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Coronavirus Pandemic: कोरोना केस चार करोड़ के पार, दुनिया भर में 10.1 लाख से अधिक लोगों की मौत, जानिए आंकड़े

By भाषा | Updated: October 19, 2020 19:17 IST

विशेषज्ञों का यह भी मानना ​​है कि वास्तविक संख्या कहीं ज्यादा है। अमेरिका, ब्राजील और भारत ने अब तक सबसे अधिक मामलों की जानकारी दी है।

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ठळक मुद्देघातक वायरस से अब तक 10.1 लाख से अधिक लोगों की मौत होने की पुष्टि हो चुकी है।यूरोप में अब अब तक इस महामारी से 2,40,000 से अधिक लोगों की मौत होने की पुष्टि हुयी है।यूरोप में आए नए मामलों में से करीब आधे मामले ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और स्पेन से हैं। 

लंदनः विश्व भर में कोरोना वायरस के कहर के बीच संक्रमित लोगों की कुल संख्या चार करोड़ से अधिक हो गयी है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल एक हिस्सा है और इस महामारी का वास्तविक प्रभाव अभी आना बाकी है। इस घातक वायरस से दुनिया भर में लोगों के जीवन और उनके कार्यों को प्रभावित किया है।

जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के अनुसार सोमवार सुबह संक्रमितों की संख्या चार करोड़ के पार हो गयी। यह विश्वविद्यालय दुनिया भर से कोरोना वायरस संबंधी आंकड़े एकत्र करता है। यह संख्या और अधिक हो सकती है क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों में इस वायरस से संक्रमण के लक्षण नहीं हैं। इसके अलावा कई सरकारों ने वास्तविक संख्या नहीं बतायी है। इस घातक वायरस से अब तक 10.1 लाख से अधिक लोगों की मौत होने की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि विशेषज्ञों का यह भी मानना ​​है कि वास्तविक संख्या कहीं ज्यादा है।

अमेरिका, भारत और ब्राजील ने अब तक सबसे अधिक मामलों की जानकारी दी है। इन देशों में कमश: 81 लाख, 75 लाख और 52 लाख मामले सामने आए हैं। हालांकि हाल के हफ्तों में संक्रमित लोगों की संख्या में वृद्धि यूरोप के कारण हुयी है। यूरोप में संक्रमितों की संख्या में उछाल आया है। यूरोप में अब अब तक इस महामारी से 2,40,000 से अधिक लोगों की मौत होने की पुष्टि हुयी है। पिछले हफ्ते, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा था कि यूरोप में करीब सात लाख मामलों की साप्ताहिक रिपोर्ट थी और यह क्षेत्र विश्व स्तर पर लगभग एक तिहाई मामलों के लिए जिम्मेदार था।

यूरोप में आए नए मामलों में से करीब आधे मामले ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और स्पेन से हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार पर काबू के लिए यूरोप भर में किए जा रहे नए उपाय "पूरी तरह से आवश्यक" हैं। इटली और स्विट्जरलैंड में मास्क पहनने को अनिवार्य किया गया है वहीं उत्तरी आयरलैंड और चेक गणराज्य में स्कूलों को बंद कर दिया गया है।

इसके अलावा बेल्जियम में रेस्तरां और बार बंद कर दिए गए हैं। फ्रांस में कुछ समय के लिए कर्फ्यू और ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में सीमित लॉकडाउन लागू किया गया है। एजेंसी ने कहा कि कई यूरोपीय शहरों के अस्पतालों में जल्द ही गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। एजेंसी ने विभिन्न सरकारों और नागरिकों को आगाह किया कि उन्हें सभी आवश्यक उपाय करने चाहिए। इनमें परीक्षण को बढ़ावा देना, संपर्कों का पता लगाना, मास्क पहनना और सामाजिक दूरी का पालन करना शामिल है। 

कोल्ड चेन की कमी से दुनिया में तीन अरब लोगों तक कोरोना टीका पहुंचने में हो सकती है देर

गम्पेला बुर्किना फासो का एक छोटा स्थान है जहां के चिकित्सा केंद्र में पिछले करीब एक साल से रेफ्रिजेटेर काम नहीं कर रहा है। दुनिया भर में ऐसे कई स्थान हैं जहां यह सुविधा अभी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में कोरोना वायरस पर काबू के अभियान में बाधा आ सकती है।

पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले कोरोना वायरस के टीके को सुरक्षित रखने के लिए फैक्ट्री से लेकर सिरिंज (सुई) तक लगातार ‘कोल्ड चेन’ की जरूरत होगी। लेकिन विकासशील देशों में ‘कोल्ड चेन’ बनाने की दिशा में हुयी प्रगति के बाद भी दुनिया के 7.8 अरब लोगों में से लगभग तीन अरब लोग ऐसे हैं जिन तक कोविड-19 पर काबू पाने के लिए टीकाकरण अभियान की खातिर तापमान-नियंत्रित भंडारण नहीं है।

इसका नतीजा यह होगा कि दुनिया भर के निर्धन लोग जो इस घातक वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, उन तक यह टीका सबसे अंत में पहुंच सकेगा। टीके के लिए ‘कोल्ड चेन’ गरीबों के खिलाफ एक और असमानता है जो अधिक भीड़ वाली स्थितियों में रहते हैं और काम करते हैं। इससे वायरस को फैलने का मौका मिलता है। ऐसे लोगों तक मेडिकल ऑक्सीजन की भी पहुंच कम होती है जो इस वायरस से संक्रमण के उपचार के लिए महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा ऐसे लोग बड़े पैमाने पर परीक्षण के लिए प्रयोगशालाओं, आपूर्ति या तकनीशियनों की कमी का भी सामना करते हैं। कोरोना वायरस टीकों के लिए ‘कोल्ड चेन’ बनाए रखना धनी देशों के लिए भी आसान नहीं होगा खासकर तब जबकि इसके लिए शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस नीचे (माइनस 94 डिग्री एफ) के आसपास के तापमान की आवश्यकता होती है। बुनियादी ढांचे और शीतलन प्रौद्योगिकी के लिए पर्याप्त निवेश नहीं हुआ है जिसकी टीकों के लिए जरूरत होगी।

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