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भारत को 14 कलाकृतियां लौटाएगा ऑस्ट्रेलिया

By भाषा | Updated: July 30, 2021 11:15 IST

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मेलबर्न, 30 जुलाई ऑस्ट्रेलिया सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण 14 और कलाकृतियां भारत को लौटाएगा जिसमें कांसे और पत्थर की मूर्तियां, चित्रित स्क्रॉल तथा तस्वीरें शामिल हैं। इनमें से कुछ भारत से संभवत: चुरायी गयी, गैरकानूनी रूप से खुदाई करके निकाली गयी या अनैतिक रूप से हासिल की गयी हैं।

‘नेशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया’ (एनजीए) ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि वह अपने एशियाई कला संग्रह से इन कलाकृतियों को भारत सरकार को लौटाएगा। जिन कलाकृतियों को लौटाया जाना है उनमें 13 वस्तु भारतीय डीलर सुभाष कपूर से और एक कलाकृति विलियम वोल्फ से ली गयी हैं।

एबीसी न्यूज की एक खबर के मुताबिक, यह चौथी बार है जब एनजीए ने कपूर द्वारा खरीदी कलाकृतियां भारत सरकार को लौटायी हैं। इनमें कांसे या पत्थर की छह मूर्तियां, पीतल की एक कलाकृति, एक चित्रित स्क्रॉल और छह तस्वीरें शामिल हैं। कपूर के खिलाफ कलाकृतियों का वैश्विक तस्करी गिरोह चलाने के आरोप में भारत में मुकदमा लंबित है।

इन कलाकृतियों को भारत भेजने से पहले इनकी उत्पत्ति के स्थान का पता लगाया जाएगा। एनजीए के निदेशक निक मित्जेविक ने कहा कि ये कदम संग्रहों के नैतिक प्रबंधन में अगुवा होने की नेशनल गैलरी की प्रतिबद्धता को दिखाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इस बदलाव के पहले परिणाम के तौर पर गैलरी भारतीय कला संग्रह से 14 वस्तुओं को उसके मूल देश को लौटा रही है। यह सांस्कृतिक जिम्मेदारी है और ऑस्ट्रेलिया तथा भारत के बीच सहयोग का परिणाम है। हम भारत सरकार के सहयोग के लिए उनके आभारी है और हम खुश है कि अब सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण इन वस्तुओं को लौटा सकते हैं।’’

ऑस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त मनप्रीत वोहरा ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार और नेशनल गैलरी का कलाकृतियों को लौटाने के फैसले का स्वागत किया।

एनजीए निदेशक ने कहा कि गैलरी का मानना है कि छह कलाकृतियां भारत से संभवत: चुरायी गयी या अवैध तौर पर निकाली गयी।

एनजीए ने कपूर की ‘आर्ट ऑफ द पास्ट’ गैलरी की 22 कलाकृतियों के लिए पिछले कुछ वर्षों में 1.7 करोड़ डॉलर खर्च किए जिसमें 11वीं सदी की चोला कांसे की मूर्ति शिव नटराज भी शामिल थी जिसके लिए एनजीए ने 2008 में 50 लाख डॉलर से अधिक खर्च किए थे।

जब भारतीय पुलिस ने 2012 में कपूर को गिरफ्तार किया तो उन्होंने चुरायी गयी वस्तुओं में शिव की नृत्य वाली मूर्ति को भी सूचीबद्ध किया और जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि यह मूर्ति दक्षिण भारत में एक मंदिर से निकाली गयी थी। 2014 में तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने यह मूर्ति भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंप दी थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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