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सटीक मापन प्रणाली से ब्रह्मांड की उत्पत्ति का पता लगाने की कोशिश कर रहा सर्न

By भाषा | Updated: June 20, 2021 11:32 IST

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(मैनचेस्टर विश्वविद्यालय की मार्था हिल्टन, सिराक्यूज़ विश्वविद्यालय के नाथन जुरिक और सर्न के साशा स्टाल)

मैनचेस्टर/न्यूयॉर्क/जिनेवा, जून 20 (द कन्वरसेशन) ब्रह्मांड की उत्पत्ति के शुरुआती क्षणों में क्या हुआ था? सच तो यह है, हम वास्तव में इस बारे में नहीं जानते, क्योंकि प्रयोगशाला में इतने कम समय में ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में समझने के लिए बहुत ऊर्जा और सटीकता की आवश्यकता होती है, लेकिन स्विट्जरलैंड स्थित यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन (सर्न) में लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) के वैज्ञानिक इस रहस्य का पता लगाने की कोशिशों में जुटे हैं।

हमारे एलएचसीबी प्रयोग ने दो कणों के बीच द्रव्यमान में सबसे छोटे अंतर में से एक को मापा है, जिससे हमें हमारे ब्रह्मांड की रहस्यमयी उत्पत्ति के बारे में और जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी।

कण भौतिकी का मानक मॉडल (स्टैंडर्ड मॉडल) ब्रह्मांड को बनाने वाले मूलभूत कणों और उनके बीच कार्य करने वाले बलों के बारे में बताता है। इन प्राथमिक कणों में ‘क्वार्क’ शामिल हैं। क्वार्क के छह प्रकार हैं: : अप , डाउन, स्ट्रेन्ज, चार्म, टॉप और बॉटम। इसी तरह छह ‘लेप्टॉन’ हैं जिनमें इलेक्ट्रॉन,म्यूऑन और टाऊ शामिल हैं। सभी क्वार्क और लेप्टॉन के ‘एंटीमैटर (प्रतिद्रव्य) पार्टनर’ भी होते हैं।

मानक मॉडल को अविश्वसनीय सटीकता के लिए प्रयोगात्मक रूप से सत्यापित किया गया है लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण कमियां हैं। बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार 13.8 अरब साल पहले ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था। यह सिद्धांत बताता है कि इस घटनाक्रम से द्रव्य और प्रतिद्रव्य समान मात्रा में उत्पन्न होने चाहिए। इसके बावजूद आज, ब्रह्मांड लगभग पूरी तरह से द्रव्य से बना है और यह अच्छी बात है, क्योंकि प्रतिद्रव्य और द्रव्य जब मिलते हैं तो एक क्षण में विनाश कर देते हैं।

भौतिकी के सबसे बड़े प्रश्नों में से एक प्रश्न यह है कि प्रतिद्रव्य की तुलना में द्रव्य अधिक क्यों है? क्या ब्रह्मांड की उत्पत्ति की शुरुआत में ऐसी प्रक्रियाएं चल रही थीं जो प्रतिद्रव्य के बजाय द्रव्य के लिए अधिक अनुकूल थीं। इसका उत्तर खोजने के लिए, हमने एक प्रक्रिया का अध्ययन किया है, जहां द्रव्य प्रतिद्रव्य में बदल जाता है और प्रतिद्रव्य द्रव्य में बदल जाता है।

क्वार्क आपस में जुड़कर बेरियोन नामक कण बनाते हैं- जिसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन शामिल हैं जो परमाणु नाभिक बनाते हैं। इसके अलावा क्वार्क एवं एंटीक्वार्क से मिलकर मेसॉन बनते हैं। शून्य विद्युत आवेश वाले मेसॉन मिश्रण नामक एक घटनाक्रम से गुजरते हैं जिसके तहत वे अनायास अपने प्रतिद्रव्य कण में बदल जाते हैं। इस प्रक्रिया में क्वार्क एंटी-क्वार्क में बदल जाता है और एंटी-क्वार्क क्वार्क में बदल जाता है।

ये क्वांटम यांत्रिकी के कारण ऐसा कर सकते हैं। यह यांत्रिकी ब्रह्मांड को सबसे छोटे पैमाने पर नियंत्रित करती है। इस सिद्धांत के अनुसार, कण अनिवार्य रूप से कई अलग-अलग कणों के मिश्रण से एक ही समय में कई अलग-अलग स्वरूपों में हो सकते हैं। इस विशेषता को सुपरपोजिशन कहा जाता है।

ब्रह्मांड की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए सटीक मापन अत्यावश्यक है। ब्रह्मांड ने द्रव्य की तुलना में कम प्रतिद्रव्यों का उत्पादन क्यों किया, यह जानने के लिए हमें दोनों के उत्पादन में विषमता के बारे में अधिक जानने की जरूरत है। कुछ अस्थिर कण अपने संबंधित प्रतिद्रव्य कण की तुलना में अलग तरीके से नष्ट होते हैं। यही कारण रहा होगा, जिसके कारण ब्रह्मांड में द्रव्य अत्यधिक मात्रा में हैं।

लंबे समय तक बंद रहने के बाद एलएचसी अगले साल चालू हो जाएगा तथा उन्नत नया एलएचसीबी डिटेक्टर माप की संवेदनशीलता को और अधिक बढ़ाकर अधिक आंकड़े एकत्र करेगा। इस बीच, सैद्धांतिक भौतिक वैज्ञानिक इस परिणाम की व्याख्या करने के लिए नई गणनाओं पर काम कर रहे हैं। हम ब्रह्मांड के रहस्यों को अभी तक पूरी तरह से नहीं सुलझा सकते, लेकिन नया उन्नत एलएचसीबी डिटेक्टर सटीक मापन का द्वार खोलेगा, जिसमें अज्ञात घटनाओं का पता लगाने की क्षमता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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