लाइव न्यूज़ :

Lebanon rescue operations: इमरजेंसी लागू, 137 लोगों की मौत, 5,000 से ज्यादा घायल, 14 अरब डॉलर का नुकसान, 3,00,000 बेघर

By भाषा | Updated: August 6, 2020 17:00 IST

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस भीषण विस्फोट के कारण अब तक 137 लोगों की मौत हो चुकी है और 5,000 से ज्यादा घायल है। लोगों का गुस्सा सत्तारूढ़ उच्चवर्ग के खिलाफ बढ़ गया है। उनका मानना है कि लगातार कुप्रबंधन और लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ।

Open in App
ठळक मुद्देबेरूत का बंदरगाह और राजस्व कार्यालय लेबनान की सबसे भ्रष्ट संस्थाओं के रूप में कुख्यात है। 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट छह वर्षों से कैसे यहां जमा होता रहा और इसके बारे में कुछ क्यों नहीं किया गया।अल-हदात को बताया कि इस विस्फोट से 10 अरब डॉलर से लेकर 14 अरब डॉलर तक का नुकसान हुआ है और करीब 3,00,000 लोग बेघर हो गए हैं।

बेरूतः लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए भयानक विस्फोट मामले के जांचकर्ता बंदरगाह के मालगोदाम में विस्फोटक पदार्थ रखे जाने में संभावित लापरवाही की जांच कर रहे हैं और सरकार ने बंदरगाह के कई अधिकारियों को नजरबंद करने के आदेश दिए हैं।

लेबनान के नेता इस व्यापक क्षति से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस भीषण विस्फोट के कारण अब तक 137 लोगों की मौत हो चुकी है और 5,000 से ज्यादा घायल है। लोगों का गुस्सा सत्तारूढ़ उच्चवर्ग के खिलाफ बढ़ गया है। उनका मानना है कि लगातार कुप्रबंधन और लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ।

बेरूत का बंदरगाह और राजस्व कार्यालय लेबनान की सबसे भ्रष्ट संस्थाओं के रूप में कुख्यात है। जांच इस पर केंद्रित है कि 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट छह वर्षों से कैसे यहां जमा होता रहा और इसके बारे में कुछ क्यों नहीं किया गया। यह एक उच्च विस्फोटक रसायन है जिसका इस्तेमाल उर्वरकों में किया जाता है।

विस्फोट के बाद हम आपके साथ हैं, यह जताने के लिए बेरुत पहुंचे मैक्रों

बेरुत के बंदरगाह पर हुए विस्फोट के बाद फ्रांस उनके साथ खड़ा है यह जताने के लिए राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों यहां आए हैं। फ्रांस और अन्य देशों ने आपात सहायता और खोज एवं बचाव दलों को यहां भेजा है। लेकिन पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे लेबनान को वापस खड़े करने के लिए बड़ी अंतरराष्ट्रीय मदद की जरुरत होगी।

विस्फोट में कम से कम 137 लोग मारे गए हैं, हजारों की संख्या में लोग घायल हैं और बेरुत का बंदरगाह बर्बाद हो गया है। गौरतलब है कि सरकार ने बुधवार को बंदरगाह के सभी अधिकारियों को नजरबंद कर दिया और इस भीषण विस्फोट की जांच के आदेश दिए।

वहीं बृहस्पतिवार को लेबनान की सेना ने अपने बुलडोजरों की मदद से मलबे को हटाया और बंदरगाह तबाह होने के कारण अवरुद्ध हो गई सड़कों को खोला। विस्फोट मंगलवार को हुआ था। ऐसा लग रहा है कि दुर्घटनावश लगी आग के कारण बंदरगाह पर रखे अमोनियम नाइट्रेट के जखीरे में विस्फोट हो गया और बंदरगाह पूरी तरह तबाह हो गया। दुर्घटना में कम से कम 137 लोग की मौत हुई है जबकि 5,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 

