सूरतः चाइनीज यूनिवर्सिटीज में पढ़ रहे 23,000 से ज्यादा भारतीय छात्रों की ऑनलाइन स्टडी बुरी तरह से प्रभावित हुई है वहीं इनमें से करीब 20,000 मेडिकल के छात्र है।
इन भारतीय छात्रों की ऑनलाइन स्टडी इसलिए बुरी तरह से प्राभावित हुई है क्योंकि भारत सरकार ने कुछ चाइनीज ऐप को प्रतिबंधित कर दिया है। दरअसल, इस छात्रों को अपनी स्टडी जारी रखने के लिए भारत में प्रतिबंधित चाइनीज एप को डाउनलोड करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
बता दें कि भारत ने सीमा पर तनाव के बाद लगभग 250 चीनी ऐप्स को बैन कर दिया था। वहीं चीन के अधिकांश विश्वविद्यालय छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए WeChat, DingTalk, SuperStar और Tencent जैसे वीडियो चैट ऐप का उपयोग कर रहे हैं। इस पर भारतीय छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय उन्हें अपने पाठ्यक्रम जारी रखने के लिए प्रतिबंधित मोबाइल एप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
इंडियन स्टूडेंट्स इन चाइना (ISC) ने इस मुद्दे को चीनी और भारतीय दोनों अधिकारियों के सामने उठाया है। एक अस्थायी समाधान के रूप में, छात्र कक्षाओं में भाग लेने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) के माध्यम से इन ऐप्स का उपयोग कर रहे हैं।
दिल्ली के एक छात्र शाहरुख खान जो वर्तमान में चीन की सूचो यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं ने बताया कि, पहले मेरी कक्षाएं वीचैट एप पर ऑनलाइन आयोजित की जाती थीं। लेकिन भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बाद, मेरे विश्वविद्यालय ने एक और चीनी प्लेटफॉर्म डिंगटॉक का उपयोग करना शुरू कर दिया, लेकिन वह भी प्रतिबंधित हो गया।
बता दें कि ये छात्र 3 लाख रुपये से 4.5 लाख रुपये के बीच वार्षिक ट्यूशन फीस का भुगतान करते हैं। इसके अलावा, चीन की यात्रा पर अभी भी प्रतिबंध लगा हुआ है। वहीं इस मामले पर ISC के नेशनल कॉर्डिनेटर ने कहा कि, नेटवर्क इश्यू के कारण हम लेक्चर अटेंड नहीं कर पाते हैं और इसके साथ ही बहुत सारी गड़बड़ी के कारण, हम कभी-कभी बेसिक डिटेल्स भी नहीं समझ पाते हैं।
जयपुर के निम्रत सिंह हार्बिन मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस सेकेंड ईयर के छात्र है। सिंह ने कहा कि मेरी यूनिवर्सिटी Tencent ऐप पर क्लासेज कंडक्ट कर रही है, लेकिन यह ऐप भारत में प्रतिबंधित है और इस वजह से हमें ऑनलाइन क्लासेज में शामिल होने में भी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मुझे नहीं पता कि मैं कब रेगुलर क्लास अटेंड कर पाऊंगा।
भारत के विभिन्न संगठन अधिकारियों के साथ मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं दक्षिणी गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स (एसजीसीसीआई) के एक सदस्य मनीष कपाड़िया ने कहा कि, ‘गुजरात के छात्रों की ओर से, मैं और कुछ अन्य केंद्र सरकार, मंत्रियों के साथ इन छात्रों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं।’