कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने संबंधी खबर को चीन ने झूठा करार दिया

By भाषा | Updated: May 10, 2021 22:09 IST2021-05-10T22:09:04+5:302021-05-10T22:09:04+5:30

China claims the use of corona virus as a weapon is false | कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने संबंधी खबर को चीन ने झूठा करार दिया

कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने संबंधी खबर को चीन ने झूठा करार दिया

(के जे एम वर्मा)

बीजिंग, 10 मई चीन ने सोमवार को मीडिया में आयी उन खबरों को "एकदम झूठ’’ करार दिया, जिनमें कहा गया है कि उसके सैन्य वैज्ञानिकों ने कोविड-19 महामारी के प्रकोप से पांच साल पहले कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के बारे में जांच की थी । चीन ने कहा कि यह अमेरिका द्वारा देश को बदनाम करने का प्रयास है।

गौरतलब है कि अमेरिकी विदेश विभाग को प्राप्त हुए दस्तावेजों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि चीन के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 महामारी से पांच साल पहले कथित तौर पर कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के बारे में जांच की थी और उन्होंने तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़े जाने का पूर्वानुमान लगाया था।

ब्रिटेन के 'द सन' अखबार ने 'द ऑस्ट्रेलियन' की तरफ से सबसे पहले जारी रिपोर्ट के हवाले से कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग के हाथ लगे ''विस्फोटक'' दस्तावेज कथित तौर पर दर्शाते हैं कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के कमांडर यह घातक पूर्वानुमान जता रहे थे।

चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स कोरोना वायरस का ''जैविक हथियार के नए युग'' के तौर पर उल्लेख किया था, कोविड जिसका एक उदाहरण है।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मैंने इससे संबंधित रिपोर्ट देखी है… चीन को बदनाम करने के लिए अमेरिका कुछ तथाकथित आंतरिक दस्तावेजों को तोड-मरोड़ कर पेश कर रहा है। लेकिन आखिरकार, तथ्यों ने साबित कर दिया कि वे या तो रिपोर्ट की संदर्भ से बाहर दुर्भावनापूर्ण ढंग से व्याख्या कर रहे हैं या एकदम झूठ फैला रहे हैं।"

हुआ ने सरकार द्वारा संचालित ग्लोबल टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा उल्लेखित रिपोर्ट पीएलए का आंतरिक दस्तावेज नहीं है, बल्कि सार्वजनिक रूप से जारी अकादमिक पुस्तक है।

किताब में अमेरिकी वायुसेना के पूर्व कर्नल माइकल ए एनकौफ के हवाले से कहा गया है कि व्यापक जन संहार के हथियारों से निपटने के लिए अगली पीढ़ी के जैविक हथियार अमेरिकी कार्यक्रम का हिस्सा हैं ।

प्रवक्ता ने कहा, "तो यह अमेरिका ही है जो जैविक युद्ध में अनुसंधान कर रहा है।"

उन्होंने अमेरिका पर शोध करने के लिए विदेशों में सैकड़ों जैव प्रयोगशालाओं को संचालित करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, “चीन हमेशा जैविक हथियार सम्मेलन (बीडब्ल्यूसी) के तहत हुए समझौते का पालन करता है। हम जैविक हथियार विकसित नहीं करते हैं। हमने जैविक प्रयोगशालाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई उपाए करने के साथ एक मजबूत कानूनी ढांचा स्थापित किया है।’’

पीएलए के दस्तावेजों में अनुमान लगाया गया है कि जैव हथियार हमले से दुश्मन के चिकित्सा तंत्र को ध्वस्त किया जा सकता है।

दस्तावेजों में अमेरिकी वायुसेना के कर्नल माइकल जे एनकौफ के शोध कार्यों का भी जिक्र किया गया है, जिन्होंने इस बात की आशंका जताई थी कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जा सकता है।

दस्तावेजों में इस बात का भी उल्लेख है कि चीन में वर्ष 2003 में फैला सार्स एक मानव-निर्मित जैव हथियार हो सकता है, जिसे आंतकियों ने जानबूझकर फैलाया हो।

सांसद टॉम टगेनधट और आस्ट्रेलियाई राजनेता जेम्स पेटरसन ने कहा कि इन दस्तावेजों ने कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में चीन की पारदर्शिता को लेकर चिंता पैदा कर दी है।

हालांकि, बीजिंग में सरकारी ग्लोबल टाइम्स समाचारपत्र ने चीन की छवि खराब करने के लिए इस लेख को प्रकाशित करने को लेकर दी आस्ट्रेलियन की आलोचना की है।

गौरतलब है कि दुनिया में कोविड-19 का पहला मामला 2019 के अंत में चीन के वुहान शहर में सामने आया था, तब से यह घातक वायरस अब तक दुनियाभर में 15,84,00,700 लोगों को संक्रमित करने के साथ ही 32,94,655 लोगों की जान ले चुका है।

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Web Title: China claims the use of corona virus as a weapon is false

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