विस्फोट से 10 अरब डॉलर से लेकर 14 अरब डॉलर तक का नुकसान हुआ

बेरूत के गवर्नर मरवान अबौद ने सऊदी के मालिकाना हक वाले टीवी स्टेशन अल-हदात को बताया कि इस विस्फोट से 10 अरब डॉलर से लेकर 14 अरब डॉलर तक का नुकसान हुआ है और करीब 3,00,000 लोग बेघर हो गए हैं।

वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि लेबनान में हुआ विस्फोट जानबूझकर किया गया हमला हो सकता है। हालांकि लेबनान के अधिकारी और उसके रक्षा प्रमुख कह चुके हैं कि यह एक हादसा प्रतीत होता है।

ट्रंप ने जोर दिया, ‘‘जो भी हुआ, वह भयानक है, लेकिन वे नहीं जानते हैं कि यह क्या है।’’ ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि यह एक ‘भयानक हमला’ है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी जनरल ने उन्हें बताया कि यह एक बम की वजह से हुआ होगा। ट्रंप ने कहा, ‘’ वे इसे हमले के रूप में देखते हैं।’’ 

लेबनान सरकार ने दो हफ्तों के लिए आपातस्थिति की घोषणा की

लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए भीषण विस्फोट के बाद सरकार ने दो सप्ताह के लिए आपातस्थिति की घोषणा की है और इस दौरान सेना को व्यापक अधिकार प्रदान कर दिए गए हैं। सरकार ने बुधवार को कैबिनेट बैठक के बाद इसकी घोषणा की।

सरकार ने कहा कि बेरूत बंदरगाह के कई अधिकारियों को यह जांच होने तक नजरबंद किया जा रहा है कि 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट बंदरगाह तक कैसे लाया गया। माना जा रहा है कि लापरवाही के कारण विस्फोट हुआ। इस घटना में 137 से अधिक लोग मारे गए और करीब 54,000 लोग घायल हो गए। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने लेबनान के लोगों के प्रति संवेदना जतायी है। उन्होंने इस विनाशकारी विस्फोट के बाद देश में मानवीय सहायता भेजने की पेशकश की है।

दुनिया के कई देश लेबनान की मदद के लिए आगे आए

लेबनान की राजधानी बेरूत में भयानक विस्फोट के बाद जहां बचाव अभियान में जुटे कर्मी शवों की गिनती और मलबों में जिंदा लोगों की तलाश में जुटे हैं, वहीं कई देशों ने संकटग्रस्त देश की मदद के लिए हाथ बढ़या है। लेबनान पहले से ही आर्थिक संकट से गुजर रहा है और इस संकट में उसकी मुश्किल को और बढ़ा दिया है। इस विस्फोट से कम से कम 137 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों घायल हैं।

ऑस्ट्रेलिया से लेकर इंडोनेशिया और यूरोप से लेकर अमेरिका तक सहायता पहुंचाने और तलाश दल को भेजने के लिए तैयार हैं। फ्रांस और लेबनान के बीच विशेष संबंधों को प्रदर्शित करते हुए फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों बृहस्पतिवार को लेबनान का दौरा करने वाले हैं।

पेरिस ने बुधवार को विशेषजों, बचाव कर्मी और जरूरी आपूर्ति की दो खेप भेजी। वहीं, यूरोपीय संघ अपने नागरिक बचाव तंत्र का इस्तेमाल करके आपात कर्मियों और उपकरणों कों भेज रहा है। संघ के आयोग ने कहा कि उसकी योजना तत्काल वाहनों के साथ 100 दमकल कर्मियों, खोजी कुत्ते और उपकरण भेजने की है, ताकि शहरी क्षेत्र में फंसे लोगों का पता लगाया जा सके। चेक रिपब्लिक, जर्मनी, ग्रीस, पोलैंड और नीदरलैंड भी सहयोग के लिए आए हैं और कई अन्य देश में भी इस प्रयास में जुट सकते हैं।

साइप्रस भी बचाव कर्मियों का दल और खोजी कुत्ते भेज रहा है। रूस ने मोबाइल अस्पताल स्थापित किए हैं और 50 आपातकर्मी और चिकित्सा कर्मियों को भेजा है। इसके अलावा रूस के तीन और विमान अगले 24 घंटे में लेबनान पहुंचने वाले हैं।

वहीं ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने शुरुआत में 20 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की मदद लेबनान को देने का संकल्प लिया है, ताकि राहत कार्य में सहायता पहुंचाई जा सके। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा कि यह सहायता विश्व खाद्य कार्यक्रम और खाद्य, देखभाल और जरूरी सामान के लिए रेड क्रॉस को दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका देश अन्य खेप पर विचार कर रहा है।

लेबनान ने बेरूत बंदरगाह के कुछ अधिकारियों को नजरंबद किया

लेबनान की राजधानी बेरूत की बंदरगाह पर हुए भयंकर विस्फोट के कारण का सुराग हासिल करने के लिए बुधवार को जांचकर्ताओं ने मलबे की तलाशी लेना शुरू कर दी। वहीं सरकार ने बंदरगाह के अधिकारियों को जांच लंबित रहने तक नजरबंद कर दिया। लेबनान के नेता मंगलवार को हुए विस्फोट के बाद की स्थिति से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, इस बीच अंतरराष्ट्रीय सहायता उड़ानें पहुंचना शुरू हो गई हैं। देश पहले से आर्थिक संकट से जूझ रहा है और लोग आपदा के लिए लंबे अरसे से चले आ रहे कुप्रबंधन और सत्ताधारी लोगों में भ्रष्टाचार को जिम्मेदार बता रहे हैं।

 बेरूत के गवर्नर ने बुधवार को कहा कि हजारों लोग दो तीन महीने तक अपने घरों को नहीं लौट पाएंगे। इस बीच एक सरकारी पत्र ऑनलाइन साझा किया जा रहा है जिसमें सीमा शुल्क विभाग का प्रमुख चेतावनी दे रहा है कि बंदरगाह के हैंगर में रखे अमोनियम नाइट्रेट को हटा लिया जाए, नहीं तो इससे खतरा हो सकता है। साल 2013 में एक पोत से 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट जब्त किया गया था और तब से यह पोत पर ही रखा हुआ था। माना जाता है कि मंगलवार को इसके पास आग लगी जिससे इसमें विस्फोट हो गया।

वह कह रहे हैं कि इसी तरह के पांच पत्र 2014,2015 और 2016 में भेजे जा चुके हैं। सीमा शुल्क विभाग के प्रमुख द्वारा 2017 में एक न्यायाधीश को लिखे गए पत्र की तत्काल पुष्टि नहीं हो सकी है। अगर यह पत्र सही है तो यह उन लोगों के इस विश्वास को पक्का करेगा कि विस्फोट के लिए राजनीतिक वर्ग में व्याप्त कुप्रबंधन, लापरवाही और भ्रष्टाचार जिम्मेदार है। विस्फोट की वजह से 3.5 तीव्रता का भूकंप आ गया। शहर में 1975 से 1990 तक गृह युद्ध छिड़ा हुआ था और यह विस्फोट अबतक का सबसे भीषण था।

टॅग्स :अमेरिकासंयुक्त राष्ट्ररूसईरानइजराइलजर्मनीफ़्रांस
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वड्रोन हमले में 33 बच्चों सहित 50 लोगों की मौत, आरएसएफ और सूडानी सेना के बीच जारी जंग

विश्वFrance: क्रिसमस इवेंट के दौरान ग्वाडेलोप में हादसा, भीड़ पर चढ़ी कार; 10 की मौत

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतModi-Putin Talks: यूक्रेन के संकट पर बोले पीएम मोदी, बोले- भारत न्यूट्रल नहीं है...

विश्व अधिक खबरें

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

विश्वअड़चनों के बीच रूस के साथ संतुलन साधने की कवायद

विश्वलेफ्ट और राइट में उलझा यूरोप किधर जाएगा?

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए

विश्वएलन मस्क की चिंता और युद्ध की विभीषिका