Iran on Panjshir Taliban: ईरान ने युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान और तालिबान को सख्त चेतावनी जारी किया है। ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने कहा कि दोनों देश लक्ष्मण रेखा को पार न करे।
पंजशीर में तालिबान के हमले की निंदा की। तालिबान ने कहा कि उसने पंजशीर पर कब्जा कर लिया है। पंजशीर से जो खबरें आ रही हैं वह परेशान करने वाली है। हम हमले की निंदा करते हैं। शिया बहुल ईरान सुन्नी संगठन तालिबान की निंदा कर रहा है।
अमीर अब्दुल्लाहियान ने कहा कि अफगानिस्तान में अराजकता का मूल कारण अमेरिका की गैरजिम्मेदारी है। ईरान यह भी मानता है कि अफगानिस्तान को देश के सभी जातीय समूहों के हितों को दर्शाते हुए एक व्यापक और समावेशी सरकार स्थापित करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, "ईरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने और अफगानिस्तान में ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न होने से रोकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़े, जिससे लोग शरणार्थी बनने को मजबूर हों।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ईरान अफगानिस्तान की मदद के लिए चीन के साथ समन्वय को मजबूत करने के लिए तैयार है ताकि वह जल्द से जल्द कठिनाइयों से बाहर निकल सके।’’
ईरान के राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान में चुनाव कराने की मांग की
ईरान के राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान में जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है ताकि देश का भविष्य निर्धारित हो सके। उन्होंने उम्मीद जताई की अफगानिस्तान में फिर से अमन कायम हो सकेगा। शनिवार को सरकारी टेलीविजन चैनल से बातचीत में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा कि अफगान लोगों को जल्द से जल्द अपनी सरकार बनाने के लिए वोट देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘वहां सरकार बननी चाहिए जो जनता के वोटों से चुनी जाए और जनता की हो।’’ रईसी ने कहा, ‘‘इस्लामिक रिपब्लिक ने अफगानिस्तान में हमेशा अमन चाहा है, खून-खराबा तथा अपनों की हत्या बंद होने की दुआ की है और जनता की इच्छा के अनुसार संप्रभुता चाही है। हम अफगान जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का समर्थन करेंगे।’’
चीन का अफगानिस्तान में ईरान के साथ एक साझा रुख बनाने का प्रयास
चीन युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में बड़ी सतर्कता से अपनी बढ़ती भूमिका को मजबूत करने के लिए उसके पड़ोसी देश ईरान के साथ एक साझा रुख बनाने की कोशिश कर रहा है। चीन तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में एक ऐसी ‘‘खुली और समावेशी’’ सरकार बनाने की प्रतीक्षा कर रहा है जो सभी आतंकवादी समूहों से खुद को अलग रखे।
चीन अफगानिस्तान पर अपनी विकसित हो रही नीति को अपने ‘‘पुराने सहयोगी’’ पाकिस्तान और रूस के साथ समन्वयित कर रहा है, जो अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करते हैं। बीजिंग ने पाकिस्तान और रूस के साथ काबुल में अपना दूतावास खुला रखा हुआ है। चीन तालिबान द्वारा सरकार के गठन का इंतजार कर रहा है, ताकि वह नयी सरकार का समर्थन करने पर निर्णय कर सके। वहीं अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों ने यह संकेत दिया है कि वे इसे मान्यता देने के फैसले में जल्दबाजी नहीं करेंगे।
चीन साथ ही पंजशीर घाटी में तालिबान और अहमद मसूद के नेतृत्व वाले नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (एनआरएफ) के लड़ाकों के बीच जारी संघर्ष पर भी बारीकी से नजर रखे हुए है जिससे अफगानिस्तान में नयी सरकार के गठन में कथित तौर पर देरी हुई है। शनिवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अपने ईरानी समकक्ष हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। ईरान अपनी परमाणु नीति को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते संघर्ष कर रहा है और उसने हाल के वर्षों में चीन के साथ नजदीकी बढ़ायी है।
वहीं चीन ने तेल-समृद्ध देश में अपने निवेश का लगातार विस्तार किया है, जो पाकिस्तान के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है। अमीर अब्दुल्लाहियान के साथ अपनी बातचीत में वांग ने कहा कि चीन ने इस पर गौर किया है कि तालिबान आने वाले दिनों में एक नयी सरकार के गठन की घोषणा कर सकता है। चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, वांग ने आशा व्यक्त की कि ‘‘नयी सरकार खुली और समावेशी होगी, आतंकवादी संगठनों से दूर रहेगी और अन्य देशों, विशेष रूप से पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करेगी और विकसित करेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के आम पड़ोसियों के रूप में, चीन और ईरान को अफगानिस्तान में सत्ता में बदलाव और शांतिपूर्ण पुनर्निर्माण में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए संचार और समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता है।’’ वांग ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘‘अमेरिका का यह दावा कि अफगानिस्तान से वापसी से वह अब चीन और रूस पर अपना ध्यान केंद्रित कर पाएगा, न केवल अपनी विफलता को छुपाने का एक बहाना है, बल्कि यह दुनिया में सत्ता की राजनीति पर उसके द्वारा जोर दिये जाने की उसकी प्रकृति को भी प्रकट करता है।’’