विश्व का जलवायु लक्ष्य और भारत का विकास साथ-साथ आगे बढ़ सकता है?

By भाषा | Updated: November 12, 2021 23:59 IST2021-11-12T23:59:43+5:302021-11-12T23:59:43+5:30

Can the world's climate goal and India's development go hand in hand? | विश्व का जलवायु लक्ष्य और भारत का विकास साथ-साथ आगे बढ़ सकता है?

विश्व का जलवायु लक्ष्य और भारत का विकास साथ-साथ आगे बढ़ सकता है?

ग्लासगो, 12 नवंबर (एपी) भारत के समक्ष एक कठिन विकल्प है जिसका असर विश्व पर भी होगा।

आने वाले दशकों में भारत की तुलना में किसी भी देश की ऊर्जा जरूरतों के तेजी से बढ़ने की उम्मीद नहीं है। यहां तक ​​​​कि सबसे आशावादी अनुमानों के अनुसार, मांग के एक हिस्से को कोयले की ऊर्जा से पूरा किया जाना होगा। कोयला कार्बन उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत है।

ग्लासगो में आयोजित हो रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन सीओपी26 से एक सप्ताह पहले भारत के शीर्ष पर्यावरण अधिकारी रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने नयी दिल्ली में कहा था कि भारत या तो गरीबी से लाखों लोगों को ऊपर उठाने के लिए जरूरी विकास पर समझौता कर सकता है, या देश के विशाल घरेलू भंडार से कोयला जलाना जारी रख सकता है।

ऐसे में जब महत्वपूर्ण वार्ता के लिए बस कुछ ही दिन शेष हैं, एक बुनियादी सवाल बना हुआ है: क्या भारत के विकास की जरूरतों के लिए वातावरण में पर्याप्त ‘‘कार्बन स्पेस’’ होगा, जो कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की वैश्विक महत्वाकांक्षा के साथ सह-अस्तित्व में हो।

पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि देश का लक्ष्य 2070 तक वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बंद करना होगा।

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि ये लक्ष्य भारत के लिए महत्वाकांक्षी हैं, लेकिन इसकी विकास स्थिति को देखते हुए यह आसान नहीं होगा।

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