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ऑनलाइन उत्पीड़न के खिलाफ अधिक कार्रवाई की मांग कर रहे पत्रकार

By भाषा | Updated: June 9, 2021 22:23 IST

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न्यूयॉर्क, नौ जून (एपी) इज़रायल फलस्तीन टकराव पर ट्वीट करने को लेकर अमेरिकी समाचार एजेंसी एसोसिएटिड प्रेस (एपी) ने हाल में एक युवा संवाददाता को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था जिसके बाद कंपनी और मीडिया जगत का ध्यान सोशल मीडिया के दूसरे पहलू-ऑनलाइन उत्पीड़न की ओर गया जिसका सामना कई पत्रकार अक्सर करते हैं।

एरिजोना की संवाददाता एमीली वाइल्डर को बर्खास्त करने के बाद आंतरिक बैठकों के दौरान कई पत्रकारों ने इस बात पर चिंता जताई कि क्या एपी बाहरी हमलों का सामना कर रहे कर्मचारियों का साथ देगा।

वाइल्डर को पिछले महीने नौकरी से निकाल दिया गया था। कपंनी का कहना है कि उन्होंने इज़रायल-फलस्तीन टकराव पर ट्वीट किया था जो विवादित मसलों पर राय रखने की एपी की सोशल मीडिया नीति के खिलाफ जाता है।

उन्हें नौकरी से निकालने से पहले कई रूढ़ावादी समूहों ने फलस्तीन समर्थक नजरिया होने के चलते उनके खिलाफ ऑनलाइन अभियान चलाया था। हालांकि एपी ने कहा है कि उसने दबाव में आकर कार्रवाई नहीं की है लेकिन उनकी बर्खास्तगी के बाद यह बहस छिड़ गई है क्या समाचार एजेंसी ने बहुत जल्दबाजी में कार्रवाई की है।

पत्रकारों को अक्सर नस्ली या अश्लील टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है, उन्हें ऑनलाइन बलात्कार और हिंसा की धमकियां मिलती हैं।

साहित्यिक और मानवाधिकार संगठन पेन अमेरिका में डिजिटल सुरक्षा और स्वतंत्र अभिव्यक्ति की कार्यक्रम निदेशक विकटोरिया विल्के कहती हैं कि ऑनलाइन उत्पीड़न पत्रकारों के लिए कोई नई बात नहीं है, लेकिन पत्रकारों की प्रत्यक्षता उन्हें हमले के लिए विशेष रूप से संवेदनशील बनाती है।

समाचार एजेंसी ने कहा कि उसने अपने पत्रकारों पर ऑनलाइन हमलों के कई मामलों पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ काम किया है।

विल्क कहती हैं कि पिछले एक दशक में समाचार संगठनों ने पत्रकारों पर सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाने के लिए दबाव डाला, क्योंकि यह उनके ब्रांड के लिए अहम था मगर इसके खतरनाक पहलू को देखने में उनकी रफ्तार कम रही। उन्होंने कहा कि महिलाओं और अल्पसंख्यकों में आमतौर पर यह बदतर होता है।

अप्रैल में यूनिस्को और इंटरनेशल सेंटर फॉर जर्नालिस्ट्स द्वारा जारी एक अध्ययन के मुताबिक, सर्वेक्षण में शामिल की गई 714 महिला पत्रकारों में से करीब दो तिहाई ने ऑनलाइन हमलों का सामना किया था।

उसके मुताबिक, 12 प्रतिशत ने मेडिकल या मनोवैज्ञानिक मदद मांगी थी। सर्वेक्षण कहता है कि चार प्रतिशत ने अपनी नौकरी और दो प्रतिशत ने यह व्यवसाय ही छोड़ दिया था।

‘ न्यूयॉर्क टाइम्स’ की संवाददाता टैलर लोरेन्ज ने अप्रैल में ट्वीट कर बताया था कि उन्हें किस तरह से ऑनलाइन हमलों का सामना करना पड़ा है।

उन्होंने कहा, “यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि पिछले एक साल में मुझे जो उत्पीड़न और बदनाम करने वाले अभियान सहन करने पड़े है, उसने मेरा जीवन नष्ट कर दिया है। कोई इससे न गुजरे।”

प्यू रिसर्च सेंटर ने जनवरी में कहा था कि अमेरिका में 41 प्रतिशत वयस्कों ने कहा कि उन्होंने ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना किया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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