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शांति रक्षा सम्मेलन में भारत जैसे देशों से महत्वपूर्ण योगदान की आशा: संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी

By भाषा | Updated: November 23, 2021 16:01 IST

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(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 23 नवंबर दक्षिण कोरिया में आयोजित होने वाले शांति रक्षा सम्मेलन से पहले संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने भारत जैसे देशों से महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद जताई है। संयुक्त राष्ट्र में संचालन सहायता के लिए अवर महासचिव अतुल खरे ने आशा जताई है कि भारत, विमानन संपत्ति और पुलिस इकाईयों के गठन जैसे क्षेत्र में ठोस योगदान देने की घोषणा के साथ अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में इकाईयों की तैनाती कर ‘‘हमारी पर्यावरण संबंधी चिंताओं’’ को दूर करने का बीड़ा उठाएगा।

संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का आयोजन सात-आठ दिसंबर को दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में होगा। इस सम्मेलन में विदेश और रक्षा मंत्रियों के साथ अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख एक साथ इकट्ठा होंगे। खरे ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण आयोजन होगा और हमें उम्मीद है कि इसके परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने को लेकर सदस्य देशों की ओर से ठोस प्रतिज्ञाएं होंगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे भारत जैसे देशों से बहुत उम्मीदें हैं, जो न केवल सैनिकों के जरिए योगदान देने में अग्रणी है बल्कि हथियार युक्त या जंगी हेलीकॉप्टर जैसी बहुत जरूरी विमानन परिसंपत्ति या पुलिस इकाइयों के रूप में भी बढ़ चढ़कर योगदान दे रहा है।’’

खरे ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि सदस्य देश मंत्रिस्तरीय वार्ता के दो प्रमुख विषय-प्रौद्योगिकी और चिकित्सा क्षमता पर ठोस प्रतिज्ञाएं करेंगे, जिसका संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों की रक्षा और सुरक्षा में सुधार में महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह भी उम्मीद करूंगा कि भारत अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में इकाइयों की तैनाती कर और वर्दीधारी कर्मियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के लैंगिक लक्ष्यों को पूरा करने का वचन देकर हमारी पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने में भी अग्रणी भूमिका निभाएगा।’’

सितंबर तक भारत दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र मिशनों में 5,481 सैनिकों का योगदान दे रहा है। अगस्त में भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने शांति रक्षा के मुद्दे पर दो महत्वपूर्ण परिणाम दस्तावेजों को सर्वसम्मति से अपनाया था। ‘संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों के खिलाफ अपराधों की जवाबदेही’ पर संकल्प के साथ-साथ ‘शांति व्यवस्था के लिए प्रौद्योगिकी’ पर अध्यक्षता वाला वक्तव्य अंगीकृत किया गया था।

खरे ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित ‘कोविशील्ड’ टीके की दो खेप मिली है। पहली खेप के तहत 1,00,000 खुराक खरीदी गई थी और 2,00,000 खुराक भारत सरकार ने दान में दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘66 देशों में 67 स्थानों पर टीके की सभी 300,000 खुराकें स्थानीय प्रशासन के लिए वितरित की गईं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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