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50 साल पहले, मनुष्यों ने अंतरिक्ष से पृथ्वी की पहली पूरी तस्वीर ली थी, अब एक और लेने का समय

By भाषा | Updated: November 8, 2021 16:11 IST

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रॉबर्ट पूले, इतिहास के प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लंकाशायर

प्रेस्टन (यूके), आठ नवंबर (द कन्वरसेशन) ‘‘दुनिया में हर किसी को यह करना चाहिए। दुनिया में हर किसी को यह देखना चाहिए।’’ पूर्व स्टार ट्रैक अभिनेता 90 वर्षीय विलियम शैटनर 13 अक्टूबर 2021 को अंतरिक्ष में मुश्किल से चार मिनट बिताने के बाद जब ब्लू ओरिजिन रॉकेट से बाहर निकले तो भावविभोर होकर उन्होंने सबसे पहले यही शब्द कहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘यह हवा जो हमें जीवित रख रही है, यह आपकी त्वचा से भी पतली है ... हम सोचते हैं, 'ओह, यह नीला आकाश है', और फिर अचानक आप इस सब से बाहर निकल जाते हैं, जैसे कि आप एक चादर को उतार फेंकते हैं, जब आप सो रहे हैं, और आप कालेपन में देख रहे हैं ... यह बहुत पतला है, और आप एक पल में इससे निकल जाते हैं!’’

जैसा कि शैटनर जैसे अंतरिक्ष यात्रियों ने देखा है, हमारे ग्रह का वातावरण पृथ्वी के सापेक्ष एक सेब की त्वचा जितना पतला लगता है। यद्यपि हमारे दृष्टिकोण से यह असीम प्रतीत हो सकता है, हम उत्सर्जन के साथ इसकी संरचना को उतनी ही आसानी से बदल सकते हैं जितना कि हम विशाल झीलों और महासागरों को प्रदूषित कर सकते हैं।

फिर भी शटनर की यात्रा को कवर करने वाली कई समाचार रिपोर्टों में पृथ्वी के वायुमंडल की नाजुकता पर उनकी टिप्पणियों को नजरअंदाज किया गया : ऐसी टिप्पणियां जो ग्लासगो में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सीओपी26 में आने वाले प्रतिनिधियों को प्रभावित कर सकती हैं।

शैटनर की यात्रा को जेफ बेजोस की अंतरिक्ष अन्वेषण कंपनी ब्लू ओरिजिन ने संभव किया। कंपनी की स्थापना वर्ष 2000 में की गई थी और उसका यह कदम काफी आलोचना का विषय रहा है।

ई-कॉमर्स दिग्गज अमेज़ॅन के अरबपति संस्थापक बेजोस ने दुनिया भर में स्थानीय क्षेत्रों के सांस्कृतिक और वाणिज्यिक बुनियादी ढांचे को खोखला करके अपनी खगोलीय सफलता हासिल की: और उनके द्वारा पृथ्वी पर पर्यावरण में सुधार के बजाय अंतरिक्ष पर्यटन उद्योग में विस्तार करने के लिए अरबों खर्च करने की निंदा की गई है।

1960 और 1970 के दशक के मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम, जिसे अमेरिका और रूस द्वारा प्रतिस्पर्धात्मक रूप से चलाया गया था, की भी पैसे की बर्बादी के रूप में आलोचना की गई थी। लेकिन इससे एक बड़ा और अप्रत्याशित बोनस मिला: वह था अंतरिक्ष से पृथ्वी का पहला दृश्य, उसके राजसी अलगाव के साथ।

1968 के क्रिसमस पर, अपोलो 8 के चालक दल के सदस्य ऐसे पहले व्यक्ति बन गए जिन्होंने चंद्रमा के चारों ओर उड़ान भरते हुए पूरे ग्रह को देखा और उसकी तस्वीर खींची। सवा लाख मील दूर से, पृथ्वी की ऐसी अनूठी सुंदरता पहले कभी किसी ने नहीं देखी थी।

यात्रा के दौरान, अंतरिक्ष यात्री बिल एंडर्स ने आंशिक रूप से छाया में पृथ्वी की एक अनिर्धारित तस्वीर ली, जिसमें चंद्रमा अग्रभूमि में था। चंद्रमा का मद्धम रंग पृथ्वी की चमकीली छटा के एकदम विपरीत था।

