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भारत-चीन में तनावः गलवान घाटी में शहीद भारतीय सैनिकों की वीरता को भुलाया नहीं जा सकेगा, अमेरिका बोला

By भाषा | Updated: June 19, 2020 19:35 IST

भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने ट्वीट किया, ‘‘भारत में अमेरिकी दूतावास उन सैनिकों के परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है जिन्होंने गलवान में प्राण न्योछावर किए। उनकी वीरता और साहस को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।’’

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ठळक मुद्देझड़प में चीनी पक्ष की ओर से हताहत हुए लोगों की संख्या अभी तक ज्ञात नहीं है।सरकारी सूत्रों ने दावा किया कि मारे गए और गंभीर रूप से घायल हुए सैनिकों की कुल संख्या 35 हो सकती है।पिछले पांच दशक में यह सबसे बड़ा सैन्य संघर्ष है जिसने क्षेत्र में पहले से जारी अस्थिर सीमा गतिरोध को और बढ़ा दिया है।

नई दिल्लीः अमेरिकी दूतावास ने पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में भारतीय सैनिकों की शहादत पर शुक्रवार को शोक व्यक्त किया और कहा कि उनकी वीरता को भुलाया नहीं जा सकेगा। यहां फ्रांस के राजदूत, एमैनुएल लेनिन ने भी सैनिकों की शहादत पर शोक प्रकट किया।

लेनिन ने ट्वीट किया, “भारत के लोगों के प्रति हमारी हार्दिक संवेदना है और पिछले कुछ दिनों में कर्तव्य निभाते हुए अपने जीवन का बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों के शोकसंतप्त परिवारों के प्रति हमारी सहानुभूति है।” गलवान घाटी में सोमवार रात चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में एक कर्नल समेत 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। पिछले पांच दशक में यह सबसे बड़ा सैन्य संघर्ष है जिसने क्षेत्र में पहले से जारी अस्थिर सीमा गतिरोध को और बढ़ा दिया है।

भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने ट्वीट किया, ‘‘भारत में अमेरिकी दूतावास उन सैनिकों के परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है जिन्होंने गलवान में प्राण न्योछावर किए। उनकी वीरता और साहस को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।’’ झड़प में चीनी पक्ष की ओर से हताहत हुए लोगों की संख्या अभी तक ज्ञात नहीं है। हालांकि, एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरकारी सूत्रों ने दावा किया कि मारे गए और गंभीर रूप से घायल हुए सैनिकों की कुल संख्या 35 हो सकती है।

चीन ने कहा, ‘फिलहाल’ कोई भारतीय सैनिक उसकी हिरासत में नहीं

चीन ने गलवान घाटी में 15 जून की हिंसक झड़प के बाद कुछ भारतीय बलों को बंधक बनाकर रखे जाने की खबरों के बीच शुक्रवार को कहा कि “वर्तमान में” कोई भारतीय सैनिक उसकी हिरासत में नहीं है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान के इस बयान से एक दिन पहले भारतीय सेना ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी बलों के साथ जिन भारतीय जवानों की झड़प हुई थी, उनमें से कोई लापता नहीं है।

झाओ ने गलवान घाटी में भारतीय एवं चीनी बलों के बीच गतिरोध पर सवालों का जवाब देते हुए यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘जहां तक मेरी जानकारी है, इस समय कोई भारतीय सैनिक चीन की हिरासत में नहीं है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने किसी चीनी जवान को हिरासत में लिया है, उन्होंने कहा, ‘‘चीन और भारत राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से मामले को सुलझाने के लिए संवाद कर रहे हैं। इस समय मेरे पास आपको देने के लिए कोई जानकारी नहीं है।’’

झाओ ने कहा, “मैं गलवान घाटी में गंभीर स्थिति के बारे में दोहराना चाहूंगा कि सही और गलत बहुत स्पष्ट है और जिम्मेदारी पूरी तरह भारतीय पक्ष की बनती है।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “चीन अपने द्विपक्षीय संबंधों को महत्व देता है। हम उम्मीद करते हैं कि भारत द्विक्षीय संबंधों के दीर्घकालिक विकास को बरकरार रखने के लिए चीन के साथ संयुक्त रूप से काम करेगा।” घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों ने नयी दिल्ली में कहा कि चीनी सेना ने तीन दिन तक वार्ता के बाद दो मेजर समेत 10 भारतीय सैनिकों को बृहस्पतिवार शाम को रिहा किया। सोमवार को गलवान घाटी में हुई झड़प, नाथू ला में 1967 में हुई झड़पों के बाद दोनों सेनाओं के बीच अब तक का सबसे बड़ा टकराव था।

नाथू ला में हुई झड़पों में भारतीय सेना के 80 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे। भारत-चीन सीमा विवाद 3,388 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के इर्द-गिर्द है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है जबकि भारत उसपर अपना हक जताता है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत के अस्थायी सदस्य के तौर पर चुनाव पर टिप्पणी करते हुए झाओ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का पालन करते हुए यूएनएससी अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बरकरार रखने में एक अहम अंग है।

उन्होंने कहा कि एक स्थायी सदस्य के तौर पर चीन यूएनएससी के सभी पक्षों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है। इनमें नवनिर्वाचित अस्थायी सदस्य भी शामिल हैं जिनके साथ संयुक्त रूप से वह संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा दी गई जिम्मेदारी को पूरी तरह निभाएगा। संयुक्त राष्ट्र के सुधारों पर चीन के पक्ष को लेकर पूछे गए प्रश्न पर उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुधारों पर चीन का रुख स्पष्ट एवं समान है।” चीन ने पूर्व में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों को लेकर संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बीच बड़े मतभेद हैं। 

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