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चीन, पाकिस्तान ने CPEC की अमेरिकी की आलोचना को किया खारिज, जानिए क्या कहा

By भाषा | Updated: May 23, 2020 15:31 IST

पाकिस्तान और चीन ने अरबों डॉलर की परियोजना ‘सीपीईसी’ और इससे जुड़े कर्ज को लेकर अमेरिका की आलोचना को दरकिनार करते हुए कहा कि यह ऐसे दो देशों के बीच सहयोग की महत्वपूर्ण परियोजना है, जो सदा दोस्त रहे हैं।

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ठळक मुद्देपाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने वेल्स की टिप्पणी का उत्तर देते हुए कहा कि सीपीईसी से जुड़ी परियोजनाओं का सम्मिलित कर्ज पाकिस्तान के कुल कर्ज के 10 प्रतिशत से भी कम है।बयान में कहा गया कि सीपीईसी एक लंबी अवधि की परियोजना है, जिसने ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, औद्योगिकीकरण और रोजगार सृजन में विकास की खाई को पाटने में मदद की है।

इस्लामाबाद/बीजिंग: पाकिस्तान और चीन ने अरबों डॉलर की परियोजना ‘सीपीईसी’ और इससे जुड़े कर्ज को लेकर अमेरिका की आलोचना को शुक्रवार को दरकिनार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह ऐसे दो देशों के बीच सहयोग की महत्वपूर्ण परियोजना है, जो सदा दोस्त रहे हैं। 

दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिये अमेरिका के शीर्ष राजनयिक एलिस वेल्स ने बुधवार को कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया कोरोनो वायरस के कारण अर्थव्यवस्था के कई हिस्सों के बंद होने के आर्थिक परिणामों से जूझ रही है, चीन के लिये यह अपरिहार्य हो जाता है कि वह इस ‘उत्पीड़क, अस्थिर और अनुचित’ कर्ज का बोझ कम करे, जो पाकिस्तान को तकलीफ देने वाले हैं। वेल्स 60 अरब डॉलर की परियोजना ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी)’ के आलोचक रहे हैं। 

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने वेल्स की टिप्पणी का उत्तर देते हुए कहा कि सीपीईसी से जुड़ी परियोजनाओं का सम्मिलित कर्ज पाकिस्तान के कुल कर्ज के 10 प्रतिशत से भी कम है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘इसके अलावा, चीन से प्राप्त सार्वजनिक ऋण की परिपक्वता अवधि 20 वर्ष है और ब्याज की दर 2.34 प्रतिशत है। यदि अनुदानों को शामिल किया जाता है, तो ब्याज दर लगभग दो प्रतिशत रह जाती है। सीपीईसी से संबंधित पाकिस्तान के ऋण दायित्वों पर टिप्पणीकारों और सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा किये गये कुछ दावे तथ्यों के विपरीत हैं।’’ 

बयान में कहा गया कि सीपीईसी एक लंबी अवधि की परियोजना है, जिसने ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, औद्योगिकीकरण और रोजगार सृजन में विकास की खाई को पाटने में मदद की है। उसने कहा कि सीपीईसी चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की एक प्रमुख परियोजना है। यह एक परिवर्तनकारी परियोजना है जो पाकिस्तान के राष्ट्रीय विकास में सकारात्मक और पारदर्शी रूप से योगदान दे रही है। बीआरआई एक कई अरब डॉलर की पहल है, जो चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा 2013 में सत्ता में आने पर शुरू की गई थी। 

इसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि तथा समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है। भारत ने सीपीईसी पर विरोध जताया है, क्योंकि यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है। बीजिंग में, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने अमेरिका पर चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग को बाधित करने का आरोप लगाया। वेल्स की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए झाओ ने कहा कि उनकी टिप्पणियां अमेरिका की "संकीर्ण मानसिकता और पूर्वाग्रह को दर्शाती हैं।" 

उन्होंने कहा, “चीन और दक्षिण एशियाई देश अच्छे पड़ोसी, अच्छे दोस्त और अच्छे साथी हैं। आपसी सम्मान, समानता और संयुक्त विकास के साथ, हम इन देशों को उनकी विकास क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करते हैं। उनकी जरूरतों के आधार पर, हम वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं और सहयोग परियोजनाएं शुरू करते हैं। हम कभी भी उन पर थोपते नहीं हैं और न ही इससे राजनीति जोड़ते हैं। हमने उन्हें कभी भी कुछ भी साबित करने के लिये नहीं कहा।’’ इस्लामाबाद में स्थित चीनी दूतावास ने भी वेल्स की टिप्पणी को बृहस्पतिवार को खारिज किया।

 

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