गिलगित-बाल्टिस्तान में बांध, भारत ने किया विरोध, चीन ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बांध निर्माण का बचाव किया
By भाषा | Updated: May 15, 2020 22:02 IST2020-05-15T22:02:50+5:302020-05-15T22:02:50+5:30
भारत के विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा था, ''हमारा रुख अटल और स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के सभी क्षेत्र भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग रहे हैं और रहेंगे।'' मंत्रालय ने कहा, ''हम, पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों में ऐसी सभी परियोजनाओं पर पाकिस्तान और चीन दोनों के सामने अपना विरोध और साझा चिंताएं व्यक्त करते रहे हैं।''

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियांग ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ''कश्मीर मुद्दे पर चीन का रुख अटल है। (file photo)
बीजिंगः चीन ने भारत की आपत्ति की बावजूद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के गिलगित-बाल्तिस्तान में दिआमेर-ब्हाशा बांध बना रही अपनी सरकारी कंपनी का शुक्रवार को बचाव करते हुए कहा कि इस बांध को स्थानीय आबादी की भलाई के लिये बनाया जा रहा है।
पाकिस्तान सरकार ने बुधवार को चीन की सरकारी कंपनी चाइना पावर और पाकिस्तानी सेना की बांध निर्माण से संबंधित कंपनी फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाईजेशन (एफडबल्यूओ) के बीच 5.8 अरब अमेरिकी डॉलर के संयुक्त करार पर हस्ताक्षर किये थे। भारत ने गिलगित-बाल्तिस्तान में बांध के निर्माण के लिये पाकिस्तान द्वारा विशाल-अनुबंध दिए जाने पर बृहस्पतिवार को कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र में ऐसी परियोजनाएं शुरू किया जाना ठीक नहीं है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियांग ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ''कश्मीर मुद्दे पर चीन का रुख अटल है। चीन और पाकिस्तान आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिये आर्थिक सहयोग कर रहे हैं।''
उन्होंने कहा कि यह पारस्परिक रूप से लाभप्रद और बराबरी पर आधारित सहयोग है। दोनों देश 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का भी निर्माण कर रहे हैं। भारत पीओके से होकर जाने वाले इस गलियारे को लेकर चीन के समक्ष आपत्ति जता चुका है।
भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान में बांध बनाने की परियोजना को लेकर पाकिस्तान की आलोचना की
भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान में बांध बनाने के लिए एक बड़ा ठेका देने के पाकिस्तान के कदम पर यह कहते हुए ऐतराज जताया कि उसके (पाकिस्तान के) अवैध कब्जे वाले क्षेत्र में ऐसी परियोजनाएं शुरू करना सही नहीं है।
पाकिस्तान सरकार ने डायमर-भाषा बांध के निर्माण के लिए चीन की एक सरकारी कंपनी और अपनी प्रभावशाली सेना के वाणिज्यिक अंग के साथ 442 अरब रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्त ने कहा, ‘‘ हमारा रुख सतत और स्पष्ट रहा है कि जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों का पूरा क्षेत्र भारत का अविभाज्य रंग रहा है, है और रहेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमने पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र में सभी ऐसी परियोजनाओं को लेकर पाकिस्तान और चीन के सामने लगातार अपना विरोध जताया है और चिंता रखी है।’’
पिछले सप्ताह भी भारत ने तब पाकिस्तान के सामने उसके ‘अवैध एवं जबरन’ कब्जे वाले क्षेत्र में बदलाव लाने की उसकी कोशिश के प्रति अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया था जब वहां की शीर्ष अदालत ने गिलगित बाल्टिस्तान में चुनाव कराने की अनुमति दी थी।
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के वरिष्ठ राजनयिक को अदालत के इस आदेश के विरुद्ध कड़ी आपत्ति जताते हुए एक कड़ा विरोध पत्र सौंपा था। इसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्रों सहित जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख का समूचा क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है।