आतंकी गतिविधियों के लिये बच्चों की भर्ती का खतरनाक व चिंताजनक चलन बढ़ रहा है : भारत

By भाषा | Updated: June 28, 2021 21:17 IST2021-06-28T21:17:16+5:302021-06-28T21:17:16+5:30

Dangerous and worrying trend of recruitment of children for terrorist activities is increasing: India | आतंकी गतिविधियों के लिये बच्चों की भर्ती का खतरनाक व चिंताजनक चलन बढ़ रहा है : भारत

आतंकी गतिविधियों के लिये बच्चों की भर्ती का खतरनाक व चिंताजनक चलन बढ़ रहा है : भारत

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 28 जून आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों के लिये आतंकी समूहों द्वारा बच्चों को ज्यादा संख्या में भर्ती किए जाने पर चिंता जाहिर करते हुए भारत ने इसके लिये जिम्मेदार सभी तत्वों को मिलने वाले संरक्षण को खत्म करने का आह्वान किया।

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘बच्चे और सशस्त्र संघर्ष’ विषय पर एक खुली बहस के दौरान कहा, “हम वैश्विक आतंकवाद में एक खतरनाक और चिंताजनक प्रवृत्ति देख रहे हैं और वह यह कि आतंकवाद संबंधी गतिविधियों के लिये बच्चों को भर्ती किये जाने और उन्हें इसमें शामिल किए जाने के मामले बढ़ रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि खास तौर पर महामारी के दौरान स्कूलों के बंद होने के बीच यह प्रवृत्ति बढ़ी है और बच्चों के प्रति इस घोर शोषण के लिये जिम्मेदार सभी तत्वों को मिल रहे संरक्षण को खत्म किया जाना चाहिए।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव की ‘बच्चे और सशस्त्र संघर्ष’ रिपोर्ट पर भी चिंता जाहिर की कि रिपोर्ट में वह “आरोप” भी शामिल हैं कि वे सशस्त्र संघर्ष या अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिये खतरा नहीं है और कहा कि जनादेश के चुनिंदा विस्तार करने का प्रयास एजेंडा का राजनीतिकरण करता है।

श्रृंगला ने कहा, “परिषद के स्पष्ट जनादेश के बावजूद, हम चिंता के साथ यह संज्ञान में लेते हैं कि महासचिव की रिपोर्ट में ऐसे आरोप शामिल हैं जो सशस्त्र संघर्ष की स्थिति या अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को कायम रखने के लिहाज से खतरा नहीं है।”

उन्होंने कहा, “हमें सतर्क रहना चाहिए क्योंकि चुनिंदा तरीके से जनादेश का विस्तार करने के प्रयास एजेंडा का राजनीतिकरण करते हैं, अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा और सशस्त्र संघर्ष में बच्चों जैसे वास्तविक खतरों से ध्यान भटकाते हैं।”

‘बच्चे और सशस्त्र संघर्ष’ पर महासचिव एंटोनियो गुतारेस की रिपोर्ट में भारत का उल्लेख ‘सुरक्षा परिषद के एजेंडा के लायक स्थितियां नहीं होने या अन्य स्थितियों’ के तहत है।

रिपोर्ट में गुतारेस ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर में बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन को लेकर “चिंतित” है। उन्होंने सभी “गंभीर उल्लंघनों के लिये राष्ट्रीय निरोधात्मक एवं जवाबदेही उपायों को लागू करने” के लिये अपने विशेष प्रतिनिधि से भारत सरकार के सकारात्मक संपर्क का भी स्वागत किया।

श्रृंगला ने परिषद को बताया कि कोविड-19 महामारी ने सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में प्रभावित बच्चों पर और नकारात्मक असर डाला है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक सेवाओं तक उनकी पहुंच बाधित होना शामिल है। महामारी ने उन्हें विशेष रूप से भर्ती और अपहरण के जरिये घोर उल्लंघन के संदर्भ में और संवेदनशील बना दिया है।

उन्होंने कहा कि महामारी के कारण विद्यालयों के बंद होने ने आतंकवादी समूहों को बच्चों को निशाना बनाने का ज्यादा व्यापक अवसर दिया है, जिसके तहत वे ऑनलाइन माध्यमों के जरिये हिंसक अतिवादी विचारधाराओं के प्रति उनके मन में जगह बनाने की कोशिश करते हैं।

भारत ने वैश्विक आतंकवाद में उस “खतरनाक व चिंताजनक” प्रवृत्ति को लेकर आवाज उठाई, जिसके तहत ज्यादा संख्या में बच्चों को भर्ती किया जा रहा है और आतंकवाद संबंधी गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है।

श्रृंगला ने कहा कि आतंकवादी समूह इस बात का फायदा उठाते हैं कि बच्चों को बरगलाने में कामयाबी की संभावना सबसे ज्यादा रहती है। उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि बाल संरक्षण और आतंकवाद विरोधी एजेंडे को लागू करने के लिये अधिक समन्वित नजरिये की आवश्यकता है। राष्ट्रों को आतंकवाद के दोषियों तथा उनके प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने के साथ ही परिषद के बाल संरक्षण दायित्वों को पूरा करने के लिये ज्यादा राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाने की जरूरत है।”

भारत ने उन लोगों को दंड से मिली छूट खत्म करने का आह्वान किया, जो बच्चों के खिलाफ घोर उल्लंघन के लिए उकसाने या उसके लिये साजिश रचने के जिम्मेदार हैं।

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Web Title: Dangerous and worrying trend of recruitment of children for terrorist activities is increasing: India

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