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तालिबान शासन में काबुल सिनेमा खामोश, भविष्य अनिश्चित

By भाषा | Updated: November 11, 2021 17:31 IST

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काबुल, 11 नवंबर (एपी) काबुल शहर में 1960 के दशक में खुले एरियाना सिनेमा हॉल में गतिविधियां अब थम चुकी हैं। दशकों से इस ऐतिहासिक सिनेमा हॉल ने अफगानों का मनोरंजन किया है और यह अफगानिस्तान के युद्धों, आशाओं और सांस्कृतिक बदलावों का साक्षी रहा है। तालिबान के आने के बाद अब बॉलीवुड फिल्मों और अमेरिकी एक्शन फिल्मों के पोस्टर हटा दिए गए हैं और गेट बंद हैं।

तीन महीने पहले सत्ता पर फिर से कब्जा करने के बाद तालिबान ने एरियाना और अन्य सिनेमाघरों को बंद करने का आदेश दिया। तालिबान शासकों का कहना है कि उन्होंने अभी यह तय नहीं किया है कि वे अफगानिस्तान में फिल्मों को प्रदर्शित करने की अनुमति देंगे या नहीं। देश के बाकी हिस्सों की तरह एरियाना भी अजीब असमंजस में है, यह देखने के लिए कि तालिबान का कैसा शासन होगा।

सिनेमा हॉल के लगभग 20 कर्मचारी अभी भी आते हैं। वह इस उम्मीद में अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं कि उन्हें उनका वेतन मिलेगा। ऐतिहासिक एरियाना सिनेमा हॉल राजधानी काबुल के चार सिनेमाघरों में से एक है। इस पर काबुल नगरपालिका का नियंत्रण है, इसलिए इसके कर्मचारी सरकारी कर्मचारी हैं और ‘पेरोल’ पर काम करते हैं।

एरियाना की निदेशक असिता फिरदौस (26) को भी सिनेमा हॉल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। फिरदौस इस पद पर नियुक्त पहली महिला अधिकारी थीं। तालिबान ने महिला सरकारी कर्मचारियों को अपने कार्यस्थलों से दूर रहने का आदेश दिया है ताकि वे पुरुषों के साथ घुलमिल न सकें जब तक कि वे यह निर्धारित नहीं कर लेते कि उन्हें काम करने की अनुमति दी जाएगी या नहीं। फिरदौस 2001 के बाद युवा अफगानों की उस पीढ़ी का हिस्सा हैं, जो महिलाओं के अधिकारों के लिए अधिक से अधिक जगह बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। तालिबान के शासन ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। फिरदौस ने कहा, ‘‘मैं केवल समय बिताने के लिए स्केच बनाने, ड्राइंग करने में समय बिताती हूं। मैं अब सिनेमा से जुड़ी गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकती।’’

वर्ष 1996-2001 तक सत्ता में अपने पिछले शासन के दौरान तालिबान ने महिलाओं के काम करने या स्कूल जाने पर पाबंदी लगा दी थी। तालिबान ने फिल्मों और सिनेमा सहित संगीत और अन्य कलाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया।

इस बार, अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच तालिबान का कहना है कि वे बदल गए हैं। लेकिन वे इस बारे में अस्पष्ट हैं कि वे क्या करेंगे या नहीं करेंगे। इसने कई अफगानों के जीवन और आजीविका के साधनों को अवरूद्ध कर दिया है।

एरियाना सिनेमा हॉल 1963 में खुला था। काबुल निवासी जिबा नियाजई ने 1980 के दशक के अंत में सोवियत समर्थित राष्ट्रपति नजीबुल्लाह के शासन के दौरान एरियाना जाने के अनुभवों को याद किया, जब देश भर में 30 से अधिक सिनेमाघर थे। वह शादी के बाद अपने पति के साथ रहने के लिए एक गांव से काबुल आ गईं थीं। नियाजई के पति वित्त मंत्रालय में काम करते हैं। छुट्टी होने पर वे साथ में सिनेमा जाते थे लेकिन अब नियाजई दिनभर अपने घर में अकेले रहती हैं।

पूर्व के वर्षों में बार-बार होने वाली बमबारी और गोलीबारी में, आसपास के अधिकांश इलाकों के साथ-साथ एरियाना को भारी नुकसान हुआ था। यह वर्षों तक वीरान पड़ा रहा, क्योंकि तालिबान ने मुजाहिदीन को खदेड़ दिया और 1996 में काबुल पर अधिकार कर लिया। काबुल के आसपास जो भी सिनेमाघर बचे, उन्हें बंद कर दिया गया। वर्ष 2001 में अमेरिका के कब्जे के बाद एरियाना को खोल दिया गया। फ्रांस सरकार ने 2004 में सिनेमा हॉल के पुनर्निर्माण में मदद की।

एरियाना में टिकटों के प्रभारी अब्दुल मलिक वहीदी ने कहा कि भारतीय फिल्में, अमेरिकी अभिनेता जीन-क्लाउडे वैन डैम की एक्शन फिल्में हमेशा सबसे बड़ा आकर्षण थीं। जैसे-जैसे अफगानिस्तान का घरेलू फिल्म उद्योग फिर से शुरू हुआ, एरियाना ने ऐसी फिल्मों का भी प्रदर्शन किया। एक दिन में तीन शो होते थे, जो दोपहर के मध्य में समाप्त होते थे।

फिरदौस को एरियाना के निदेशक के रूप में एक साल पहले ही नियुक्त किया गया था। वह पहले काबुल नगरपालिका के लैंगिक समानता प्रभाग का नेतृत्व करती थीं, जहां उन्होंने महिला कर्मचारियों के लिए समान वेतन हासिल करने और राजधानी के जिला पुलिस विभागों में महिलाओं को वरिष्ठ अधिकारियों के रूप में स्थापित करने के लिए काम किया था। जब वह एरियाना आई थीं तो पुरुष कर्मचारी हैरान रह गए। फिरदौस ने कहा, ‘‘हालांकि, बहुत सहयोग मिला और उन लोगों ने मेरे साथ अच्छा काम किया। ’’

मार्च 2021 में एरियाना सिनेमा हॉल ने अफगान फिल्मों के एक उत्सव की मेजबानी की, जो बहुत लोकप्रिय साबित हुई, जिसमें अफगान अभिनेताओं ने भाग लिया। अब यह सब रोक दिया गया है और एरियाना के कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर अंधेरे में हैं । तालिबान के कब्जे के बाद से पुरुष कर्मचारियों को उनके वेतन का एक हिस्सा मिला है। फिरदौस ने कहा कि उन्हें बिल्कुल भी वेतन नहीं मिला है।

काबुल नगरपालिका के सांस्कृतिक विभाग के महानिदेशक इनानुल्लाह अमानी ने कहा कि अगर तालिबान फिल्मों पर प्रतिबंध लगाता है, तो एरियाना के कर्मचारियों को अन्य नगरपालिका नौकरियों में स्थानांतरित किया जा सकता है या उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है। एरियाना के कर्मचारियों ने कहा कि वे अनुमान भी नहीं लगा सकते कि तालिबान क्या फैसला करेगा, लेकिन किसी को भी इस बात की ज्यादा उम्मीद नहीं है कि वे फिल्मों को अनुमति देंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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