जलवायु वार्ता मसौदा समझौते में ‘चिंता' जतायी गयी
By भाषा | Updated: November 10, 2021 17:02 IST2021-11-10T17:02:09+5:302021-11-10T17:02:09+5:30

जलवायु वार्ता मसौदा समझौते में ‘चिंता' जतायी गयी
ग्लासगो, 10 नवंबर (एपी) संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में वार्ताकार एक मसौदा फैसले पर विचार कर रहे हैं जिसमें ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के बारे में उन ‘चिंताओं’ को उजागर किया गया है जिन्हें ग्रह पर पहले से ही अनुभव किया जा रहा है। इसके अलावा इसमें तापमान बढ़ाने वाली गैसों के 2030 तक उत्सर्जन में कटौती कर आधा करने का विश्व से आह्वान किया गया है।
ग्लासगो, स्कॉटलैंड में जलवायु वार्ता में बुधवार को जारी किए गए शुरुआती संस्करण में तीन प्रमुख लक्ष्यों पर विशिष्ट समझौते का जिक्र नहीं किया गया है जो संयुक्त राष्ट्र ने वार्ता में जाने के पहले तय किया था।
मसौदा में 2030 तक 2010 के स्तर से उत्सर्जन में 45 प्रतिशत की कटौती करने और सदी के मध्य तक इसे शून्य करने की आवश्यकता का जिक्र किया गया है। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए देशों को वातावरण में ग्रीनहाउस गैस का उतना ही उत्सर्जन करने की आवश्यकता होगी जितना प्राकृतिक या कृत्रिम तरीकों से अवशोषित किया जा सकता है।
इसमें देशों से "जीवाश्म ईंधन के लिए सब्सिडी के साथ ही कोयले के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से तेजी से बाहर करने’’ का आग्रह किया गया है, लेकिन तेल और गैस के उपयोग को समाप्त करने का कोई स्पष्ट संदर्भ नहीं दिया गया है।
मसौदा में "अफसोस के साथ" स्वीकार किया गया है कि अमीर देश ‘ग्लोबल वार्मिंग’ से प्रभावित गरीब देशों की मदद करने के लिए 2020 तक वित्तीय मदद के तहत हर साल 100 अरब डॉलर प्रदान करने के अपने वादे को पूरा करने में विफल रहे हैं।
मसौदा पेरिस में 2015 में तय किए गए लक्ष्य की पुष्टि करता है। धरती का तापमान पूर्व-औद्योगिक काल से पहले ही 1.1 डिग्री सेल्सियस (2 डिग्री फारेनहाइट) बढ़ चुका है और पूर्व-औद्योगिक काल से तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस (3.6 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक सीमित करने का लक्ष्य रख गया है।
मसौदा में उन देशों से आह्वान किया गया है जिनके पास अपना राष्ट्रीय लक्ष्य नहीं हैं कि वे अगले साल मजबूत लक्ष्यों के साथ वापस आएंगे।
ग्लासगो में सम्मेलन का जो कुछ भी नतीजा निकलता है उसे वार्ता में शामिल लगभग 200 देशों द्वारा सर्वसम्मति से अनुमोदित किया जाना है।
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