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‘लंबे समय तक कोविड’ से जूझने वाले बच्चों की स्कूल में कैसे मदद की जाए

By भाषा | Updated: October 30, 2021 12:01 IST

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(सुसैन डेवीस, प्रोफेसर, स्कूल साइकोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ डेटन और जून वाल्श-मेसिंगर, एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ साइकोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ डेटन)

डेटन (अमेरिका), 30 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) कोविड-19 से संक्रमित होने वाले बच्चे आम तौर पर तेजी से स्वस्थ होते हैं और उन्हें स्कूल लौटने पर विशेष सहयोग की आवश्यकता नहीं होती है।

हालांकि, इस बीमारी की चपेट में आने वाले कुछ लोगों को लगातार लक्षणों और संक्रमण के बाद की दिक्कतों का अनुभव हुआ। इन लक्षणों में थकान, सांस लेने में दिक्कत, ‘ब्रेन फॉग’, स्वाद और गंध में बदलाव और सिर में दर्द समेत अन्य दिक्कतें हुईं। चिकित्सा समुदाय में इसे ‘‘लंबा कोविड’’ कहा जाता है।

लंबे समय तक कोविड से प्रभावित होने वाले बच्चों को स्कूलों में सहयोग की आवश्यकता होगी। कुछ लक्षण जैसे कि थकान, ‘ब्रेन फॉग’ और याददाश्त कमजोर होना ऐसे ही लक्षण हैं जिनका अनुभव मस्तिष्काघात के बाद होता है। चूंकि इन लक्षणों को पहचानना या इन पर नजर रखना चुनौतीपूर्ण होता है तो शिक्षकों के लिए भी यह मुश्किल है कि कैसे मदद की जाए।

हमने यह अध्ययन किया कि कैसे स्कूल मस्तिष्काघात और लंबे समय तक कोविड के लक्षण रहने तथा उससे जुड़ी मानसिक स्वास्थ्य के नतीजों से निपट सकते हैं।

बच्चे और लंबे समय तक कोविड :

लंबे समय तक कोरोना वायरस से संक्रमित रहने के बाद जरूरी नहीं कि सभी शारीरिक लक्षणों का अनुभव हो। जब लक्षण कुछ हफ्तों से अधिक वक्त तक रहते हैं तो लंबे समय तक कोविड की जानकारी रखने वाले बाल चिकित्सकों द्वारा व्यापक चिकित्सा जांच की सिफारिश की जाती है।

कोविड के बाद बाल चिकित्सा क्लिनिक ऐसे डॉक्टरों को तलाशने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है। हालांकि अभी अमेरिका में ऐसे क्लिनिक ज्यादा नहीं हैं। कोविड के बाद की दिक्कतें वयस्कों में देखी गयी हैं। बहरहाल, बच्चों में लंबे समय तक कोविड पर अनुंसधान अपर्याप्त हैं।

स्कूल आवास :

कोविड-19 से संक्रमित न होने की रिपोर्ट आने के बाद जिन बच्चों को लक्षणों का अनुभव होता रहता है और स्कूल लौटने के लिए जिन्हें मंजूरी दे दी गयी है, उन्हें स्कूल को अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताना चाहिए। अगर बच्चा आधिकारिक रूप से लंबे समय तक कोविड से संक्रमित नहीं पाया जाता तो धीरे-धीरे स्कूल लौटने और अकादमी के साथ धीरे-धीरे गतिविधियां करने से बच्चों को स्वस्थ होने में मदद मिल सकती है।

हम सिफारिश करते हैं कि अभिभावकों, शिक्षकों और डॉक्टरों को बच्चों के स्वस्थ होने में मदद के लिए एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। यह मददगार होता है कि अगर स्कूल में स्थित पेशेवर जैसे कि स्कूल नर्स, परामर्शक और मनोविज्ञानी वार्ताकार के तौर पर काम करते हैं।

इसके साथ ही उपस्थिति में लचीलेपन के साथ थकान को कम करने में मदद मिल सकती है। थकान और सिर में दर्द को रोकने के लिए शारीरिक गतिविधि कम करें और उत्तेजक पर्यावरण से दूर रहे।

काम के दबाव में सुधार लाना भी महत्वपूर्ण है। इसमें अधिक चुनौतीपूर्ण परियोजनाएं और अनावश्यक काम हटाना, वैकल्पिक काम देना और छात्रों को बिना किसी दंड के कक्षाओं में अनुपस्थित रहने की अनुमति देना शामिल है। काम पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय दें ताकि ‘ब्रेन फॉग’ से पीड़ित बच्चे को मदद मिल सके।

छात्रों को बेचैनी और तनाव से बचाने के लिए एक भावनात्मक सहयोग देना चाहिए। छात्रों को वैकल्पिक पाठ्येतर गतिविधियों के लिए प्रेरित करें जो शारीरिक न हो और जिसमें संज्ञानात्मक रूप से भी ज्यादा दबाव न पड़ता हो।

एक उभरती बीमारी :

हमें कोविड-19 के दीर्घकालीन असर और लंबे समय तक कोविड के बाद के लक्षणों के बारे में काफी कुछ सीखना होगा। ये दिशा निर्देश इस समय जो जानकारी उपलब्ध है उसके आधार पर हैं और उन्हें प्रारंभिक माना जाना चाहिए।

कोविड-19 और उसके इलाज के संबंध में और जानकारियां आने पर अभिभावकों, शिक्षकों और चिकित्सकों के लिए लगातार लक्षणों और प्रभावी उपचार के बारे में एक-दूसरे से बातचीत करते रहना महत्वपूर्ण है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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