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कोरोना फैलने के मामले में वैश्विक स्तर पर भारत ने लिया बड़ा फैसला, दुनिया के 62 देश आए एक साथ, कहा- होनी चाहिए निष्पक्ष जांच

By अनुराग आनंद | Updated: May 18, 2020 18:17 IST

ऑस्ट्रेलिया ने पिछले महीने स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए कहा था कि इसका पता लगाया जाए कि आखिर कोरोनावायरस पूरी दुनिया में कैसे फैला।

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ठळक मुद्देवीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस बैठक के प्रस्तावित मसौदे का जापान, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, साउथ कोरिया, ब्राजील और कनाडा समेत 62 देशों ने समर्थन किया है।हालांकि, इसमें चीन या वुहान शहर का जिक्र नहीं है। चीन के वुहान शहर में ही कोरोना का पहला मामला सामने आया था।

नई दिल्ली: दुनिया के सैकड़ों देश इस समय कोरोना महामारी का सामना कर रहे हैं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) में मंगलवार से सलाना बैठक का आयोजन हो रहा है। इस बैठक में कोरोना संक्रमण के मामले में बहस होना तय है। भारत ने कोरोना वायरस संक्रमण के जानवर से इंसान में पहुंचने व समुचे दुनिया में फैलने को लेकर निष्पक्ष जांच की मांग की है। दरअसल, WHO की बैठक के लिए ड्राफ्ट प्रस्ताव के अनुसार भारत ने उस जांच का समर्थन किया है जिसमें पता करना है कि कोरोना वायरस जानवरों से इंसान में कैसे आया और विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस महामारी को लेकर भूमिका कितनी निष्पक्ष रही.

एनडीटीवी के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया ने पिछले महीने स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए कहा था कि इसका पता लगाया जाए कि आखिर कोरोनावायरस पूरी दुनिया में कैसे फैला। ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मरीसे पेन ने कहा था कि WHO इस मामले की जांच करे। उन्होंने कहा था कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदायों के एक साथ आने का वक्त है ताकि अगली महामारी से समय से निपटा जा सके, जिससे हमारे लोग सुरक्षित रह सकें।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस बैठक के प्रस्तावित मसौदे का जापान, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, साउथ कोरिया, ब्राजील और कनाडा समेत 62 देशों ने समर्थन किया है। हालांकि, इसमें चीन या वुहान शहर का जिक्र नहीं है। चीन के वुहान शहर में ही कोरोना का पहला मामला सामने आया था।

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक बार नहीं कई बार चीन पर कोरोना की जानकारी छिपाने के आरोप लगाए। अब ट्रंप का दावा सच साबित होता दिख रहा है। क्योंकि चीन ने मान लिया है कि उसने कोरोना वायरस के शुरुआती सैंपल नष्ट किए। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य कमीशन के निरीक्षक यू डेंगफेंग ने ये खुलासा किया है।

यू ने कहा कि चीन की एक जैविक लैब में कोरोना के शुरुआती सैंपल नष्ट किए गए थे। लेकिन डेंगफेंग ने आगे सैंपल नष्ट करने का तर्क भी दिया। उन्होंने कहा कि सैंपल को नष्ट सच छिपाने के लिए नहीं बल्कि जैविक लैब में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया था। लैब इस तरह के सैंपल को संभालने के लिए अधिकृत नहीं था। इसलिए चीनी सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून के तहत सैंपल को नष्ट करना पड़ा।

सैंपल नष्ट करने वाले आरोप अमेरिका के विदेश सचिव माइक पॉम्पियो ने भी पिछले महीने लगाए थे। पॉम्पियो ने कहा था कि हमें यकीन है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को समय पर नए कोरोना वायरस के प्रकोप की सूचना नहीं दी थी। हर प्रांत में वायरस के फैलने तक संक्रमण के फैलने की जानकारी भी चीन ने छिपाई। इसमें कोई शक नहीं है कि चीन का ये कबूलनामा अमेरिका के शक को और गहरा करेगा।

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