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एवरेस्ट की ऊंचाई में बदलाव के कारक

By भाषा | Updated: December 10, 2020 17:15 IST

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बीजिंग, 10 दिसंबर (एपी) दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई अब आधिकारिक तौर पर थोड़ी ज्यादा हो गई है लेकिन इस कहानी में अभी काफी कुछ बचा हुआ है और यह लंबाई एवरेस्ट की कहानी का अंत नहीं है।

माउंट एवरेस्स्ट को फिर से नापने के बाद नेपाल और चीन ने मंगलवार को संयुक्त रूप से घोषणा की कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी अब 86 सेंटीमीटर और ऊंची है और अब इसकी ऊंचाई 8848.86 मीटर है।

माउंट एवरेस्ट की संशोधित ऊंचाई सामने आने के बाद दो पड़ोसी देशों के बीच दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी को लेकर दशकों पुराने विवाद का अंत हो गया।

एवरेस्ट, चीन और नेपाल की सीमा के बीच में है और पर्वतारोही इस पर दोनों ओर से चढ़ते हैं।

भले ही ऊंचाई निश्चत लगती हो लेकिन भूगर्भीय बदलाव, पर्वत को मापने के पेचीदा तरीके और दुनिया की सबसे ऊंची चोटी तय करने के अलग-अलग मानदंड यह दिखाते हैं कि अब भी कई तरह के सवाल बचे हुए हैं। भूगर्भीय कारकों की वजह से ऊंचाई में बढ़ोतरी और कमी होती रहती है। टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधि की वजह से पर्वत की ऊंचाई धीरे-धीरे बढ़ सकती है और भूकंप से इसकी ऊंचाई कम भी हो सकती है।

इस साल की शुरुआत में एवरेस्ट की उंचाई का सर्वेक्षण करने वाले चीनी दल के एक सदस्य डांग यामिन ने बताया कि प्रतिकारक बल स्थायित्व को लंबे समय तक सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।

उन्होंने चीन की सरकारी शिन्हुआ समाचार एजेंसी को बताया, ‘‘ संतुलन बनाना प्रकृति का स्वभाव है।’’ उदाहरण के तौर पर डांग ने 1934 के भयानक भूकंप का हवाला दिया, जिसमें कुछ क्षणों के भीतर ही 150 साल से बनी ऊंचाई को खत्म कर दिया था।

पर्वतों की लंबाई मापने के कई तरीके हैं। पिछले साल नेपाल की एक टीम ने जीपीएस उपग्रहों के माध्यम से इसकी सटीक स्थिति का पता लगाने के लिए एवरेस्ट की चोटी पर एक उपग्रह नौवहन मार्कर लगाया। चीन के भी एक दल ने बसंत के महीने में इसी तरह के एक मिशन की शुरुआत की। हालांकि इसने चीन में निर्मित बाइडू नौवहन उपग्रह का इस्तेमाल अन्य उपकरणों के साथ किया। नेपाल के दल ने एवरेस्ट की सबसे ऊंची चट्टान पर बर्फ की परत को मापने के लिए जमीन में लगाए जाने वाले एक रडार का भी इस्तेमाल किया।

समुद्र तल के ऊपर से पर्वत की ऊंचाई को मापना थोड़ा मुश्किल रहा है क्योंकि समुद्र स्तर ज्वार और चुंबकत्व समेत अन्य कारकों की वजह से अलग-अलग रहता है। समुद्र का जल स्तर बढ़ने से भविष्य में होने वाले मापन के लिए अलग तरह की चुनौती पेश कर रहा है। एवरेस्ट को सबसे ऊंचा पर्वत होने का ताज इसलिए मिला है क्योंकि यह पहले ही ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र में है।

वहीं पृथ्वी के कोर (पृथ्वी के केंद्रीय भाग) के मापन के अनुसार इक्वाडोर का माउंट चिम्बोराजो दुनिया में सबसे ऊंचा है जो कि एवरेस्ट से 2,072 मीटर ऊंचा है। चूंकि पृथ्वी बीच में से उभरी हुई है इसलिए भूमध्यरेखा से लगे पहाड़ कोर से दूर हैं।

वहीं पर्वत की निचली सतह से चोटी की गणना की जाए तो हवाई का ‘मौना किया’ पर्वत सबसे ऊंचा है लेकिन इसका ज्यादातर हिस्सा समुद्र के नीचे है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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