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रिश्तों में आई दरार को पाटने उत्तर कोरिया पहुंचे चीनी राष्ट्रपति, पत्रकारों को कवर नहीं करने दिया जा रहा शी का दौरा

By भाषा | Updated: June 20, 2019 15:18 IST

शीत युद्ध के समय के सहयोगियों के बीच रिश्तों में उस वक्त ठंडापन आ गया था जब उत्तर कोरिया अपनी परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर बार-बार परीक्षण कर रहा था और बीजिंग संयुक्त राष्ट्र में उस पर लगे प्रतिबंधों का समर्थन कर रहा था। हाल के दौरान शी और उत्तर कोरियाई नेता रिश्तों में आई इस दरार को पाटने की कोशिश में जुटे हैं।

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चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अपने दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर बृहस्पतिवार को प्योंगयांग पहुंचे। यह दौरा ऐसा वक्त हो रहा है जब वह और उत्तर कोरियाई नेता किम जोग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अलग-अलग तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। बीते 14 वर्षों के दौरान किसी चीनी राष्ट्राध्यक्ष का यह पहला उत्तर कोरियाई दौरा है।

शीत युद्ध के समय के सहयोगियों के बीच रिश्तों में उस वक्त ठंडापन आ गया था जब उत्तर कोरिया अपनी परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर बार-बार परीक्षण कर रहा था और बीजिंग संयुक्त राष्ट्र में उस पर लगे प्रतिबंधों का समर्थन कर रहा था। हाल के दौरान शी और उत्तर कोरियाई नेता रिश्तों में आई इस दरार को पाटने की कोशिश में जुटे हैं।

बीते एक साल में किम चार बार चीन का दौरा कर चुके हैं जबकि चीन संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंधों में रियायत की मांग उठा चुका है। चीन के सीसीटीवी के मुताबिक शी दो दिवसीय दौरे पर बृहस्पतिवार को पूर्वाह्न से पहले पहुंचे।

सरकारी मीडिया के मुताबिक, शी के साथ उनकी पत्नी पेंग लीयुन, विदेश मंत्री वांग यी और अन्य अधिकारी है। प्योंगयांग में जगह-जगह चीनी झंडे लगे हुए थे और स्थानीय लोग सड़क के किनारे कतारबद्ध होकर शी के स्वागत में खड़े थे। सत्ताधारी पार्टी के मुखपत्र रोडोंग सिनमुन अखबार में मुखपृष्ठ के ऊपरी आधे पन्ने पर शी से जुड़ी खबरें और तस्वीर प्रकाशित की गई है।

अधिकारियों ने शी के दौरे की मीडिया कवरेज पर कड़ा नियंत्रण रखा हुआ है। प्योंगयांग में मौजूद अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों से कह दिया गया था कि वे उनके दौरे को कवर नहीं कर पाएंगे जबकि शुरू में आमंत्रित किये गए विदेशी मीडिया संगठनों को भी वीजा नहीं मिल सका।

सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति शी के साथ आए चीनी मीडिया प्रतिनिधिमंडल का आकार भी शुरुआती योजना से कम ही रखा गया। यह दौरा काफी हद तक प्रतीकात्मक होगा और इस दौरान कोई संयुक्त बयान आने की उम्मीद नहीं है। विश्लेषकों का मानना है कि चीन के लिए, यह दौरा क्षेत्र में अपने प्रभाव को दिखाने का मौका है।

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