जापान में फंसे 220 भारतीय हैं स्वदेश लौटने को बेताब, दूतावास से संपर्क कर किया अनुरोध

By भाषा | Updated: April 21, 2020 15:00 IST2020-04-21T14:47:42+5:302020-04-21T15:00:40+5:30

जापान में लागू आंशिक बंद भी उनकी चिंता बढ़ा रहा है क्योकि वे संक्रमित होने के लगातार भय में जी रहे हैं। होक्कैदो विश्वविद्यालय में शोध छात्र राहुल जोए का करार पिछले माह समाप्त हो गया था और वह अहमदाबाद वापस जाने के लिए तैयारी कर रहा था जहां उसकी गर्भवती पत्नी उसका इंतजार कर रही थीं।

Coronavirus Lockdown: 220 Indians stranded in Japan desperate to return home, requested to embassy | जापान में फंसे 220 भारतीय हैं स्वदेश लौटने को बेताब, दूतावास से संपर्क कर किया अनुरोध

धानमंत्री नरेंद्र मोदी की 24 मार्च की घोषणा के बाद से भारत में लॉकडाउन लागू है।

Highlightsगर्भवती महिला समेत कम से कम 220 ऐसे भारतीय हैं जो जापान से अपने देश लौटने को बेताब हैं।92 आश्रितों समेत 220 भारतीयों के एक समूह ने तोक्यो में भारतीय दूतावास से संपर्क कर अनुरोध किया है

नयी दिल्ली: अपने नवजात शिशु से मिलने को बेताब एक शोध छात्र, बेंगलूरू में मिले नौकरी के प्रस्ताव को लेकर चिंतित स्नातक कर चुका एक व्यक्ति और कार्यालय के काम से चार दिन के लिए जापान आने के बाद यहां फंसी गर्भवती महिला समेत कम से कम 220 ऐसे भारतीय हैं जो जापान से अपने देश लौटने को बेताब हैं। 92 आश्रितों समेत 220 भारतीयों के एक समूह ने तोक्यो में भारतीय दूतावास से संपर्क कर अनुरोध किया है कि उन्हें भारत भेजा जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 24 मार्च की घोषणा के बाद से भारत में लॉकडाउन लागू है। इन भारतीयों ने एक पत्र में भरोसा दिलाया है कि वे वापस भारत लाए जाने पर स्वयं को पृथक-वास में रखेंगे और प्राधिकारियों से पूरा सहयोग करेंगे।

जापान में लागू आंशिक बंद भी उनकी चिंता बढ़ा रहा है क्योकि वे संक्रमित होने के लगातार भय में जी रहे हैं। होक्कैदो विश्वविद्यालय में शोध छात्र राहुल जोए का करार पिछले माह समाप्त हो गया था और वह अहमदाबाद वापस जाने के लिए तैयारी कर रहा था जहां उसकी गर्भवती पत्नी उसका इंतजार कर रही थीं। स्वदेश लौटने की तारीख तय थी, टिकट बुक थी... लेकिन तभी बंद लागू हो गया। जोए ने ‘पीटीआई भाषा’ से फोन पर कहा, ’’हमें दो दिन पहले बेटी हुई है और मुझे नहीं पता कि मैं कब उसे पहली बार देख पाऊंगा। मेरे करार के साथ मेरे चिकित्सकीय बीमा की अवधि भी समाप्त हो गई है और अब मुझे चिंता है कि अगर मैं बीमार पड़ गया तो मैं अपना इलाज कैसे कराऊंगा।’’

चार दिन की यात्रा पर जापान गए कमल विजयवर्गीय ने कहा, ’’ मैं चाय का व्यापार करता हूं और वार्षिक बैठक के लिए जापान आता हूं। मैं 18 मार्च को जापान आया था और अब यहां फंस गया हूं।’’ अहमदाबाद की रहने वाली 28 वर्षीय गर्भवती महिला ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘‘जब मैं मार्च में तोक्यो आई थी, उस समय मेरे गर्भधारण की पहली तिमाही थी। मैं चार दिन की आधिकारिक यात्रा पर यहां आई थी लेकिन पहले जनता कर्फ्यू लग गया और फिर यात्रा प्रतिबंध लागू हो गए। एक महीन बीत चुका है, हालांकि मेरे कार्यालय ने मेरे रहने और अन्य आवश्यकताओं के लिए प्रबंध किया है लेकिन किसी दूसरे देश में दिनभर भीतर रहना ऐसे समय में अवसादपूर्ण हैं जब आगे की स्थिति स्पष्ट नहीं हो।’’

इसी प्रकार निहोय विश्वविद्यालय से स्नातक करने वाले एक भारतीय को बेंगलूरू में एक कंपनी में 10 अप्रैल से नौकरी शुरू करनी थी लेकिन वह अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। इस बारे में भारतीय सरकारी अधिकारियों ने कहा कि फंसे हुए भारतीयों को वापस लाना एक जारी प्रक्रिया है। कोविड-19 समन्वयक दम्मू रवि ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम इस बारे में कोई सटीक जवाब नहीं दे सकते क्योंकि बंद लागू है। हमें हालात का जायजा लेना होगा.. यह सरकार का फैसला होगा कि अन्य देशों से भारतीयों को लाने का प्रबंधन कैसे करना है।’’ 

English summary :
A group of 220 Indians, including 92 dependents, contacted the Indian embassy in Tokyo and requested that they be sent to India. The lockdown has been in force in India since Prime Minister Narendra Modi's March 24 announcement.


Web Title: Coronavirus Lockdown: 220 Indians stranded in Japan desperate to return home, requested to embassy

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