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विदेश सचिव श्रृंगला की श्रीलंका की चार दिवसीय यात्रा शुरू

By भाषा | Updated: October 2, 2021 09:53 IST

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कोलंबो, दो अक्टूबर विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शनिवार को श्रीलंका की अपनी चार दिवसीय यात्रा शुरू की। इस दौरान वह राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सहित देश के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे तथा भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करेंगे।

विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि श्रृंगला अपने श्रीलंकाई समकक्ष जयनाथ कोलंबेज के निमंत्रण पर यहां पहुंचे हैं। मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘यह यात्रा लंबे समय से मौजूद बहुआयामी संबंधों में योगदान देगी और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय साझेदारी को बढ़ाएगी।’’

श्रृंगला सेंट्रल जिले कैंडी, पूर्वी बंदरगाह जिले त्रिंकोमाली और उत्तरी शहर जाफना का भी दौरा करेंगे। पिछले साल जनवरी में विदेश सचिव का पद संभालने के बाद श्रीलंका की यह उनकी पहली यात्रा है।

कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने शुक्रवार को कहा कि श्रृंगला की यात्रा द्विपक्षीय संबंधों, द्विपक्षीय परियोजनाओं की प्रगति और कोविड-19 से संबंधित व्यवधानों से निपटने के लिए सहयोग की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करेगी। उनकी यात्रा से कुछ दिन पहले भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह ‘अडाणी ग्रुप’ ने कोलंबो बंदरगाह के ‘वेस्ट इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल’ को विकसित करने के लिए श्रीलंका सरकार के स्वामित्व वाली ‘पोर्ट अथॉरिटी’ के साथ एक समझौता किया है। अडाणी ग्रुप का मुख्यालय अहमदाबाद में है।

श्रीलंका सरकार ने कहा है कि 70 करोड़ डॉलर का ‘बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर’ सौदा इस देश के बंदरगाह क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश है।

श्रृंगला की यात्रा की घोषणा करते हुए विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति में श्रीलंका एक अहम स्थान रखता है और उनकी यात्रा परस्पर हित के सभी क्षेत्रों में दोनों देशों के सौहार्दपूर्ण और करीबी संबंधों को मजबूत करने के महत्व को दर्शाती है।

उनकी यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब श्रीलंका आर्थिक तंगी से जूझ रहा है और ऐसी संभावना है कि वह इस बात का आकलन करेंगे कि क्या भारत इस स्थिति से निपटने के लिए देश की कोई सहायता कर सकता है।

समझा जाता है कि विदेश सचिव की पड़ोसी देश की यात्रा के दौरान कोलंबो बंदरगाह पर पश्चिमी कंटेनर टर्मिनल के निर्माण से जुड़े मामलों पर भी चर्चा हो सकती है। कोलंबो में अपनी वार्ता के दौरान श्रृंगला के लंबे समय से लंबित तमिल मुद्दे पर भारत के विचारों को दोबारा रखने की भी उम्मीद है।

भारत लगातार श्रीलंका से तमिल समुदाय के हितों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और एक बहुजातीय एवं बहुधार्मिक समाज के रूप में देश के चरित्र को संरक्षित करने का आह्वान करता रहा है। श्रीलंका में तमिल समुदाय संविधान में 13वें संशोधन को लागू करने की मांग करता रहा है जो उसे सत्ता के हस्तांतरण का प्रावधान प्रदान करता है। 13वां संशोधन 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते के बाद लाया गया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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