लाइव न्यूज़ :

नौसेना की बढ़ेगी मारक क्षमता, हार्पून मिसाइल सौदे को मंजूरी, आठ करोड़ 20 लाख डॉलर में डील, जानिए खासियत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 3, 2021 17:11 IST

बोइंग के अनुसार, हार्पून को 1977 में पहली बार तैनात किया गया था। यह सभी मौसम में काम करने वाली पोत रोधी मिसाइल प्रणाली है।

Open in App
ठळक मुद्देहार्पून मिसाइल दुनिया की सबसे सफल पोत-रोधी मिसाइल है।30 से अधिक देशों के सशस्त्र बलों में सेवा दे रही है।अमेरिकी की विदेश नीति एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को बल मिलेगा।

वाशिंगटनः अमेरिका ने ‘हार्पून ज्वाइंट कॉमन टेस्ट सेट’ (जेसीटीएस) और उससे जुड़े उपकरण को आठ करोड़ 20 लाख डॉलर की अनुमानित कीमत पर भारत को बेचने की मंजूरी दे दी है। ऐसा माना जा रहा है कि इस फैसले से भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय सामरिक संबंध मजबूत होंगे और इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बड़े रक्षा साझेदार की सुरक्षा बढ़ेगी।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पेंटागन की ‘डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी’ ने सोमवार को इस संबंध में अमेरिकी संसद को अधिसूचित करते हुए आवश्यक प्रमाणन दिया। हार्पून एक पोत रोधी मिसाइल है। इसमें कहा गया है कि भारत सरकार ने एक जेसीटीएस को खरीदने का अनुरोध किया था।

इसमें एक ‘हार्पून इंटरमीडिएट लेवल’ रखरखाव स्टेशन, कलपुर्जे और मरम्मत, परीक्षण संबंधी उपकरण, प्रकाशन और तकनीकी दस्तावेजीकरण, कर्मियों का प्रशिक्षण, अमेरिका सरकार और ठेकेदार की ओर से तकनीकी, इंजीनियरिंग, और रसद सहायता सेवाएं, और साजो-सामान एवं कार्यक्रम संबंधी समर्थन से जुड़े अन्य तत्व शामिल हैं।

इसकी अनुमानित लागत आठ करोड़ 20 लाख डॉलर है। डीएससीए ने विज्ञप्ति में कहा कि इस प्रस्तावित बिक्री से भारतीय-अमेरिकी सामरिक संबंधों में सुधार करके और एक बड़े रक्षा साझेदार की सुरक्षा बढ़ाने में मदद करके अमेरिकी की विदेश नीति एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को बल मिलेगा।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशिया क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक विकास के लिए अहम ताकत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जून 2016 में अमेरिका की यात्रा के दौरान अमेरिका ने भारत को ‘‘बड़े रक्षा साझेदार’’ के तौर पर मान्यता दी थी।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रस्तावित विदेशी सैन्य बिक्री से मौजूदा और भविष्य के खतरों से निपटने की भारत की क्षमता बढ़ेगी। इस बिक्री के जरिए हार्पून मिसाइल के रखरखाव की भारत की क्षमता में लचीलापन और दक्षता आएगी तथा सैन्य बलों की अधिकतम तत्परता सुनिश्चित होगी।

पेंटागन ने कहा कि भारत को इस उपकरण को अपने सैन्य बलों में समायोजित करने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी और इस उपकरण की प्रस्तावित बिक्री एवं सहयोग से क्षेत्र में बुनियादी सैन्य संतुलन में बदलाव नहीं आएगा।

उसने कहा, ‘‘सेंट लुइस, एमओ स्थित ‘द बोइंग कंपनी’ इसकी मुख्य ठेकेदार होगी।’’ बोइंग के अनुसार, हार्पून को 1977 में पहली बार तैनात किया गया था। यह सभी मौसम में काम करने वाली पोत रोधी मिसाइल प्रणाली है। हार्पून मिसाइल दुनिया की सबसे सफल पोत-रोधी मिसाइल है और 30 से अधिक देशों के सशस्त्र बलों में सेवा दे रही है।

टॅग्स :अमेरिकाजो बाइडननरेंद्र मोदीनेवीजम्मू कश्मीरपाकिस्तान
Open in App

संबंधित खबरें

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

क्रिकेटवैभव सूर्यवंशी की टीम बिहार को हैदराबाद ने 7 विकेट से हराया, कप्तान सुयश प्रभुदेसाई ने खेली 28 गेंदों में 51 रन की पारी, जम्मू-कश्मीर को 7 विकेट से करारी शिकस्त

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

कारोबारIndiGo Crisis: 7 दिसंबर रात 8 बजे तक सभी यात्रियों को तत्काल पैसा वापस करो?, मोदी सरकार ने दिया आदेश, छूटे हुए सभी सामान अगले 48 घंटों के भीतर पहुंचाओ

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

विश्व अधिक खबरें

विश्व‘बार’ में गोलीबारी और तीन बच्चों समेत 11 की मौत, 14 घायल

विश्वड्रोन हमले में 33 बच्चों सहित 50 लोगों की मौत, आरएसएफ और सूडानी सेना के बीच जारी जंग

विश्वFrance: क्रिसमस इवेंट के दौरान ग्वाडेलोप में हादसा, भीड़ पर चढ़ी कार; 10 की मौत

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

विश्वअड़चनों के बीच रूस के साथ संतुलन साधने की कवायद