यह फोटो, जिसे बोलचाल की भाषा में ‘‘अर्थराइज’’ के रूप में जाना जाता है, को बाद में फोटोग्राफर गैलेन रोवेल ने ‘‘अब तक की सबसे प्रभावशाली पर्यावरणीय तस्वीर’’ के रूप में वर्णित किया। वर्षों बाद, एंडर्स ने अपने अनुभव बताए: ‘‘हम चंद्रमा पर इस तरह से आए, और फिर भी सबसे महत्वपूर्ण चीज जो हम देख रहे हैं वह हमारा अपना गृह ग्रह है।’’

प्रेरणा

1969 में पर्यावरण चैरिटी फ्रेंड्स ऑफ द अर्थ के गठन और 1972 में स्टॉकहोम में पहली बार संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी शिखर सम्मेलन के रूप में चिह्नित पर्यावरण आंदोलन के तेजी से विकास को बढ़ावा देने से पहले पृथ्वी पूरी तरह से दिखाई नहीं दी थी।

टिप्पणीकार जॉन कैफरी ने 1970 में लिखा था कि ‘‘अपोलो मिशन का सबसे बड़ा स्थायी लाभ शायद यह था कि इसके बाद हमारे बिगड़ते पयार्वरण को बचाने के लिए हर तरफ से कोशिश कर जाने लगी-अगर हम अब भी बचा सकें तो।’’

‘‘दिसंबर 1972 में, अंतिम अपोलो मिशन (अपोलो 17) ने संभवतः पृथ्वी की एक और भी अधिक प्रसिद्ध छवि को कैप्चर किया, जिसमें सूर्य पृथ्वी से 28,000 मील की दूरी पर था: जिसे ‘‘ब्लू मार्बल’’ फोटो के रूप में जाना जाता है।

अर्थराइज द्वारा उत्तर से लिए गए एक अर्ध-छायांकित ग्रह के चित्रण के विपरीत, इस तस्वीर ने दक्षिण से पूरी पृथ्वी को दिखाया, जिसमें अंटार्कटिका का पहला दृश्य भी शामिल था।

पानी से भरे ग्लोब का यह दृश्य, जो पश्चिमी देश के बजाय मेडागास्कर पर केंद्रित है, वैश्विक समानता के लिए एक फोटोग्राफिक घोषणापत्र के रूप में प्रकट हुआ। लेंस के पीछे एक मानवीय आंख के साथ, मानव जाति ने खुद को धरती माता के साथ एक ऐसी छवि में पाया जो अब तक के सबसे अधिक पुनरुत्पादित चित्रों में से एक बन गई है।

एक नया ब्लू मार्बल

अगले साल, ब्लू मार्बल फोटो को 50 साल बीत चुके होंगे: मुझे लगता है कि अब एक और लेने का समय है। दिसंबर 2022 में, पृथ्वी सूर्य के सापेक्ष उसी स्थिति में होगी जैसी दिसंबर 1972 में थी। यह पूरी पृथ्वी की एक ही दूरी और कोण से पहले की तरह एक तस्वीर खींचने का अवसर देगा, शायद फिर से देखें अंतरिक्ष युग की सबसे पर्यावरणीय रूप से मूल्यवान उपलब्धि।

हालांकि उपग्रहों द्वारा उसके बाद से पूरे ग्रह की बहुत सी प्रभावशाली छवियां ली गई हैं, लेकिन उनमें से कोई भी मूल छवि के समान परिप्रेक्ष्य प्रदान नहीं करती और अधिकांश को कई फ्रेम से एक साथ पैच किया जाता है ताकि आदर्श मौसम में एक आदर्श ग्लोब दिखाया जा सके।

हालांकि यह छवि अभी भी सुंदर होगी, लेकिन यह जिस ग्रह की छवि लेती है वह वही नहीं होगा। सहारा जैसे रेगिस्तानों का विस्तार हो गया होगा। क्लाउड सिस्टम बदल गए होंगे। अंटार्कटिक बर्फ पीछे हट गई होगी, और कम हरी दिखाई देगी। साथ-साथ देखे जाने पर, ये दो ब्लू मार्बल्स, जिन्हें आधी सदी से अलग कर लिया गया है, जलवायु परिवर्तन के परिणामों को बिना किसी शब्द के, तुरंत और विश्व स्तर पर सामने लाएंगे।

तो, अंतरिक्ष अरबपति: यदि आप वास्तव में हमारे ग्रह की रक्षा करने की परवाह करते हैं, तो आइए अंतिम अर्थशॉट लें।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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