पोर्टलैंड (अमेरिका), आठ जुलाई (एपी) प्रशांत उत्तरपश्चिमी क्षेत्र और पश्चिम कनाडा में बेहाल करने वाली गर्मी पड़ रही है और तापमान इतना अधिक होने के पीछे जलवायु परिवर्तन संबंधी मानवजनित कारण है। एक त्वरित नए वैज्ञानिक विश्लेषण में यह पता चला है।
यह विश्लेषण 27 वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने किया है जिसमें उन्होंने गणनाओं के आधार पर कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्मी पड़ने की संभावना कम से कम 150 गुना, बल्कि कहीं अधिक बढ़ गई। इस अध्ययन का अन्य वैज्ञानिकों ने अभी विश्लेषण नहीं किया है।
‘वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन’ के इस अध्ययन में कहा गया कि जून महीने के अंत में तीन अंकों (फैरेनहाइट) में पहुंचा गर्मी का आंकड़ा मानव सभ्यता में औद्योगिक युग से पहले नहीं देखा गया। बल्कि आज की बेहद गर्म दुनिया में भी इतनी गर्मी पड़ना एक हजार वर्ष में एक बार होने वाला विरला घटनाक्रम है।
सह अध्ययनकर्ता ग्रेब्रियल वेच्ची प्रिंसटन विश्वविद्यालय में जलवायु वैज्ञानिक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बड़ा परिवर्तन है।’’
इस अध्ययन में कहा गया कि एक हजार वर्ष में एक बार होने वाला घटनाक्रम तब हर पांच से दस साल में होने लगेगा जब दुनिया और 0.8 डिग्री सेल्सियस गर्म हो जाएगी। यदि कार्बन उत्सर्जन आज की गति के समान ही जारी रहता है तो यह 40 से 50 वर्ष बाद हो सकता है।
वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य एवं वैश्विक पर्यावरण केंद्र में प्रोफेसर सह-अध्ययनकर्ता क्रिस्टी एबी ने कहा, ‘‘यह अध्ययन बताता है कि जलवायु परिवर्तन लोगों की जान ले रहा है।’’
उल्लेखनीय है कि ओरेगॉन में बुधवार तक गर्म हवा के कारण 116 लोगों की मौत हो गई।
नेशनल ऐकेडमी ऑफ साइंसेज ने बताया कि वैज्ञानिकों के दल ने मौसम में आए इस परिवर्तन में जलवायु परिवर्तन की भूमिका का पता लगाने के लिए स्थापित एवं भरोसेमंद प्रक्रिया का इस्तेमाल किया।
बहुत अधिक गर्मी के बारे में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक एवं वरिष्ठ अध्ययनकर्ता फ्रेडरिक ओट्टो ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन के बगैर ऐसा नहीं होता।
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