भारतीय-अमेरिकी प्रसिद्ध लेखक व पत्रकार वेद मेहता का 86 वर्ष की उम्र में निधन
By अनुराग आनंद | Updated: January 11, 2021 10:16 IST2021-01-11T10:12:51+5:302021-01-11T10:16:30+5:30
ब्रिटिश रॉयल सोसाइटी ऑफ लिटरेचर के सदस्य रहे वेद मेहता ने कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों को लेखन भी सिखाया है।

वेद मेहता (फोटो साभार: सोशल मीडिया)
नई दिल्ली:अमेरिका से एक खबर आ रही है कि प्रसिद्ध लेखक व पेशे से पत्रकार वेद मेहता का 9 जनवरी ( शनिवार) को न्यूयॉर्क में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। साल 1934 में अविभाजित भारत के लाहौर शहर में वेद मेहता का जन्म हुआ था। जन्म के ठीक चार साल बाद ही सेरेब्रोस्पाइनल मेनिन्जाइटिस के कारण उन्होंने अपनी दृष्टि खो दी थी।
इसके बाद पढ़ाई के लिए वेद मेहता को बॉम्बे में एक नहीं देख पाने वाले बच्चों के एक स्कूल में अध्ययन करने के लिए भेजा गया। इसके बाद उन्होंने देश विदेश के कई सारे प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़कर पढ़ाई की।
द न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में वेद मेहता ने कहा था कि उनके पिता अमोलक राम मेहता ने यह मानने से इनकार कर दिया था कि उनका बेटा कभी नहीं देख पाएगा। उनके पिता को हमेशा लगता था कि कुछ समय बाद वेद को सबकुछ दिखाई देने लगेगा।
बाद में, वेद मेहता ने पोमोना कॉलेज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी अध्ययन किया था और अपने जीवनकाल के दौरान कई किताबें लिखीं। इनमें से अधिकांश उनके व्यक्तिगत निबंध थे। इतने सारे किताबों को लिखने के बारे में एक बार एक साक्षात्कार के दौरान वेद मेहता ने स्वीकार किया था कि लेखन आंशिक रूप से अकेलेपन का परिणाम है।
उन्होंने कहा था कि मैं अंधेपन के कारण लिखता हूं, क्योंकि अकेलेपन दिमाग में चल रहे किसी विषय के बढ़े हुए अर्थ के कारण आपके दिमाग में बहूत सारे विचार आते हैं, जिसे आप आसानी से लिख पाते हैं।
उनकी पहली पुस्तक फेस टू फेस 1957 में प्रकाशित हुई। उनकी अन्य रचनाएं फ्लाई एंड द फ्लाई-बॉटल: एनकाउंटर विद ब्रिटिश इंटेलेक्चुअल, डैडीजी, ए फैमिली अफेयर: इंडिया अंडर थ्री प्राइम मिनिस्टर, ए वेद मेहता रीडर: द क्राफ्ट ऑफ द निबंध अन्य हैं जिसे पाठकों ने खूब पसंद किया है।
लेखन क्षेत्र से जुड़े कई लोगों ने उनके निधन पर श्रद्धांजलि देने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। लेखक अमिताव कुमार समेत अन्य ने ट्वीट कर अपनी संवेदना साझा की।
Ved Mehta (1934-2021). I am sorry to have never met him. What a brilliant writer. I remember still encountering *Mahatma Gandhi and his Apostles* (1976) for the first time. https://t.co/MWZfBG07iN
— manan ahmed (@sepoy) January 11, 2021
I was enrolled as a B.A. student in Political Science at Hindu College in the 1980s. Instead of going to my classes, I got off the bus at the Sahitya Akademi library and read writers like #VedMehta. He taught me to write about our own streets.
— Amitava Kumar (@amitavakumar) January 11, 2021
He hated cliches, but an era has ended. https://t.co/VNsF71q19N
— saliltripathi (@saliltripathi) January 11, 2021