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ईरान में संसदीय चुनावः अयातुल्ला अली खामनेई ने डाला पहला वोट, अमेरिका सहित पूरे विश्व की नजर

By भाषा | Updated: February 21, 2020 18:41 IST

ईरान में यह 11वां संसदीय चुनाव है और यह ऐसे वक्त में हो रहा है जब अमेरिका और ईरान के बीच भीषण तनाव है और यूक्रेन के हवाईजहाज को गलत तरीके से गिराए जाने के बाद देश में सरकार विरोधी स्वर तेज हैं। जानकारों के अनुसार रुहानी के मुकाबले रुढ़िवादियों को मतदाताओं का अधिक समर्थन मिलेगा।

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ठळक मुद्देसरकारी चैनल ने ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामनेई को पहला वोट देते दिखाया गया।वोट डालने के बाद खामनेई ने जनता से 'जल्द से जल्द' मतदान में भाग लेने की अपील की।

ईरान में शुक्रवार को आम चुनाव के तहत मतदान हुआ और इस दौरान हजारों उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराए जाने, आर्थिक सुस्ती के बाद मतदाताओं की उदासीनता और कई दूसरे संकटों की वजह से रूढ़िवादियों को चुनाव में फायदा मिलने की उम्मीद है।

देश में यह 11वां संसदीय चुनाव है और यह ऐसे वक्त में हो रहा है जब अमेरिका और ईरान के बीच भीषण तनाव है और यूक्रेन के विमान को गलत तरीके से गिराए जाने के बाद देश में सरकार विरोधी स्वर तेज हैं। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने पहला मत डालने के बाद सभी ईरानियों से अनुरोध किया कि वे मतदान में हिस्सा लें और ऐसा करने से ही ‘‘देश के राष्ट्रीय हितों को गारंटी’’ मिलेगी। दक्षिणी तेहरान में मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी कतार देखने को मिली जहां रुढ़िवादियों को खासा समर्थन हासिल है।

हालांकि पड़ोसी उत्तरी इलाके में मतदान के लिये बेहद कम लोग नजर आए। एक अधिकारी ने नए करोना वायरस को लेकर ज्यादा हायतौबा मचाने के लिये ईरान के दुश्मनों को जिम्मेदार बताया। इस हफ्ते वायरस के संक्रमण से इस्लामिक गणराज्य में दो लोगों की मौत हो गई थी।

अधिकारी ने कहा कि देश के दुश्मन ऐसा चुनावों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने के लिए कर रहे हैं। तेहरान की चुनाव समिति के प्रमुख शुक्रोल्ला हसनबेयगी के हवाले से अर्ध सरकारी समाचार एजेंसी आईएसएनए ने कहा, ‘‘सरकार विरोधियों का नया हथकंडा करोना वायरस से जुड़े मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना और यह कहना है कि हाथ में लगाई जाने वाली स्याही संक्रमित है।’’ उन्होंने कहा कि लोगों को कई बार मतदान से रोकने के लिये लगाई जाने वाली स्याही को लोगों में डर फैलाने के लिये इस्तेमाल किया जा रहा है।

विशेषज्ञों ने कम मतदान की भविष्यवाणी की है और कहा कि इससे रुढ़िवादियों को फायदा होगा और राष्ट्रपति हसन रुहानी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं जिन्होंने 2017 में दोबारा चुने जाने के बाद ज्यादा स्वतंत्रता और पश्चिम के साथ बेहतर रिश्तों का वादा किया था। अमेरिका द्वारा फिर से कड़े प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से ईरान आर्थिक सुस्ती और महंगाई की मार से जूझ रहा है। एक बेरोजगार व्यक्ति आमिर मोहतशम (38) ने कहा कि ईरान की सबसे बड़ी समस्या अस्थिरता और अशांति है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे चुनाव बेकार हैं। यहां तक की वर्तमान संसद के करीब 90 सदस्यों के खिलाफ आर्थिक भ्रष्टाचार मामलों की जांच जारी है।’’ गृह मंत्रालय ने कहा कि तीन घंटे के मतदान के बाद कुल 5.8 करोड़ मतदाताओं में से 50 लाख ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।

देश के 31 प्रांतों की करीब 290 सीटों के लिए 16,033 उम्मीदवार मैदान में हैं। इससे पहले चुनाव निगरानी संस्था गार्डियन काउंसिल ने हजारों प्रत्याशियों को अयोग्य करार देते हुए उनकी उम्मीदवारी निरस्त कर दी थी। इनमें से अधिकतर उदारवादी थे। निवर्तमान सांसद इलियास हजरती ने कहा कि उन्होंने अयोग्य ठहराए जाने के बावजूद मतदान किया। उन्होंने कहा, ‘‘गार्डियन काउंसिल ने कहा कि मैं इस्लाम को स्वीकार नहीं करता।’’ 

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