अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठनः भारत को कामयाबी, 35 साल बाद संचालक मंडल की अध्यक्षता, जानिए कारण
By भाषा | Updated: October 23, 2020 18:31 IST2020-10-23T18:31:30+5:302020-10-23T18:31:30+5:30
श्रम मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘‘ 35 साल बाद भारत को आईएलओ के संचालक मंडल की अध्यक्षता मिली है। श्रम सचिव अपूर्व चंद्र को आईएलओ के संचालक मंडल का चेयरमैन चुना गया है। वह इस पद पर अक्टूबर 2020 से जून 2021 तक रहेंगे।’’

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के संचालक मंडल की अध्यक्षता मिली है। श्रम सचिव अपूर्व चंद्र को इस पद के लिए चुना गया है।
नई दिल्लीः भारत को 35 साल के अंतराल के बाद अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के संचालक मंडल की अध्यक्षता मिली है। श्रम सचिव अपूर्व चंद्र को इस पद के लिए चुना गया है।
श्रम मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘‘ 35 साल बाद भारत को आईएलओ के संचालक मंडल की अध्यक्षता मिली है। श्रम सचिव अपूर्व चंद्र को आईएलओ के संचालक मंडल का चेयरमैन चुना गया है। वह इस पद पर अक्टूबर 2020 से जून 2021 तक रहेंगे।’’
बयान के मुताबिक आईएलओ के संचालक मंडल की अध्यक्षता मिलना एक अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि है। यह भारत और आईएलओ के 100 वर्ष से अधिक फलदायी रिश्तों की कड़ी में एक और मील का पत्थर है। संचालक मंडल आईएलओ का शीर्ष कार्यकारी निकाय है। यह निकाय नीतियों, कार्यक्रमों, एजेंडा, बजट और महानिदेशकों का चुनाव करती है। वर्तमान में आईएलओ के 187 सदस्य हैं। चंद्र नवंबर 2020 में संचालक मंडल की होने वाली बैठक की अध्यक्षता करेंगे।
अंतरराष्ट्रीय आपदा समूह ने चीन से अपने विशेषज्ञ को रिहा करने की मांग की
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक उच्च स्तरीय बैठक में अंतरराष्ट्रीय आपदा समूह (आईसीजी) के अध्यक्ष ने चीन के विदेश मंत्री से थिंक टैंक के उत्तर पूर्वी एशिया मामलों के विशेषज्ञ माइकल कोवरिग को रिहा करने की अपील की। कनाडा और चीन के बीच राजनयिक विवाद के चलते बीजिंग ने लगभग दो साल से कोवरिग को हिरासत में रखा है। रॉबर्ट मैली ने परिषद को बताया कि आपदा समूह, संघर्ष की स्थिति का समाधान निकालने वाला एक निष्पक्ष संगठन है और इसके कर्मचारी सभी पक्षों का नजरिया समझने का प्रयास करते हैं।
मैली ने कहा, “चीन की विदेश नीति पर हमारे सहयोगी कोवरिग यही कार्य कर रहे थे।” उन्होंने कहा कि कोवरिग के मामले पर चर्चा करने का यह उचित समय और स्थान नहीं है। उन्होंने कहा, “लेकिन मैं चीनी अधिकारियों से अपील करता हूं कि वे उनके (कोवरिग) मिशन को समझें, उनकी लगभग दो साल की हिरासत को समाप्त करें, उन्हें उनके परिजनों के पास जाने दें ताकि वह शांतिपूर्ण दुनिया के लिए अपना काम जारी रख सकें।”
डिजिटल माध्यम से आयोजित परिषद की बैठक में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मैली के बयान पर ध्यान दिया लेकिन उन्होंने अपने भाषण में कोवरिग का जिक्र नहीं किया। जर्मनी के राजदूत क्रिस्टोफ ह्यूसेन और ब्रिटेन के कार्यवाहक राजदूत जोनाथन एलेन ने कोवरिग को रिहा करने की मांग का समर्थन किया।