बढ़ती इंसानी गतिविधियों के बीच अंटार्कटिका की संवेदनशील पारिस्थितिकी को गैर देशी प्रजातियों से खतरा

By भाषा | Updated: November 20, 2021 12:28 IST2021-11-20T12:28:02+5:302021-11-20T12:28:02+5:30

Antarctica's sensitive ecology threatened by non-native species amid increasing human activities | बढ़ती इंसानी गतिविधियों के बीच अंटार्कटिका की संवेदनशील पारिस्थितिकी को गैर देशी प्रजातियों से खतरा

बढ़ती इंसानी गतिविधियों के बीच अंटार्कटिका की संवेदनशील पारिस्थितिकी को गैर देशी प्रजातियों से खतरा

(डाना एम बर्गस्ट्रॉम, प्रिंसिपल रिसर्च साइंटिस्ट, यूनिवर्सिटी ऑफ वोलोंगांग एवं शावॉन डोनोगहुए, एडजंक्ट रिसर्चर, यूनिवर्सिटी ऑफ तस्मानिया)

होबार्ट, 20 नवंबर (द कन्वरसेशन) अंटार्कटिका के बारे में सामान्य तौर पर हम यह सोचते हैं कि यह अलग-थलग और दूरदराज का स्थान है, जैविक रूप से कहें तो यह सच है। लेकिन यह महाद्वीप आपकी कल्पना से कहीं अधिक व्यस्त है, यहां दुनिया भर के कई राष्ट्रीय कार्यक्रम होते हैं और अनेक टूरिस्ट ऑपरेटर यहां पहुंचते हैं।

यहां आने वाला हर पोत, उन पर लदा माल और हर व्यक्ति गैर देशज प्रजातियों को यहां ला सकता है। अंटार्कटिका के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए यह खतरा, आज जारी किए गए हमारे नए विश्लेषण में बताया गया है।

इस महाद्वीप पर बीते पांच वर्षों में आए विमानों और पोतों की जानकारी एकत्रित करने पर पाया गया कि गोलार्ध को पार करके कितनी यात्राएं हो रही हैं और यह भी पता किया कि गैर देशज प्रजातियों के लिए संभावित स्रोत स्थल कौन से हैं। हमने पाया कि कुछ प्रजातियां अंटार्कटिका पहुंच गईं लेकिन इनमें से कोई भी मौटे तौर पर यहां अपनी मजबूत पकड़ नहीं बना सकी और इस स्थान का मौलिक स्वरूप अब भी बरकरार है।

अंटार्कटिका में नए अनुसंधान केन्द्रों, अधिकाधिक पर्यटन गतिविधियों, बढ़ती मानवीय गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन के खतरे के बीच इसके मौलिक स्वरूप को बनाए रखना एक चुनौती है।

जैव विविधता के लिहाज से देखें तो पूरा ग्रह मिलाजुला है। खरपतवार जैसी प्रजातियां, कीट और रोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचते हैं। वहां वे अपनी संख्या बढ़ाते हैं और वहां की पारिस्थितिकी को प्रभावित करते हैं। इस प्रक्रिया में वे स्थानीय प्रजातियों पर हावी हो जाते हैं।

कुछ प्राकृतिक परिस्थतियों के कारण अंटार्कटिका पर जीवन अलग-थलग होकर फला-फूला है। इसलिए यहां पाए जाने वाले वनस्पति और जीव आमतौर पर कहीं और नहीं मिलते।

हिमखंडों के पिघलने से नए इलाके सामने आ रहे हैं जो गैर अंटार्कटिक प्रजातियों को यहां स्थापित होने का अधिक अवसर दे रहे हैं।

बीते दशक के एक अध्ययन में पाया गया कि अंटार्कटिका पर आने वाले लोग जिनके कपड़े और उपकरण साफ नहीं थे उनमें से प्रत्येक पर औसत नौ बीज पाए गए। लेकिन महज कुछ ही गैर देशज प्रजातियां अंटार्कटिका पर स्थापित हो पाईं।

आज की तारीख में महज 11 गैर देशी अकशेरुकी प्राणी अंटार्कटिका के कुछ गर्म स्थलों पर अलग-अलग जगह मौजूद हैं। पिछले वर्ष मानव और पक्षियों के लिए नुकसानदेह रोगजनक बैक्टीरिया उन स्थलों पर पैंग्विन के मल में पाए गए जहां पर बड़ी संख्या में इंसान जाते हैं। पिछले वर्ष दिसंबर में अंटार्कटिका में कोविड-19 भी पाया गया था। यह मानवों से स्थानीय वन्यजीवों में रोग फैलने के मामले थे जिसे ‘रिवर्स जूनोसिस’ कहा जाता है।

अंटार्कटिका के मौलिक स्वरूप को लगभग बरकरार रखने में तीन कारक महत्वपूर्ण हैं: भौतिक रूप से इलाके का अलग-थलग होना, यहां का सर्द मौसम और अंटार्कटिका संधि के जरिए राष्ट्रों के बीच सहयोग। हालांकि हमें यहां और गैर देशी प्रजातियों के पहुंचने और उन्हें यहां स्थापित होने से रोकने के लिए तैयार रहना होगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Antarctica's sensitive ecology threatened by non-native species amid increasing human activities

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे