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डोनाल्ड ट्रंप के सुरक्षा सलाहकार रहे जॉन बोल्टन का दावा- अमेरिकी राष्ट्रपति ने चुनाव में जीत के लिए चीन से मांगी थी मदद

By विनीत कुमार | Updated: June 18, 2020 09:17 IST

जॉन बोल्टन ने एक किताब लिखी है जिसका विमोचन अगले हफ्ते होना है। हालांकि, इस किताब के बाजार में आने से पहले ही विवाद शुरू हो गए हैं। बोल्टन ने ट्रंप को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं।

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ठळक मुद्देअमेरिका में ट्रंप के कार्यकाल में सुरक्षा सलाहकार रहे जॉन बोल्टन की किताब में कई बड़े खुलासेबोल्टन का दावा- पिछले साल एक समिट के दौरान ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति के साथ बीतचीत में अमेरिकी चुनाव का किया था जिक्र

हाल में कोरोना महामारी के बीच चीन पर बेहद सख्त नजर आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर एक बड़ा खुलासा सामने आया है। दावा किया गया है कि ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से 2019 में एक समिट के दौरान दोबारा राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए मदद मांगी थी। ये सनसनीखेज खुलासा ट्रंप के पूर्व सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने अपनी किताब में किया है। 

बोल्टन की किताब अभी बाजार में नही आई है लेकिन इसके कुछ अंश वॉल स्ट्रीट जर्नल, द वॉशिंगटन पोस्ट और न्यू यॉर्क टाइम्स ने छापे हैं। बोल्टन की इस किताब 'द रूम वेयर इट हैपेंड: एक व्हाइट हाउस ममोएर' ने चुनावी साल में अमेरिकी राजनीति में भूचाल ला दिया है।

इस किबात में बोल्टन दावा करते हैं कि जब पिछले साल जून में जापान के ओसोका में G-20 समिट के दौरान ट्रंप की मुलाकात शी जिनपिंग से हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति तब बातचीत के बीच राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बातें करने लगे। वे कहने लगे कि कैसे चीन की आर्थिक क्षमता ऐसी है कि वह देश में जारी चुनावी प्रचार अभियान पर असर डाल सकती है। बोल्टन ने लिखा है कि ट्रंप ने शी से उन्हें जिताने की अपील की। 

'ट्रंप का हर फैसला चुनावी फायदे के लिए'

बोल्टन इस किताब में एक जगह लिखते हैं, 'मैं अपने कार्यकाल के दौरान ट्रम्प के किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय की पहचान इस रूप में नहीं कर पा रहा हूं जो सीधे-सीधे चुनावी गणना और उसमें होने वाले फायदे से प्रेरित नहीं था।'

बोल्टन की ओर से किताब में कही गई बातों ने एक बार फिर ट्रंप द्वारा यूक्रेन से राजनीतिक मदद मांगने के मुद्दे को भी छोड़ दिया है, जिसे लेकर उन पर महाभियोग भी चला। इस बीच व्हाइट हाउस की ओर से किताब को बैन करने के भी प्रयास जारी है। बुधवार को एक संघीय अदालत से इस किताब की रिलीज के खिलाफ आपातकालीन अस्थायी प्रतिबंध के आदेश के लिए कहा गया।

ये किताब 577 पन्नों की है जिसमें ट्रंप और उनके प्रशासन के कार्यकाल का जिक्र है। इससे पहले भी कई पूर्व अधिकारियों ने किताब लिखे हैं लेकिन ज्यादातर में राष्ट्रपति को लेकर बहुत कुछ नहीं कहा गया है। बहरहाल, बोल्टन की किताब अगले हफ्ते रिलीज होनी है।

बोल्टन 17 महीनों तक सुरक्षा सलाहकार रहे

बोल्टन 17 महीनों तक डोनाल्ड ट्रंप के सुरक्षा सलाहकार रहे हैं। बोल्टन ने जून 2019 की चीनी राष्ट्रपति के साथ ट्रंप की बात को एक आश्चर्यजनक कदम बताया और लिखा कि यह उन असंख्य बातचीत में से था जो उन्होंने चिंता पैदा करने वाला पाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इन अन्य घटनाओं के लिए अपनी महाभियोग जांच के दायरे का विस्तार करना चाहिए था।

किताब में कई ऐसे दावे भी हैं जो ट्रंप को लेकर चौंकाने वाले खुलासे करते हैं। मसलन ट्रम्प द्वारा यह सोचना कि फिनलैंड दरअसल रूस का हिस्सा था। यही नहीं उन्हें ये भी नहीं पता था यूनाइटेड किंगडम एक परमाणु शक्ति था। साथ ही वे पत्रकारों को तुच्छ समझते हैं और कहते थे कि उन्हें 'मार डालना' चाहिए। जापान के ओसाका में चीनी राष्ट्रपति के साथ मुलाकात के लिए, बोल्टन ने लिखा कि ट्रम्प ने शी से कहा कि डेमोक्रेट चीन के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार वाले हैं।

डोनाल्ड ट्रंप जता चुके हैं नाराजगी

इससे पहले राष्ट्रपति ट्रंप कह चुके हैं कि उनके पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, जॉन बोल्टन अगर अपनी नयी पुस्तक के प्रकाशन की योजना को नहीं टालते तो उन्हें “आपराधिक समस्या” का सामना करना पड़ सकता है। ट्रंप ने सोमवार को कहा कि यह अटॉर्नी जनरल विलियम बार पर होगा कि वह कोई आरोप लगाते हैं या नहीं लेकिन संकेत दिया कि यह मामला अदालत तक जाएगा। ट्रंप ने अगले सप्ताह की शुरुआत में पुस्तक के विमोचन से पहले इसके बारे में कहा, 'हम देखेंगे कि क्या होता है।' 

बता दें कि बोल्टन की किताब का मार्च में विमोचन होना था। इसके विमोचन की तारीख दो बार टाली गई और अब इसे अगले हफ्ते प्रकाशक सिमोन एंड शूस्टर द्वारा जारी किया जाना है। प्रकाशक के मुताबिक, 'बोल्टन ने इसमें कई विषयों को शामिल किया है जैसे व्हाइट हाउस में अव्यवस्था लेकिन बड़े खिलाड़ियों का भी आकलन किया है जैसे राष्ट्रपति का निर्णय लेने का अनुचित एवं लापरवाह तरीका और चीन, रूस, यूक्रेन, उत्तर कोरिया, ईरान, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे सहयोगियों एवं शत्रुओं के साथ निपटने के उनके तरीके का भी इसमें जिक्र है।'

(भाषा इनपुट)

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