सूखे पेड़ों के क्षय से प्रति वर्ष 10.9 अरब टन काबर्न का उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन से यह और बढ़ेगा

By भाषा | Updated: September 2, 2021 17:33 IST2021-09-02T17:33:56+5:302021-09-02T17:33:56+5:30

10.9 billion tonnes of carbon emissions per year due to the decay of dry trees, this will increase further due to climate change | सूखे पेड़ों के क्षय से प्रति वर्ष 10.9 अरब टन काबर्न का उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन से यह और बढ़ेगा

सूखे पेड़ों के क्षय से प्रति वर्ष 10.9 अरब टन काबर्न का उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन से यह और बढ़ेगा

(मारिया स्टोन, ग्रिफिथ विश्वविद्यालय; डेविड लिंडेनमायर, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी; कुर्टिस निसबेट, ग्रिफिथ विश्वविद्यालय और सेबेस्टियन सीबोल्ड, टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख) कैनबरा/ब्रिसबेन/म्यूनिख, दो सितंबर (द कन्वरसेशन) अगर आप किसी जंगल से गुजरते हैं तो संभवत: आप सूखे पेड़ों, वृक्षों की सड़ी शाखाओं या जमीन पर बिखरे ठूंठों से बचने का प्रयास करते हैं। ये ‘‘मृत वृक्ष’’ हैं और वनों की पारिस्थितिकी में महत्वूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये छोटे पशुओं, पक्षियों, उभयचर जीवों और कीड़ों-मकोड़ों के लिए आवास का काम करते हैं और जब सूखे पेड़ क्षय होते हैं तो ये पोषण के पारिस्थिति चक्र में योगदान करते हैं जो पौधों की वृद्धि के लिए जरूरी है। लेकिन ये एक अन्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिसके बारे में वैश्विक स्तर पर काफी कम समझ है। सूखे पेड़ों का क्षय होता है तो ये कार्बन छोड़ते हैं जिसका कुछ हिस्सा जमीन में जाता है और कुछ हिस्सा वातावरण में। दीमक एवं लकड़ी खाने वाले कीड़े इस प्रक्रिया में तेजी ला सकते हैं। दुनिया भर में सूखे पेड़ वर्तमान में 73 अरब टन कार्बन संचित रखे हुए हैं। ‘नेचर’ पत्रिका में एक नए शोध से पता चला है कि इनमें से 10.9 अरब टन (करीब 15 प्रतिशत) कार्बन वातावरण एवं मिट्टी में प्रति वर्ष जारी होता है जो जीवाश्म ईंधनों के कारण दुनिया में होने वाले उत्सर्जन से कुछ अधिक हैं। लेकिन इस मात्रा में कीड़ों की गतिविधियों से बदलाव आ सकता है और जलवायु परिवर्तन के कारण इसमें बढ़ोतरी की संभावना है। भविष्य में जलवायु परिवर्तन के अनुमान में सूखे पेड़ों पर विचार करना महत्वपूर्ण होगा। अद्वितीय वैश्विक प्रयास जंगल कार्बन संग्रहण के लिए महत्वपूर्ण हैं जहां जीवित पेड़ कार्बन सोखते हैं और वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण कर उसे संचित करते हैं, जिससे जलवायु के विनियमन में सहयोग मिलता है। दुनिया भर के जंगलों में सूखे पेड़ जिसमें गिरे हुए एवं खड़े पेड़, शाखाएं एवं ठूंठ भी शामिल हैं, वे आठ प्रतिशत कार्बन संग्रहण करते हैं। हमारा उद्देश्य विघटन पर जलवायु एवं कीड़ों के प्रभाव का आकलन करना था लेकिन यह आसान नहीं था। हमारा शोध पत्र व्यापक पैमाने पर विभिन्न महाद्वीपों में क्षेत्र प्रयोग को समन्वय करने के परिणाम पर आधारित है। इसमें दुनिया भर के 30 से अधिक शोध समूहों ने हिस्सा लिया। प्रयोग में छह महाद्वीपों में 55 जंगलों में तीन वर्षों तक 140 से अधिक पेड़ों की प्रजातियों को शामिल किया गया। प्रयोग के निष्कर्ष हमारा शोध दर्शाता है कि सूखे पेड़ों के क्षय और इसमें कीड़े-मकोड़े का योगदान मुख्यत: जलवायु पर निर्भर करता है। हमने पाया कि बढ़ते तापमान के साथ इस दर में मुख्यत: वृद्धि होती है और ठंडे प्रदेशों की तुलना में उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में यह ज्यादा है। वस्तुत: उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में सूखे पेड़ प्रति वर्ष 28.2 प्रतिशत की दर से विघटित होते हैं, वहीं ठंडे प्रदेशों में ये महज 6.3 प्रतिशत की दर से विघटित होते हैं। उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में सूखे पड़ों के विघटित होने का कारण ज्यादा जैव विविधता है। कीड़े-मकोड़े पेड़ों को खाते हैं जिससे ये छोटे कणों में तब्दील हो जाते हैं और इससे विघटन में तेजी आती है। प्रति वर्ष सूखे पेड़ों द्वारा जारी होने वाले 10.9 अरब टन कार्बन डाईऑक्साइड में से 3.2 अरब टन या 29 प्रतिशत के लिए कीड़े-मकोड़ों की गतिविधियां जिम्मेदार हैं। जलवायु परिवर्तन पर इसका क्या असर होगा? कीड़े-मकोड़े पर जलवायु परिवर्तन का बहुत अधिक असर होता है और कीड़ों की जैव विविधता में हाल में आई कमी के कारण सूखे पेड़ों में कीड़ों की वर्तमान एवं भविष्य की भूमिका अनिश्चित है। लेकिन उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सूखे पेड़ों के क्षय की बहुलता (93 प्रतिशत) और इस क्षेत्र में और ज्यादा गर्मी पड़ने और इसके और सूखा होने को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि जलवायु परिवर्तन से प्रति वर्ष सूखे पेड़ों के कारण कार्बन उत्सर्जन की मात्रा बढ़ेगी। आगे क्या होगा? सूखे पेड़ों से कार्बन उत्सर्जन में कीड़े एवं जलवायु की भूमिका से भविष्य में जलवायु के अनुमान लगाने में थोड़ी पेचीदगी होगी। जलवायु परिवर्तन के पूर्वानुमान के लिए हमें विस्तृत शोध की जरूरत होगी कि किस तरह से विघटन से जुड़े कीड़े सूखे पेड़ों के विघटन को प्रभावित करते हैं। जलवायु वैज्ञानिकों को अपने शोध में सूखे पेड़ों से होने वाले व्यापक उत्सर्जन पर ध्यान देना होगा, जिससे जलवायु परिवर्तन के असर के बारे में बेहतर समझ बन सके।

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Web Title: 10.9 billion tonnes of carbon emissions per year due to the decay of dry trees, this will increase further due to climate change

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