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विदेशी छात्र : भारत अन्तरराष्ट्रीय छात्रों के सबसे बड़े स्रोत देश के रूप में चीन से आगे निकला

By भाषा | Updated: December 14, 2021 18:17 IST

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पीटर हर्ले, पॉलिसी फेलो, मिशेल इंस्टीट्यूट, विक्टोरिया यूनिवर्सिटी और मेलिंडा हिल्डेब्रांट, पॉलिसी फेलो, मिशेल इंस्टीट्यूट, विक्टोरिया यूनिवर्सिटी

मेलबर्न, 14 दिसंबर (द कन्वरसेशन) महामारी के बावजूद अंतरराष्ट्रीय छात्र रिकॉर्ड संख्या में कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जा रहे हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में भारी गिरावट जारी है। विक्टोरिया यूनिवर्सिटी में मिशेल इंस्टीट्यूट के नए शोध से इस तथ्य का पता चलता है।

हमारी रिपोर्ट, छात्र, रूकावट: अंतरराष्ट्रीय शिक्षा और महामारी, में हमने अंतरराष्ट्रीय छात्रों की पसंद के पांच प्रमुख स्थलों: ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूके और यूएस की जांच की।

हमने पाया कि महामारी की पहली लहर के कारण नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों में भारी गिरावट आई है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अपने दरवाजे खोल देने वाले देशों ने जोरदार वापसी की है।

शोध से एक जटिल स्थिति का पता चलता है जहां महामारी ने दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अलग तरह से प्रभावित किया।

चीन से नए छात्रों की संख्या अभी भी महामारी से पहले की तुलना में कम है। लेकिन भारत और नाइजीरिया जैसे कुछ स्रोत देशों से, संख्या रिकॉर्ड स्तर पर है।

अंतरराष्ट्रीय शिक्षा यह जानने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है कि बहुत से देश अपने शिक्षा क्षेत्र में निवेश का प्रबंधन कैसे करते हैं। रिपोर्ट में नए सिरे से जोर दिया गया है कि देश अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने पर जोर दे रहे हैं।

सभी के लिए गिरावट और किसी के लिए वापसी

हमारी रिपोर्ट ने संभावित अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर महामारी के प्रभाव को समझने के लिए छात्र वीजा डेटा की जांच की। छात्र वीज़ा डेटा एक प्रमुख संकेतक है, क्योंकि अधिकांश छात्रों को नामांकन करने से पहले आमतौर पर वीज़ा की आवश्यकता होती है।

जांच से पता चला कि महामारी के परिणामस्वरूप सभी देशों में नए अन्तरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में गिरावट आई है। लेकिन कुछ दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित हुए हैं। ब्रिटेन ने सबसे मजबूत वापसी की है। इसके नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर है - पूर्व कोविड ​​​​से 38% अधिक।

2020 में जारी किए गए नए छात्र वीजा में गिरावट की जांच करने पर पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका में 80% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। सितंबर 2021 की तिमाही तक, कनाडा, यूके और यूएस ने छात्र वीजा पर उपलब्ध डेटा के रिकॉर्ड स्तर पर वापसी की थी।

यह ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों के लिए अच्छी खबर हो सकती है। कनाडा, यूके और यूएस में तेजी से बढ़ती अन्तरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या को देखकर लगता है कि सीमाओं के खुलने का इंतजार कर रहे छात्रों ने सीमाएं खुलते ही इन देशों का रूख किया है। ऐसे में लगता है कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की यात्रा संभव होने पर वहां भी नये अन्तरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी होनी चाहिए।

स्रोत देश से क्या प्रभाव पड़ा है?

विदेशों में शिक्षा ग्रहण करने का मन बना रहे छात्रों के अपने देश में होने वाले कार्यक्रम भी महामारी के दौरान निर्णयों को प्रभावित करने में सहायक रहे।

हमारे शोध ने नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर उनके मूल देश के घटनाक्रम के महामारी पर पड़ने वाले प्रभाव को देखा।

अध्ययन करने पर सबसे बड़े स्रोत देशों के लिए नए छात्र वीज़ा की संख्या में परिवर्तन नजर आता है।

इसमें नाइजीरिया ने सबसे मजबूत वापसी की है, जो बड़े पैमाने पर यूके में पढ़ने वाले नाइजीरियाई छात्रों की वृद्धि से प्रकट होता है।

भारत से विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या में भी पूर्व महामारी के स्तर से 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस वृद्धि के लिए छात्रों की पसंद में बदलाव को जिम्मेदार माना जा सकता हैं

पिछले 12 महीनों में ऑस्ट्रेलिया जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 62% की गिरावट आई है। इसके विपरीत, यूके जाने वाले भारतीय छात्रों की तादाद में 174% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और

भारत अंतरराष्ट्रीय छात्रों के सबसे बड़े स्रोत देश के रूप में चीन से आगे निकल गया है।

नीतिगत निहितार्थ क्या हैं?

नामांकन में बदलाव और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आर्थिक योगदान पर ध्यान केंद्रित करने के साथ अंतरराष्ट्रीय शिक्षा का विश्लेषण एक संख्या का खेल हो सकता है। लेकिन महत्वपूर्ण नीतिगत निहितार्थ हैं।

उदाहरण के लिए, अंतरराष्ट्रीय छात्र पसंद पर भू-राजनीतिक तनाव के प्रभाव के बारे में बहुत बहस हुई है। हमारा शोध बताता है कि प्रशासनिक बाधाओं और यात्रा प्रतिबंधों के कारण चीनी अंतरराष्ट्रीय छात्रों में कमी की संभावना अधिक है।

अंतरराष्ट्रीय छात्र भी शिक्षा क्षेत्रों में कुल निवेश में बहुत योगदान करते हैं। ऑस्ट्रेलिया में, अंतरराष्ट्रीय छात्रों की फीस विश्वविद्यालय के कुल राजस्व का लगभग 27% प्रदान करती है। अंतरराष्ट्रीय छात्रों को खोने से शिक्षा संस्थानों, खासकर विश्वविद्यालयों पर बड़ा असर पड़ सकता है।

महामारी के बाद के माहौल में, सरकारें अपने अंतररष्ट्रीय शिक्षा क्षेत्रों को विकसित करने और बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं।

अमेरिका में, बाइडेन प्रशासन ने जुलाई 2021 में "अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के लिए नई प्रतिबद्धता" की घोषणा की। यूके सरकार का लक्ष्य 2030 तक अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के मद में 75% की वृद्धि करना है।

महामारी का अंतरराष्ट्रीय शिक्षा पर भले ही व्यापक प्रभाव पड़ा है, एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी वैश्विक बाजार में वापसी के लिए माहौल तैयार है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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