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फेसबुक, टि्वटर ने विषयवस्तु को संतुलित करने के संबंध में कानून में बदलाव का विरोध किया

By भाषा | Updated: November 18, 2020 17:10 IST

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(ललित के झा)

वाशिंगटन, 18 नवंबर फेसबुक और ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) ने ऐसे किसी भी बदलाव का पुरजोर विरोध किया है जिससे अमेरिकी सरकार को विषयवस्तु में दखल की अनुमति होगी। दोनों सोशल मीडिया कंपनियों ने कहा कि यह नयी इंडस्ट्री है और इसका अलग नियामकीय मॉडल होना चाहिए ।

हालांकि, सांसदों के साथ फेसबुक के सीईओ मार्क जुकेरबर्ग और टि्वटर के सीईओ जैक डोर्से ने 1996 के संचार संबंधी कानून की विवादित धारा 230 में आवश्यक संशोधन पर सहमति जतायी है। दोनों सोशल मीडिया कंपनी के प्रमुखों ने कहा कि वे ऐसे किसी बदलाव का विरोध करते हैं जो सरकार को विषयवस्तु को संतुलित करने का अधिकार देगा।

इस कानून की धारा 230 के तहत वेबसाइट प्रकाशकों को तीसरे पक्ष की विषयवस्तु से छूट प्रदान की गयी है और कहा गया है कि कंप्यूटर संवाद सेवा को मुहैया कराने वाले या प्रयोक्ता को किसी सूचना का प्रकाशक या वक्ता नहीं माना जाएगा।

कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने कहा, ‘‘धारा 230 इन प्रौद्योगिकी के फलने फूलने के लिए तैयार की गयी थी। अगर फेसबुक पर किसी विषयवस्तु पोस्ट करने या ट्वीट के लिए टि्वटर पर आप मुकदमा करेंगे और किसी दूसरे के वक्तव्य के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराएंगे तो कंपनी का अस्तित्व नहीं रहेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि हम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को प्रोत्साहित करने के लिए धारा 230 में बदलाव कर सकते हैं ताकि वे ऐसा मानक तैयार करें जो पारदर्शी हो। ’’

ग्राहम ने कहा कि वह नहीं चाहते कि सरकार अमेरिका के लोगों को बताए कि क्या ट्वीट करना वैध है और क्या नहीं।

विषयवस्तु पर रोक लगाने और 2020 के चुनावों पर सुनवाई करने वाली सीनेट की न्यायिक समिति के सामने गवाही देते हुए डोर्से ने माना कि विषयवस्तु को संतुलित करने के संबंध में और धारा 230 के इस्तेमाल को लेकर चिंताएं हैं ।

ग्राहम के एक सवाल पर डोर्से और जुकेरबर्ग ने कहा कि वे धारा 230 में सुधार का समर्थन करते हैं लेकिन नियमन का विरोध करते हैं । जुकेबरबर्ग ने कहा कि सोशल मीडिया के ये प्लेटफॉर्म नयी इंडस्ट्री हैं और इसके लिए अलग नियामकीय मॉडल होना चाहए जो कि दूरसंचार नियामक और प्रकाशन उद्योग से अलग हो ।

जुकेरबर्ग ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह ऐसा मामला नहीं है कि लोग दूरसंचार नियामक की तरह के कदम की अपेक्षा करेंगे। विषवस्तु की कुछ श्रेणियां हैं चाहे आतंकवाद हो या बाल शोषण का मामला, लोग हमसे इसे संतुलित करने और इसका समाधान करने की उम्मीद करते हैं। लेकिन हम समाचार प्रकाशक नहीं हैं जो कि खबर बनाते हैं और उसे प्रकाशित करते हैं। हम ना तो विषयवस्तु तैयार करते हैं और ना ही उसे चुनते हैं। हम लोगों को अपनी चीजें प्रकाशित करने की आजादी देते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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