जी-7 के नेता टीका, चीन से निपटने और बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर न्यूनतम कर को लेकर राजी

By भाषा | Updated: June 13, 2021 23:10 IST2021-06-13T23:10:18+5:302021-06-13T23:10:18+5:30

G-7 leaders agree to deal with China and minimum tax on multinational companies | जी-7 के नेता टीका, चीन से निपटने और बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर न्यूनतम कर को लेकर राजी

जी-7 के नेता टीका, चीन से निपटने और बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर न्यूनतम कर को लेकर राजी

कार्बिस बे (इंग्लैंड), 13 जून (एपी) दुनिया के सात अमीर देशों के समूह के नेताओं ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए गरीब देशों को टीके की एक अरब से ज्यादा खुराकें मुहैया कराने का रविवार को संकल्प लिया। इसके साथ ही उन्होंने विकासशील देशों की प्रगति में मदद और बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर वैश्विक न्यूनतम कर का समर्थन किया।

दो साल में पहली बार प्रत्यक्ष तरीके से बैठक करते हुए नेताओं ने वैश्विक स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा, आधारभूत संरचना और शिक्षा के लिए मदद करने का भी वादा किया।

जी-7 के नेता प्रदर्शित करना चाहते थे कि महामारी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अप्रत्याशित रवैये के कारण पड़े असर के बाद अंतरराष्ट्रीय सहयोग की फिर से शुरुआत हुई है। जी-7 के नेता यह भी जताना चाहते थे कि चीन जैसे अधिनायकवादी प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में गरीब देशों के लिए समूह के कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका अच्छे मित्र हैं। दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड में आयोजित तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन के समापन पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि यह ‘असाधारण, सहयोगात्मक और सार्थक बैठक थी।’ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी समूह के नेताओं के बीच तालमेल की सराहना की।

जॉनसन ने कहा कि जी-7 दुनिया के बाकी हिस्सों में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के मूल्य का प्रदर्शन करेगा और "दुनिया के सबसे गरीब देशों को खुद को हरित और टिकाऊ तरीके से विकसित करने में मदद करेगा।"

कॉर्नवाल तट पर तीन दिनों की बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह हमारे लिए पर्याप्त नहीं है कि हम अपनी प्रशंसा पर मुग्ध हो जाएं और इस बारे में बात करें कि वे मूल्य कितने महत्वपूर्ण हैं। यह बाकी दुनिया पर हमारे मूल्य थोपने के बारे में नहीं है। जी-7 के तौर पर हमें बाकी दुनिया को लोकतंत्र और स्वतंत्रता तथा मानवाधिकारों के फायदे को प्रदर्शित करने का मौका मिला है।’’

बहरहाल, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं और संगठनों ने नेताओं के सामूहिक बयान पर उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं दी। अंतरराष्ट्रीय संगठन ऑक्सफेम से जुड़े मैक्स लॉसन ने कहा, ‘‘सदी के सबसे बड़े स्वास्थ्य संकट, धरती पर जलवायु परिवर्तन के पड़ रहे भीषण असर समेत हमारे समय की बड़ी चुनौतियों से निपटने में वैश्विक नेता नाकाम रहे।’’

जी-7 की इस प्रतिबद्धता के बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि दुनिया की कम से कम 70 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण और महामारी को समाप्त करने के लिए और 11 अरब और खुराकों की जरूरत है।

अमेरिका 50 करोड़ खुराकें, ब्रिटेन ने 10 करोड़ खुराकें देने का संकल्प जताया है। कनाडा से 10 करोड़ खुराकों और फ्रांस से छह करोड़ खुराकों की आपूर्ति होगी। इन सभी टीकों की आपूर्ति 2022 के अंत तक हो जाएगी।

जी-7 के देशों ने कर से बचने का प्रयास कर रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर कम से कम 15 प्रतिशत वैश्विक कर लगाने पर भी सहमति जतायी। अमेरिका ने न्यूनतम कर की पैरवी की और राष्ट्रपति जो बाइडन का मानना है कि एक साथ काम करते हुए यह सम्मेलन ज्यादा उचित वैश्विक अर्थव्यवस्था का समर्थन कर सकता है।

समूह द्वारा रविवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘चीन के संबंध में और प्रतिस्पर्धा के लिए हम वैश्विक अर्थव्यवस्था के निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवस्था को कमजोर करने वाली बाजार विरोधी नीतियों और प्रथाओं को चुनौती देने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण पर परामर्श करना जारी रखेंगे।’’

नेताओं ने कहा कि वे चीन से शिनजियांग और अर्द्ध स्वायत्त शहर हांगकांग में मानवाधिकारों और मौलिक आजादी का सम्मान करने के लिए कहेंगे। चीन पर आरोप है कि शिनजियांग में अल्पसंख्यक उईगुर के अधिकारों का वह हनन कर रहा है।

सम्मेलन की मेजबानी करने वाले जॉनसन चाहते थे कि तीन दिवसीय सम्मेलन से फिर से ‘ग्लोबल ब्रिटेन’ का झंडा बुलंद हो। सम्मेलन पर ब्रेक्जिट के बाद के समझौते को लेकर चल रहे विवाद का भी साया पड़ा। यूरोपीय संघ के नेताओं और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उत्तरी आयरलैंड के संबंध में ब्रिटेन-ईयू के बीच कारोबार को लेकर विवाद पर चिंता प्रकट की। जी-7 का आखिरी सम्मेलन 2019 में फ्रांस में हुआ था। पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के कारण अमेरिका में यह सम्मेलन आयोजित नहीं हो पाया। सम्मेलन में शिरकत करने आए नेताओं का पहले दिन महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने भव्य स्वागत किया और दूसरे दिन ‘रॉयल एयर फोर्स रेड एरोस’ ने हवा में अपने कौशल का प्रदर्शन किया।

अमेरिका के सहयोगी देशों ने भी राहत की सांस ली है कि ट्रंप के कार्यकाल के बाद फिर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर जोर-शोर से अमेरिका की वापसी हुई है। जॉनसन ने जी-7 के सम्मेलन में बाइडन को ‘‘ताजा हवा का झोंका’’ बताया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने बाइडन के साथ वार्ता के बाद कहा, ‘‘यह देखना शानदार है कि इस समूह में अमेरिकी राष्ट्रपति की भागीदारी हुई और उन्होंने सहयोग की इच्छा जतायी।’’

जी-7 की बैठक में आखिरी बार शिरकत करने वालीं जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा, ‘‘हम बेहतर भविष्य के लिए काम करना चाहते हैं।’’ मर्केल इस साल के अंत में चांसलर का पद छोड़ देंगी। बाइडन सोमवार को ब्रसेल्स में नाटो के सम्मेलन में शिरकत करेंगे और बुधवार को जिनेवा में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से वार्ता करेंगे।

समूह के देशों ने लड़कियों की शिक्षा, भविष्य की महामारी को रोकने और वैश्विक स्तर पर हरित ढांचा को लेकर मदद के संबंध में महात्वाकांक्षी घोषणाएं कीं। जी-7 के देशों ने 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य तक पहुंचाने का भी इरादा जताया है लेकिन कई पर्यावरणविदों का मानना है कि इस लक्ष्य के साथ तब तक बहुत देर हो जाएगी।

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