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फलस्तीनी समूहों पर प्रतिबंध को लेकर अमेरिका को जानकारी देंगे इजराइली दूत

By भाषा | Updated: October 26, 2021 18:36 IST

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तेल अवीव, 26 अक्टूबर (एपी) छह फलस्तीनी अधिकार समूहों को प्रतिबंधित करने को लेकर अमेरिका के बाइडन प्रशासन के साथ उत्पन्न दरार को दूर करने के लिए इजराइल अपना दूत वाशिंगटन भेज रहा है। यह जानकारी इजराइली विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को दी।

इजराइल ने पिछले सप्ताह छह फलस्तीनी मानवाधिकार समूहों को आतंकवादी संगठन के तौर पर प्रतिबंधित कर दिया था जिसकी दुनियाभर में आलोचना हुई थी। वहीं, इजराइल के रणनीतिक साझेदार अमेरिका का भी कहना था कि इस कदम की पहले चेतावनी नहीं दी गई।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह इस फैसले पर और जानकारी चाहता है। इस पर इजराइली विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी जोशुआ जारका ने इजराइली आर्मी रेडियो पर कहा कि दूत ‘‘ आने वाले दिनों में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान उन्हें सभी विस्तृत एवं खुफिया जानकारी देंगे।’’

जारका ने कहा कि पिछले सप्ताह संगठनों को प्रतिबंधित करने की इजराइली मंशा को लेकर उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अमेरिकी अधिकारियों को अद्यतन जानकारी दी थी। जारका ने कहा कि उनका मानना है कि वाशिंगटन इस फैसले पर और अधिक जानकारी चाहता है।

फलस्तीनी संगठनों पर रोक के फैसले को अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन और इजराइल की नयी सरकार के लिए दोनों देशों के संबंधों के संदर्भ में परीक्षा माना जा रहा है।

इजराइल की पूर्ववर्ती नेतन्याहू सरकार को अमेरिका के पूववर्ती ट्रंप प्रशासन का पूरा समर्थन था, जिसका नतीजा था कि अमेरिका ने अपना दूतावास यरुशलम में स्थापित किया और बड़े पैमाने पर विवादित क्षेत्र में यहूदी बस्तियां बसाने की अनुमति दी, फलस्तीन के अनुदान में कटौती की और पश्चिम एशिया में इजराइल के झुकाव वाले दृष्टिकोण को पेश किया। इसके उलट बाइडन प्रशासन इजराइल और फलस्तीन के साथ अमेरिका की पारंपरिक विदेश नीति को बहाल करता नजर आ रहा है।

इजराइल द्वारा फलस्तीनी संगठनों को आतंकवादी बताकर प्रतिबंधित करने के फैसले का देश के मानवाधिकार समूहों ने भी विरोध किया है जो रूढ़वादी इजराइली सरकार की इसी तरह के कदमों का सामना कर चुके हैं।

इजराइल के 20 से अधिक मानवाधिकार संगठनो ने सोमवार को एक संयुक्त बयान जारी करके इस फैसले की निंदा करते हुए इसे‘‘ मानवाधिकार के कार्यों का अपराधीकरण करने वाला कठोर कदम करार दिया।’’

संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने भी मंगलवार को एक बयान जारी करके इजराइल के इस कदम की निंदा की। उन्होंने इसे ‘मानवाधिकार रक्षकों पर हमला’ करार देते हुए फैसले को वापस लेने की मांग की।

गौरतलब है कि फलस्तीनी अधिकार समूहों को प्रतिबंधित करने से इजराइल द्वारा उनके कार्यालयों पर छापेमारी, संपत्ति जब्त करने, कर्मचारियों को गिरफ्तार करने, समूह के प्रति सार्वजनिक समर्थन व्यक्त करने पर आपराधिक कृत्य घोषित करने का रास्ता साफ हो सकता है।

इजराइल द्वारा जिन संगठनों पर कार्रवाई की गई उनमें से अधिकतर ने इजराइल और फलस्तीनी प्राधिकरण द्वारा कथित मानवाधिकार उल्लंघनों का दस्तावेजीकरण किया है।

इजराइल ने जिन संगठनों को प्रतिबंधित किया है उनमें वर्ष 1979 में स्थापित मानवाधिकार संगठन अल हक शामिल है। इसके अलावा अद्दामीर मानवाधिकार समूह, डिफेंस फॉर चिल्ड्रेन इंटरनेशनल फलस्तीन, द बिसान सेंटर फॉर रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट, यूनियन ऑफ पैलिस्टीनियन वुमेन्स कमिटीज और यूनियन एग्रीकल्चर वर्क कमिटी शामिल हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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