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रूस के साथ रक्षा समझौते के बाद भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों की आशंका बरकरार

By भाषा | Updated: May 21, 2020 19:02 IST

अमेरिका की एक शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि रूस से कई अरब डॉलर की एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने के कारण भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों की आशंका अभी भी बनी हुई है ।

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ठळक मुद्देअमेरिका की एक शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि रूस से कई अरब डॉलर की एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने के कारण भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों की आशंका अभी भी बनी हुई है ।साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को प्रौद्योगिकियों तथा प्लेटफॉर्मों के लिए रणनीतिक प्रतिबद्धता देनी होगी।

वाशिंगटन: अमेरिका की एक शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि रूस से कई अरब डॉलर की एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने के कारण भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों की आशंका अभी भी बनी हुई है । साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को प्रौद्योगिकियों तथा प्लेटफॉर्मों के लिए रणनीतिक प्रतिबद्धता देनी होगी। भारत ने अमेरिकी चेतावनी के बावजूद अक्तूबर 2018 में एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। 

अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत इस सौदे पर आगे बढ़ेगा तो उसे ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट’ (सीएएटीएसए) के तहत अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। भारत ने मिसाइल प्रणाली के लिए पिछले साल रूस को तकरीबन 80 करोड़ डॉलर का पहला भुगतान किया था। एस-400 लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली रूस की सबसे आधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली है। 

दक्षिण और मध्य एशिया मामलों का प्रभार संभाल रहीं निवर्तमान प्रधान उप सहायक विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने वाशिंगटन डीसी स्थित एक थिंक टैंक से बुधवार को कहा, ‘‘सीएएटीएसए संसद के लिए एक नीतिगत प्राथमिकता बनी हुई है जहां इसे लागू करने की आपने मजबूत मांग और सैन्य बिक्री से रूस को होने वाले आर्थिक फायदे को लेकर चिंता देखी है कि वह इसका इस्तेमाल पड़ोसी देशों की संप्रभुता को और भी कमतर करने के लिए कर सकता है।’’ सीएएटीएस एक कठोर कानून है और इसके तहत अमेरिका ने रूस पर पाबंदियां लगा रखी हैं। इस कानून के तहत उन देशों पर दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है जो रूस से रक्षा सामान खरीदते हैं।

 वेल्स ने भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा के एक सवाल पर कहा, सीएएटीएसए अभी भी मुद्दा है, यह विचार से हटा नहीं है। इसे रूसी कोण से देखने के बजाए, मैं समझती हूं कि ज्यादा अहम विमर्श यह होना चाहिए कि अब जब भारत उच्चतर स्तर की प्रौद्योगिकीय प्रणालियां अपनाने की तरफ बढ़ रहा है, यह सचमुच एक सवाल बन गया है कि भारत किस व्यवस्था के तहत संचालन करना चाहता है।’’ उन्होंने एटलांटिक काउंसिल की एक ऑनलाइन चर्चा में कहा, ‘‘वे कैसे अपनी प्रणालियों को एक-दूसरे से संवाद कराना चाहते हैं? यह मिलाने (मिक्स) और मैच कराने का प्रबंध नहीं है। 

एक खास बिंदु पर भारत को प्रौद्योगिकियों और मंचों के प्रति एक प्रकार से प्रतिबद्धता तय करनी होगी और हम समझते हैं कि हमारे पास सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकियां और मंच हैं।’’ इसके साथ ही वेल्स ने भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा रिश्तों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने रक्षा कारोबार में बहुत प्रगति की है और राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) की यात्रा के बाद द्विपक्षीय कारोबार अब 20 अरब डॉलर के पार जा रहा है। मैं समझती हूं कि एक समन्वित नीतिगत बदलाव ला कर भारत को सशस्त्र मानवरहित वायु वाहन (यूएवी) जैसी सर्वाधिक आधुनिक प्रौद्योगिकियों की पेशकश करने का श्रेय इस (ट्रंप) सरकार को जाता है।’’ 

उन्होंने उम्मीद जताई कि कोविड-19 के चलते बजटीय चुनौतियों के बावजूद दोनों देशों के बीच रक्षा कारोबार में इजाफा होगा। वेल्स ने कहा अमेरिका भारत को एक वैश्विक ताकत के रूप में देखता है और उसके वैश्वक हितों को समझता है जिनकी वह कूटनीतिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा सैन्य तरीके से रक्षा करना चाहता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच निजी संबंध स्पष्ट है और इससे निश्चित ही दोनों देशों के बीच संबंधों को बढ़ाने में मदद मिली है। 

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