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कोरियाई अदालत ने जापानी कंपनियों के खिलाफ बंधुआ मजदूरी का दावा खारिज किया

By भाषा | Updated: June 7, 2021 17:53 IST

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सोल, सात जून (एपी) दक्षिण कोरिया की एक अदालत ने दर्जनों श्रमिकों और उनके रिश्तेदारों के उस दावे को सोमवार को खारिज कर दिया जिसमें कोरिया के औपनिवेशिक कब्जे के दौरान बंधुआ मजदूरी को लेकर 16 जापानी कंपनियों से मुआवजे की मांग की गयी थी।

सोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का यह फैसला 2018 के देश के उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ प्रतीत होता है जिसमें निप्पॉन स्टील और मित्सुबिशी हैवी इंडस्ट्रीज को कोरिया के बंधुआ मजदूरों को मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।

यह फैसला काफी हद तक जापानी सरकार के उस रुख के अनुरूप है जिसमें जोर दिया जाता है कि दोनों देशों के बीच के संबंधों को सामान्य बनाने वाली 1965 की संधि के तहत सभी युद्धकालीन मुआवजों के मुद्दों को सुलझाया लिया गया था।

कुल 85 वादियों ने निप्पॉन स्टील, निसान केमिकल और मित्सुबिशी हैवी इंडस्ट्रीज सहित 16 जापानी कंपनियों से संयुक्त रूप से 8.6 अरब वॉन (77 करोड़ अमेरिकी डालर) मुआवजे की मांग की थी। वॉन दक्षिण कोरियाई मुद्रा है।

अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि 1965 की संधि के लागू होने के बाद दक्षिण कोरियाई नागरिक युद्धकालीन शिकायतों को लेकर जापानी सरकार या नागरिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते। अदालत ने कहा कि वादियों के दावे को मंजूरी देने से अंतरराष्ट्रीय कानूनी सिद्धांतों का उल्लंघन होगा और कोई भी देश किसी संधि का पालन नहीं करने के लिए घरेलू कानून का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

कुछ वादियों ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि उनकी योजना इस फैसले के खिलाफ अपील करने की है। उनमें से एक वादी ने कहा कि अदालत ने निराशाजनक फैसला दिया है।

वादी ने कहा, ‘‘क्या वे वास्तव में दक्षिण कोरियाई न्यायाधीश हैं? क्या यह वास्तव में दक्षिण कोरिया की अदालत है? हमें ऐसे देश या सरकार की जरूरत नहीं है जो अपने लोगों की रक्षा नहीं करे।"

यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस आदेश का अमेरिका के पूर्व घनिष्ठ सहयोगियों के बीच कूटनीतिक संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। मौजूदा अमेरिकी प्रशासन की ओर से दोनों देशों पर अपने संबंधों में सुधार लाने का दबाव है। ट्रंप प्रशासन के दौरान दोनों देशों के संबंध खराब हो गए थे।

दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वह अपनी घरेलू अदालतों के फैसलों का सम्मान करता है तथा ऐसे "तर्कसंगत" समाधान खोजने के लिए जापान के साथ बातचीत करने को तैयार है जिनसे दोनों सरकार और युद्ध पीड़ित संतुष्ट हो सकें।

जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव कात्सुनोबु कातो ने कहा कि उनका देश दक्षिण कोरिया के घटनाक्रम को नजदीक से देख रहा है। उन्होंने कहा कि उम्मीद की जाती है कि आपसी संबंधों में सुधार के लिए दक्षिण कोरिया जिम्मेदारीपूर्वक कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि कोरियाई बंधुआ मजदूरों और युद्ध के दौरान यौन गुलामों से जुड़े मुद्दों के कारण द्विपक्षीय संबंध अब भी "गंभीर स्थिति" में हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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