कोरोना वायरस की सच्चाई छुपाने और लोगों को गुमराह करने के लिए चीन ने दिए ट्रोल्स को पैसे, रिपोर्ट में सामने आई बात
By स्वाति सिंह | Updated: December 21, 2020 15:37 IST2020-12-21T15:34:41+5:302020-12-21T15:37:39+5:30
चीनी अधिकारियों ने सरकार की लाइन पर चलने वाली खबरों को सोशल मीडिया पर फैलाने के लिए ट्रोल्स को पैसे दिए और खिलाफ बोलने वाली आवाजों को दबाने के लिए सुरक्षाबलों का इस्तेमाल किया।

रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूज वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देश दिया गया था कि पुश नॉटिफिकेशन न भेजे, पोस्ट कॉमेंटरी न पोस्ट करें, अफवाहों को बढ़ावा न दें।
वॉशिंगटन: चीन ने कोरोना वायरस के बारे में सच्चाई छुपाने और लोगों को गुमराह करने के लिए पैसे दिए थे। एक रिपोर्ट इस बात का खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर लोगों को गुमराह करने के लिए चीनी अधिकारियों की ओर से स्थानीय प्रोपगैंडा वर्करों और ऐसे आउटलेट्स को खुफिया निर्देश मिले हुए थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीनी अधिकारियों ने कोविड-19 पर अपने लिए 'असुविधाजनक खबरों' को दबाने के लिए काफी मेहनत की थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स और एक नॉन-प्रॉफिट इन्वेस्टीगेटिव न्यूजरूम ProPublica में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी अधिकारियों ने सरकार की लाइन पर चलने वाली खबरों को सोशल मीडिया पर फैलाने के लिए ट्रोल्स को पैसे दिए और खिलाफ बोलने वाली आवाजों को दबाने के लिए सुरक्षाबलों का इस्तेमाल किया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन अधिकारियों ने कोरोना आउटब्रेक की चेतावनी देने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग की मौत की खबर के पुश नॉटिफिकेशन अलर्ट को यूजर तक न भेजने के आदेश दिए थे। ये वही डॉक्टर हैं जिनकी कोरोना से मौत हो गई थी। इसके अलावा इन अधिकारियों ने सोशल मीडिया को ट्रेडिंग टॉपिक्स से दिए और धीरे-धीरे डॉक्टर का नाम गायब करने के निर्देश दिए थे और ध्यान भटकाने वाले मुद्दों को इसकी जगह पर बढ़ावा देने वालों को एक्टिवेट किया था।
बता दें कि कोविड पर जानकारी छुपाने के लिए चीन की अमेरिका और दूसरे देशों ने आलोचना की है, लेकिन रिपोर्ट में डॉक्यूमेंट के हवाले से बताया गया है कि चीन ने वायरस को कम खतरनाक दिखाने और अपनी अथॉरिटी को सक्षम दिखाने के लिए मीडिया को मैनिपुलेट किया था।