अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने का एक अद्भुत, जीवन बदलने वाला अनुभव: बांदला

By भाषा | Updated: July 12, 2021 13:41 IST2021-07-12T13:41:24+5:302021-07-12T13:41:24+5:30

A wonderful, life-changing experience of seeing Earth from space: Bandla | अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने का एक अद्भुत, जीवन बदलने वाला अनुभव: बांदला

अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने का एक अद्भुत, जीवन बदलने वाला अनुभव: बांदला

ह्यूस्टन, 12 जुलाई भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री शिरिषा बांदला का कहना है कि ‘वर्जिन गैलेक्टिक’ की पहली पूर्ण चालक दल वाली सफल परीक्षण उड़ान में उनकी पहली यात्रा के दौरान अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखना एक ‘‘अद्भुत’’ और ‘‘जीवन बदलने वाला’’ अनुभव था।

एरोनॉटिकल इंजीनियर बांदला (34) रविवार को अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गयीं जब उन्होंने अमेरिका के न्यू मैक्सिको प्रांत से ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन के साथ ‘वर्जिन गैलेक्टिक’ की अंतरिक्ष के लिए पहली पूर्ण चालक दल वाली सफल परीक्षण उड़ान भरी। न्यू मैक्सिको से अंतरिक्ष यान की उड़ान में ब्रैनसन, बांदला के साथ पांच और लोग करीब 53 मील की ऊंचाई (88 किलोमीटर) पर अंतरिक्ष के छोर पर पहुंचे। वहां तीन से चार मिनट तक भारहीनता महसूस करने और धरती का नजारा देखने के बाद वापस लौट आए थे।

बांदला ने ‘एनबीसी न्यूज’ से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘लगता है कि मैं अभी वहीं हूं, लेकिन यहां आकर बहुत खुशी हुई। मैं अद्भुत से बेहतर शब्द के बारे में सोचने की कोशिश कर रही थी, लेकिन यही एकमात्र शब्द है जो मेरे दिमाग में आ सकता है ... पृथ्वी का दृश्य देखना जीवन बदलने जैसा है। अंतरिक्ष की यात्रा करना वास्तव में अद्भुत है।’’ उन्होंने इस पल को भावुक करने वाला बताते हुए कहा, ‘‘मैं बचपन से ही अंतरिक्ष में जाने का सपना देख रही थी और सचमुच यह एक सपने के सच होने जैसा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक अंतरिक्ष यात्री बनना चाहती थी, लेकिन मैं नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) में नहीं जा सकी और मैंने अंतरिक्ष में जाने के लिए एक बहुत ही अपरंपरागत तरीका अपनाया और मुझे विश्वास है कि बहुत सारे लोग इसका अनुभव करने जा रहे हैं और इसलिए हम यहां हैं।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या यह अमीर लोगों के लिए सिर्फ एक आनंद की सवारी थी, उन्होंने कहा, ‘‘वर्जिन गेलेक्टिक का निर्माण होते ही ... यह वीएसएस यूनिटी की अंतरिक्ष की सवारी बन गई, लेकिन दो और अंतरिक्ष यान का निर्माण हो रहा हैं और हमें उम्मीद है कि लागत में कमी आएगी।’’

आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में जन्मीं बांदला चार साल की उम्र में अमेरिका चली गईं थी और 2011 में उन्होंने पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स से विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने 2015 में जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री पूरी की। बांदला नासा के लिए एक अंतरिक्ष यात्री बनना चाहती थीं। लेकिन, आंखों की कमजोर रोशनी के कारण वह ऐसा नहीं कर सकीं।

कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद शिरिषा बांदला अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गईं है। विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले एकमात्र भारतीय नागरिक हैं। भारतीय वायु सेना के पूर्व पायलट ने सोवियत इंटरकॉसमोस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 3 अप्रैल, 1984 को सोयुज टी -11 पर उड़ान भरी थी।

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Web Title: A wonderful, life-changing experience of seeing Earth from space: Bandla

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