पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बनाने की भारत की कोशिश को एक झटका लगा है। पेरिस में एक सप्ताह चली बैठक के बाद शुक्रवार को फैसला किया गया कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही बनाए रखा जाएगा। एफएटीएफ ने ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए अक्टूबर तक का वक्त दिया है।
गौरतलब है कि भारत ने पाकिस्तान की आतंकी फंडिंग का मुद्दा उठाया था। जिसमें बाद उम्मीद थी कि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। अगर पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट किया जाता तो उसकी अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता। पाकिस्तान पहले से ही ग्रे लिस्ट में है। फिलहाल नॉर्थ कोरिया और ईरान ब्लैकलिस्ट में शामिल देश हैं।
एफएटीएफ की ओर से काली सूची में डालने का मतलब है कि संबंधित देश धनशोधन और आतंक के वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में ‘‘असहयोगात्मक’’ रवैया अपना रहा है। यदि एफएटीएफ पाकिस्तान को काली सूची में डाल देता है तो इससे आईएमएफ, विश्व बैंक, यूरोपीय संघ जैसे बहुपक्षीय कर्जदाता उसकी ग्रेडिंग कम कर सकते हैं और मूडीज, एस एंड पी और फिच जैसी एजेंसियां उसकी रेटिंग कम कर सकती हैं।
एफएटीएफ ने जुलाई 2018 में पाकिस्तान को संदेह वाली ग्रे सूची में डाल दिया था। एफएटीएफ में अभी 35 सदस्य और दो क्षेत्रीय संगठन - यूरोपीय आयोग एवं खाड़ी सहयोग परिषद - हैं। उत्तर कोरिया और ईरान एफएटीएफ की काली सूची में हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर