थ्य1,738 पुरुषों की जांच, क्या दवा हिंसा और घरेलू हिंसा को कम कर सकती?, देखिए रिपोर्ट में बेहद दिलचस्प खुलासा

क्रिकेटआईपीएल की मेजबानी जारी रखेगा चिन्नास्वामी स्टेडियम, डीके शिवकुमार ने कहा-मैं क्रिकेट प्रेमी हूं, दुर्घटना दोबारा न हो

भारत32000 छात्र ले रहे थे शिक्षा, कामिल और फाजिल की डिग्रियां ‘असंवैधानिक’?, सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद नए विकल्प तलाश रहे छात्र

कारोबारगोल्ड में पैसा लगाओ और मालामाल हो जाओ?, सोने की चमक बरकरार, 67 प्रतिशत का रिटर्न, 2026 में सोने की कीमत 5 से 16 प्रतिशत प्रति 10 ग्राम और चढ़ सकती?

विश्व अधिक खबरें

विश्व‘बार’ में गोलीबारी और तीन बच्चों समेत 11 की मौत, 14 घायल

विश्वड्रोन हमले में 33 बच्चों सहित 50 लोगों की मौत, आरएसएफ और सूडानी सेना के बीच जारी जंग

विश्वFrance: क्रिसमस इवेंट के दौरान ग्वाडेलोप में हादसा, भीड़ पर चढ़ी कार; 10 की मौत

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

विश्वअड़चनों के बीच रूस के साथ संतुलन साधने की कवायद